Sarveshvari Ashram: कृषि मंत्री रामविचार नेताम पहुंचे बाबा संभव राम का आर्शीवाद लेने सोगड़ा आश्रम, भक्ति भाव से मां काली की पूजा-अर्चना...
Sarveshvari Ashram: छत्तीसगढ़ के कृषि और अनुसूचित जाति, जनजाति विकास मंत्री रामविचार नेताम कल अघोर संत बाबा संभव राम से आर्शीवाद लेने जशपुर के सोगड़ा आश्रम पहुंचे थे।

Sarveshvari Ashram
Sarveshvari Ashram: रायपुर। छत्तीसगढ़ के छत्तीसगढ़ के कृषि और अनुसूचित जाति, जनजाति विकास मंत्री रामविचार नेताम कल अचानक प्रसिद्ध अघोर पीठ सोगडा आश्रम पहुंचे। उन्होंने अघोरेश्वर भगवान राम ट्रस्ट के प्रमुख बाबा संभव राम का दर्शन कर उनसे आर्शीवाद प्राप्त किया। मंत्री रामविचार नेताम ने आश्रम में स्थित मां काली की पूजा-अर्चना की।
सोगड़ा सर्वेश्वरी आश्रम को अघोर आश्रम भी कहा जाता है। अघोरेश्वर महाप्रभ भगवान राम ने इसे स्थापित किया था। इस समय देश में इसकी कई शाखाएं हैं। बाबा के भक्तों में बड़े राजनेताओं के साथ ज्यूडिशिरी के रिटायर लोग, नौकरशाह से लेकर लाखों की संख्या में आम आदमी शामिल हैं।
सर्वेश्वरी समूह के आश्रम में छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय की भी गहरी आस्था है। बाबा संभराम जी के भक्तों में सीएम विष्णुदेव भी शामिल हैं। जशपुर दौरे में सीएम जब भी जाते हैं, उनकी कोशिश होती है कि आश्रम जाकर बाबा का दर्शन प्राप्त कर लें।

जानिये कौन हैं बाब संभव राम जी
यशोवर्धन सिंह पिता भानुप्रकाश सिंह... मध्यप्रदेश के नरसिंहगढ़ राजघराने के राजकुमार। जन्म 15 मार्च 1961. जन्म स्थान इंदौर। शिक्षा डॉली कॉलेज इंदौर, बनारस हिंदू विश्वविद्यालय। यशोवर्धन सिंह ही आगे चलकर गुरु पद संभव राम हुए। यह बात 1982 की है। तब अर्धकुंभ पड़ा था। मां गंगा, यमुना और सरस्वती नदी के पवित्र संगम प्रयागराज में अघोरेश्वर भगवान राम अपने कैम्प में विराजमान थे। इसी बीच एक किशोर कैम्प में पहुंचे। उच्च ललाट, चौड़ा सीना, लंबी और बलिष्ट भुजाओं के साथ ओजपूर्ण चेहरा देखकर ही अनुमान लगाना आसान था कि ये न केवल संपन्न और सुसंस्कृत परिवार के हैं, बल्कि भविष्य में लाखों-करोड़ों लोगों के प्रेरणा के स्रोत बनेंगे। ये किशोर ही राजकुमार यशोवर्धन सिंह थे, जो अघोरेश्वर भगवान राम के पास आए और यहीं के होकर रह गए। वे अघोरेश्वर के साथ अर्ध कुंभ तक प्रयाग राज में ही ठहरे, फिर उनके साथ बनारस चले गए। मुड़िया दीक्षा संस्कार के बाद अघोरेश्वर भगवान राम ने उन्हें गुरुपद संभव राम नाम दिया।
राजसी ठाठ-बाट के साथ जीवन
गुरु पद संभव राम का जन्म 15 मार्च 1961 को मध्यप्रदेश के इंदौर में हुआ था। नरसिंहगढ़ रियासत के भानु निवास में पहला साल बीता और 1962 में राजवंश भानु निवास पैलेस में रहने आ गया। यह भी एक बड़ा संयोग है कि भारत में आजादी के बाद अपने किले में रहने वाले परिवारों में इनका परिवार भी था। गुरु पद संभव राम परमार कुल के सम्राट विक्रमादित्य के क्षत्रीय राजवंश के हैं। इसी राजवंश में महाराज भर्तृहरि भी हुए, जिन्होंने हृदय परिवर्तन हुआ तो राजपाट छोड़कर सन्यासी बन गए।
अवधूत गुरुपद संभव राम के पिता नरसिंहगढ़ के महाराजा भानुप्रकाश सिंह थे। उनकी शिक्षा भी डॉली कॉलेज इंदौर में हुई। आगे की शिक्षा मेयो कॉलेज अजमेर में हुई थी। महाराज भानुप्रकाश सिंह का विवाह 1950 में बीकानेर के राजा गंगा सिंह की पौत्री और महाराज बिजल सिंह की पुत्री लक्ष्मी कुमार से हुआ था। इनके पांच पुत्र हुए। इनमें महाराज कुमार शिलादित्य सिंह, राज्यवर्धन सिंह, गिरिरत्न सिंह, भाग्यादित्य सिंह और यशोवर्धन सिंह।
अघोरेश्वर के सबसे प्रिय शिष्य
महाराज कुमार यशोवर्धन सिंह की 1982 में दीघा के बाद अघोरेश्वर भगवान राम ने गुरुपद संभव राम नाम दिया। इसके बाद उन्होंने कठोर तप और साधना शुरू की। अघोरेश्वर भगवान राम जब साधना की गूढ़ प्रक्रियाओं, जीवन के आदर्शों और सामाजिक आदर्शों के विषय में अपने शिष्यों, भक्तों को शिक्षा देते थे, तब गुरुपद संभव राम को कभी संभव, कभी संभव साधक, कभी सौगत उपासक, कभी मुड़िया साधु के नाम से पुकारते थे। गुरुपद संभव राम अघोरेश्वर भगवान राम के प्रिय शिष्यों में रहे। उनकी अपरिमित कृपा दृष्टि से ही अघोर दर्शन, परम्परा और दृष्टि से आपने ज्ञान के भंडार को परिपूरित करने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी और अवधूत पद पर प्रतिष्ठित हुए।
टी कॉफी बोर्ड की शुरुआत
जशपुर के क्लाइमेट को देखते सर्वेश्वरी समूह के प्रमुख अघोरेश्वर बाबा संभव राम ने सोगड़ा आश्रम में सबसे पहले चाय और कॉफी लगाने की पहल की। उन्होंने इसके लिए आश्रम में प्रॉसेसिंग यूनिट भी लगवाई। आश्रम में लहलहाते टी और कॉफी की खेती की बात जशपुर से निकलकर बाहर जाने लगी. छत्तीसगढ़ के तत्कालीन मुख्य सचिव सुनील कुमार को इसका पता चला तो उन्होंने उस समय के डीएफओ को फोन करके निर्देश दिया कि आश्रम की तर्ज पर वन विभाग चाय और कॉफी की खेती को बढ़ावा दिया जाए, लेकिन सरकारी काम तो सरकारी ही होते हैं। आश्रम की ग्रीन टी की स्थिति यह है कि जो एक बार इसका सेवन कर लेता है, वह फिर दूसरी कंपनियां की ग्रीन टी पीना भूल जाता है। कुछ समय पहले सीएम भूपेश बघेल जशपुर के सोगड़ा आश्रम पहुंचे थे। उन्होंने मां काली की पूजा-अर्चना की. बाबा संभव राम से मुलाकात के बाद उन्होंने चाय और कॉफी की खेती को देखा और उससे वे बेहद प्रभावित हुए। आश्रम की ग्रीन टी उन्हें भी काफी अच्छी लगी, तब उन्होंने भरोसा दिया था कि वे चाय और कॉफी की खेती को बढ़ावा देने जरूर कुछ करेंगे और उन्होंने बोर्ड के गठन का ऐलान कर दिया.अवधूत गुरु पद संभव राम के मार्गदर्शन में जशपुर के वनवासियों को निशुल्क इको चूल्हा का वितरण किया जाता है, जिससे घरेलू उपयोग के लिए पेड़ों को नुकसान न हो।