NPG विशेष-छत्तीसगढ़ में लॉकडाउन में भी 6 लाख से अधिक मजदूरों को मनरेगा में मिल रहा रोजगार, किसानों को 900 करोड़ का भुगतान, आर्थिक ग्रोथ की आरबीआई गवर्नर ने की भूपेश सरकार की सराहना

Update: 2020-04-22 12:54 GMT

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रायपुर, 22 अप्रैल 2020। कोरोना संक्रमण के चलते जब पूरे देश में लॉकडाउन चल रहा है, छत्तीसगढ़ में सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए मनरेगा के काम चल रहे हैं और किसानों के लिए खाद, बीज की व्यवस्था के साथ ही उनका भुगतान भी किया जा रहा है। छत्तीसगढ़ में मनरेगा में ही छह लाख से अधिक मजदूरों को रोजगार मिला हुआ है। इनमें सबसे उपर बलौदा बाजार जिला है। वहां 82 हजार श्रमिकों को मनरेगा में काम कराया जा रहा है। वहीं, लॉकडाउन में 18 अप्रैल तक राज्य में 2.81 लाख क्विंटल फल और सब्जियों की खरीदी-बिक्री हुई। किसानों को भी विभिन्न तरह के 900 करोड़ रुपए का भुगतान किया गया। यही वजह है कि आरबीआई की रिपोर्ट में छत्तीसगढ के आर्थिक ग्रोथ की सराहना की गई है। रिपोर्ट के अनुसार छत्तीसगढ़ ने कृषि गतिविधियों में कई विकसित राज्यों को पीछे छोड़ दिया है।
दरअसल, मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने लॉकडाउन की शुरूआत में वीडियोकांफ्रेंसिंग में कलेक्टरों से कहा था कि लॉकडाउन का कड़ाई से पालन किया जाए, साथ ही जिले में सोशल डिस्टेसिंग का पालन करते हुए मनरेगा के कार्य भी चलते रहना चाहिए। ताकि, मजदूरों का घर-परिवार चलता रहे।
छत्तीसगढ़ के लगभग सभी जिलों में करीब एक हफ्ते से मनरेगा के काम जोर-शोर से प्रारंभ हो गए हैं। कलेक्टरों ने सीएम के निर्देश को चुनौती की तरह लेते हुए मनरेगा पर फोकस किया और आज की स्थिति में प्रदेश में मनरेगा में करीब छह लाख मजूदर काम कर रहे हैं। छत्तीसगढ़ जैसे आदिवासी और पिछड़े राज्य की दृष्टि से ये बड़ी संख्या है।

बलौदा बाजार के कलेक्टर कार्तिकेय गोयल ने बताया कि उनके यहां लगभग 82 हजार मजदूरों को मनरेगा में रोजगार मिला है। उनसे सोशल डिस्टेंसिंग को फॉलो करते हुए काम कराया जा रहा है। वहीं, कवर्धा में 61 हजार श्रमिकों को मनरेगा में रोजगार मिला है। कवर्धा के कलेक्टर अवनीश शरण ने एनपीजी न्यूज से कहा कि पंचायत विभाग को स्पष्ट निर्देश दिया गया है कि मनरेगा मजदूरों को ड्यूटी में आने से पहले हाथ धुलाया जाए, हाथ सेनिटाइज किया जाए। इसका उद्देश्य यह है कि मजदूरों को किसी तरह की दिक्कत न हो।
18 अप्रैल को केंद्रीय ग्रामीण और पंचायत मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने सभी राज्यों के पंचायत विभाग के अधिकारियों के साथ वीडियोकांफें्रसिंग की। केंद्रीय मंत्री ने छत्तीसगढ़ में मनरेगा में मजदूरों को मिले रोजगार की स्थिति जानकर प्रसन्नता व्यक्त की।
किसानों और कमजोर वर्गों के हितैषी समझे जाने वाले छत्तीसगढ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने उनके लिए कई दूरगामी योजनाएं बनाई हैं, जिसका नतीजा हुआ कि लॉकडाउन में ग्रामीण इलाकों में काम चलता रहा। ग्रामीण इलाकों से जुड़ी आर्थिक गतिविधियां जारी रही। मुख्यमंत्री के ड्रीम प्रोजेक्ट नरवा, गरूवा, घुरूवा और बाडी योजना का नतीजा यह हुआ कि स्वसहायता समूहों की महिलाओं का लॉकडाउन में भी जीवकोपार्जन जारी है।

कोविड-19 के चलते देशव्यापी लॉक-डाउन के दौर में भी महिलाएं बाड़ी में सब्जी उगाकर और गौठान में निर्मित वर्मी कंपोस्ट की बिक्री कर कमाई कर रही हैं। ये महिलाएं सब्जियों का वितरण कर ग्रामीणों की मदद भी कर रही हैं।

नरवा, गरवा, घुरवा, बारी योजना के अंतर्गत भू-जल स्तर सुधार, पशुधन विकास, जैविक खाद निर्माण और बाड़ी विकास के कार्यों के अब सकारात्मक परिणाम दिखना शुरू हो गया है। रायगढ़ जिले के बरमकेला विकासखंड में करीब डेढ़ हजार की आबादी वाले गांव हिर्री के गौठान में दो महिला स्वसहायता समूह सब्जी उगा रही हैं। श्री ग्राम्य भारती और लक्ष्मी स्वसहायता समूह की 15-15 महिलाएं गौठान की डेढ़ एकड़ बाड़ी में भिंडी, करेला, केला और कद्दू की खेती कर रही हैं। यहां से निकली सब्जियों को अभी लॉक-डाउन में निराश्रितों और जरूरतमंदों को वितरित किया जा रहा है। बची सब्जियों को बेचकर समूह की महिलाएं जीविकोपार्जन भी कर रही हैं।

हिर्री में कुछ अन्य स्वसहायता समूह की महिलाएं गौठान में वर्मी कंपोस्ट तैयार करने के काम में लगी हुई हैं। अभी हाल ही में इन महिलाओं ने स्थानीय किसानों को 15 क्विंटल जैविक खाद बेचा है। किसानों को वर्मी कंपोस्ट उपलब्ध कराने के साथ साथी महिलाओं की बाड़ी के लिए भी वे जैविक खाद देती हैं। जैविक खाद के उपयोग से मृदा और पर्यावरण दोनों की सेहत सुधर रही है। वर्मी कम्पोस्ट निर्माण के दौरान केचुओं का संवर्धन कर इसका भी विक्रय किया जा रहा है। गौठान और बाड़ी में काम के दौरान सभी महिलाएं कोरोना वायरस के संक्रमण से बचने के उपायों का पालन कर रही हैं। साबुन से बार-बार हाथ धोने के साथ ही शारीरिक दूरी बनाए रखते हुए मास्क या कपड़े से मुंह ढंककर काम कर रही हैं।

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के दिशा-निर्देशों के तहत लॉकडाउन की अवधि में कृषि और इससे जुड़ी गतिविधियों पर विशेष रूप से ध्यान दिया जा रहा है। किसानों को फसल बीमा और प्रधानमंत्री किसान योजना के तहत लॉकडाउन की अवधि में अब तक 900 करोड़ रूपए की राशि उनके खातों में अंतरित की जा चुकी है। इस अवधि में किसानों को राज्य शासन द्वारा खेती-किसानी के लिए आवश्यक छूट के साथ ही उनके उत्पाद के विक्रय की भी व्यवस्था सुनिश्चित की गई है।किसानों को रबी फसल बीमा की राशि का भुगतान भी शुरू कर दिया गया है। राज्य के कबीरधाम, मंुगेली और बलरामपुर जिले के 2668 किसानों को 2 करोड़ 59 लाख रूपए की राशि जारी की जा चुकी है। कृषि और जल संसाधन मंत्री श्री रविन्द्र चौबे ने बताया कि ग्रामीणों को वृहद पैमाने पर गांव में रोजगार देने के उद्देश्य से कृषि विभाग द्वारा वाटरशेड मिशन के काम भी शुरू कराए गए हैं। इससे 25 लाख मानव दिवस का सृजन होगा। उन्होंने यह भी बताया कि जल संसाधन विभाग के बंद पड़े निर्माणाधीन कार्याें को भी शुरू कराया गया है। विभाग के टेंडर वाले लगभग 250 करोड़ रूपए की लागत वाले निर्माण कार्य भी शुरू कराए जा रहे है ताकि लोगों को गांव में ही रोजगार मिल सके। बोधघाट परियोजना का काम भी तेजी से शुरू कराया जा रहा है।

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