CG Politics News: BJP में बवालः 200 किमी दूर बैठे भाजपाई को बना दिया जिला संगठन प्रभारी, नाराजगी के बाद सूची बदलने की मांग

CG Politics News: छत्तीसगढ़ भाजपा में एक सप्ताह के भीतर कई नियुक्तियों की सूची जारी हो गई। इसमें एक सूची निकलते ही बवाल हो गया है। अंदरखाने में भारी नाराजगी है और सूची बदलने की मांग उठ रही है।

Update: 2025-12-19 06:35 GMT

CG Politics News: रायपुर। छत्तीसगढ़ भाजपा में अंतिम दौर की नियुक्तियों का सिलसिला चल रहा है। इसमें राज्य से लेकर जिला स्तर तक की नियुक्तियां की गई हैं। सामान्यतः नियुक्तियों को लेकर ज्यादा असंतोष नहीं है, लेकिन जिला संगठन प्रभारी की सूची को लेकर भाजपा के अंदरखाने में बवाल हो गया है। आमतौर पर जिला प्रभारी दूसरे जिले के भाजपा नेता को बनाया जाता है, मगर इस बार दो- दो सौ किमी दूर बैठे भाजपा नेताओं को जिला संगठन प्रभारी बना दिया गया है। भाजपा में परंपरा रही है कि आसपास के जिले के नेताओं को प्रभारी बनाने की, जिससे समन्वय और दौरे में आसानी हो सके। इस दफे की सूची को लेकर भारी बवाल हो गया है और संगठन महामंत्री पवन साय तक शिकायत पहुंच गई है। नौबत यह आ गई है कि सूची बदलने की मांग उठ रही है।

सूची में ज्यादातर नाम ऐसे हैं जिन्हें संगठन की बैठक लेने के लिए 100 किमी से ज्यादा की यात्रा करनी होगी। कुछ तो 200 किमी दूर से अपने प्रभार वाले जिले में जाएंगे। जैसे बिलासपुर की राज्य महिला आयोग की पूर्व अध्यक्ष हर्षिता पांडेय को बेमेतरा का प्रभारी बनाया गया है। रायपुर के नलिनीश ठोकने को खैरागढ़- छुईखदान- गंडई का जिम्मा दिया गया है। महासमुंद इलाके की रुपकुमारी चौधरी को बिलासपुर शहर जाना होगा। संगठन ने कुल 36 जिलों में संगठन प्रभारी की नियुक्ति की है। इनकी भूमिका महत्वपूर्ण होती है और इन्हें बार- बार प्रभार वाले जिले का दौरा करना होता है। संगठन प्रभारी को जिले पर निगाह रख कर कामकाज की समीक्षा करने, समय- समय पर प्रदेश संगठन मंत्री को रिपोर्ट देने जैसा काम भी करना होता है।

सूची जारी होने के बाद पार्टी के अंदरखाने में जमकर बवाल हो रहा है। संगठन महामंत्री पवन साय बिहार चुनाव में व्यस्त थे और इसी बीच प्रदेश के एक पदाधिकारी ने जिला संगठन प्रभारी की सूची को फाइनल कर दिया था। अब श्री साय तक भी यह बात पहुंच गई है और चर्चा है कि प्रभारी बदलने की मांग की जा रही है। अब प्रभारी तत्काल बदले जाते हैं या थोड़े इंतजार के बाद सूची में संशोधन किया जाता है, कहा नहीं जा सकता। अभी भाजपा की सरकार है, ऐसे में संगठन का कामकाज और ज्यादा महत्वपूर्ण हो जाता है। इसका कारण यह है कि जिला से लेकर राज्य स्तर तक संगठन और सरकार के बीच समन्वय बना कर काम किया जाता है। सूची में ऐसे लोग शामिल हैं, जो सरकार में कहीं न कहीं पद के दावेदार थे। अब इन्हें प्रभारी भी ऐसे जिले का बनाया गया है, जो उनके गृह जिले से बहुत दूर हो गया है। इस कारण भी स्वाभाविक रूप से आक्रोश पनप रहा है।

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