Justice Yashwant Varma: जस्टिस यशवंत वर्मा के खिलाफ महाभियोग लाने की तैयारी, जानिए क्या होता है महाभियोग?
Mahabhiyog Kya Hai: संसद के मानसून सत्र का आज पहला दिन था। सत्र के पहले दिन हाई कोर्ट के जज यशवंत वर्मा (Justice Yashwant Verma) को पद से हटाने के लिए महाभियोग प्रस्ताव (Mahabhiyog Prastav) लाया गया। 145 सांसदों ने हस्ताक्षर किए। वहीं राज्यसभा के 54 सांसदों ने जज यशवंत वर्मा के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव (Mahabhiyog Prastav) का समर्थन किया। सांसदों के हस्ताक्षर वाले ज्ञापन लोक सभा अध्यक्ष और राज्य सभा के सभापति को सौंपा गया। जिसके बाद जज यशवंत वर्मा (Justice Yashwant Verma) के खिलाफ महाभियोग चलाने की कार्रवाई शुरु कर दी गई है।
Mahabhiyog Kya Hai: संसद के मानसून सत्र का आज पहला दिन था। सत्र के पहले दिन हाई कोर्ट के जज यशवंत वर्मा (Justice Yashwant Verma) को पद से हटाने के लिए महाभियोग प्रस्ताव (Mahabhiyog Prastav) लाया गया। 145 सांसदों ने हस्ताक्षर किए। वहीं राज्यसभा के 54 सांसदों ने जज यशवंत वर्मा के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव (Mahabhiyog Prastav) का समर्थन किया। सांसदों के हस्ताक्षर वाले ज्ञापन लोक सभा अध्यक्ष और राज्य सभा के सभापति को सौंपा गया। जिसके बाद जज यशवंत वर्मा (Justice Yashwant Verma) के खिलाफ महाभियोग चलाने की कार्रवाई शुरु कर दी गई है।
जज के घर पर मिला था बेहिसाब कैश
बता दें कि हाई कोर्ट के जज यशवंत वर्मा के घर पर बेहिसाब कैश मिला था। जिनके बाद से उनपर कदाचार के आरोप लग रहे हैं। इस बीच संसद के मानसून सत्र के पहले दिन उनके खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव लाया गया। महाभियोग प्रस्ताव 145 सांसदों ने हस्ताक्षर किए और राज्यसभा के 54 सांसदों ने जज यशवंत वर्मा के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव का समर्थन किया। 145 सांसदों के हस्ताक्षर किए ज्ञापन के बाद महाभियोग चलाने की कार्रवाई शुरु कर दी गई है।
पद से हटाने जरूरत से ज्यादा नोटिस
उच्च सदन में उपराष्टपति जगदीप धनखड़ ने इस मामले में कहा कि हाई कोर्ट के जज यशवंत वर्मा को हटाने की मांग वाला प्रस्ताव मिला है, जिस प्रस्ताव पर राज्यसभा के 54 सांसदों ने हस्ताक्षर किए हैं। राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ ने कहा कि हाई कोर्ट के जज यशवंत वर्मा को पद से हटाने की प्रक्रिया के लिए जरूरत से ज्यादा संख्या में सांसदों को नोटिस मिला है।
जगदीप धनखड़ का बयान
राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ ने कहा कि अगर एक सदन में प्रस्ताव आए तो प्रीसाइडिंग ऑफिसर के पास यह अधिकार होता है कि वह उसे स्वीकार करे या खारिज कर दें। लेकिन अगर दोनों सदनों में एक दिन मोशन आता है तो यह सदन की प्रॉपर्टी हो जाता है। मुख्य न्यायधीश हाई कोर्ट के एक चीफ जस्टिस और एक सदस्य तीन सदस्यीय कमेटी बनाई जाती है। इस कमेटी की रिपोर्ट के बाद स्पीकर या चेयरमैन मोशन पर फैसला ले सकते हैं।
क्या है महाभियोग
आपके मन में यह सवाल उठ रहा होगा कि महाभियोग क्या है? तो बता दें कि महाभियोग के माध्यम से उच्च सार्वजनिक पद पर असीन व्यक्ति जैसे कि राष्ट्रपति या न्यायाधीश को उसके पद से हटाया जा सकता है। जब उस व्यक्ति पर कदाचार या फिर संविधान के उल्लंघन का आरोप लगाया जाता है तो महाभियोग की प्रक्रिया शुरु होती है। बता दें कि संविधान में महाभियोग का स्पष्ट उल्लेख नहीं है, लेकिन महाभियोग एक ऐसी प्रक्रिया है जिसके माध्यम से किसी न्यायधीश को उनके पद से हटाया जा सकता है।
- लोकसभा में कम से कम 100 और राज्यसभा में कम से कम 50 सदस्यों का समर्थन मिलने के बाद महाभियोग की शुरुआत होती है।
- लोकसभा और राज्यसभा के अध्यक्ष-सभापति प्रस्ताव को स्वीकार या फिर अस्वीकार करने से पहले इस पर चर्चा कर सकते हैं।
- बता दें कि प्रस्ताव के स्वीकार होने के बाद लोकसभा और राज्यसभा के अध्यक्ष-सभापति तीन सदस्यीय समिति गठित करती है, जो आरोपों की जांच करती है।
- लोकसभा और राज्यसभा के अध्यक्ष-सभापति की ओर से गठित तीन सदस्यीय समिति जांच के बाद अपने परिणाम पीठासीन अधिकारी को सौंपती है।
- अगर न्यायाधीश कथित कदाचार या फिर अक्षमता को दोषि पाया जाता है तो फिर इसके बाद संसद में बहत होती है।
- संसद में लोकसभा और राज्यसभा दोनों सदनों को विशेष बहुमत प्रस्ताव को मंजूरी देनी होगी, जिसके लिए सदन की कुल सदस्यता का बहुमत होना आवश्यक।
- आखिर में जब दोनों सदनों लोकसभा और राज्यसभा में स्वीकृत हो जाने पर उसे सत्र राष्ट्रपती के सामने प्रस्तुत किया जाता है।