Viksit Bharat G RAM G Scheme : मोदी सरकार लाई विकसित भारत-जी राम जी स्कीम, अब 100 नहीं सीधे 125 दिन काम की गारंटी, योजना की पूरी जानकारी यहां

यह नई योजना मनरेगा की पुरानी रूपरेखा को खत्म करके, देश को विकसित भारत 2047 के राष्ट्रीय विज़न के साथ जोड़ने का लक्ष्य रखती है।

Update: 2025-12-15 08:27 GMT

Viksit Bharat G RAM G Scheme : मोदी सरकार लाई विकसित भारत-जी राम जी स्कीम, अब 100 नहीं सीधे 125 दिन काम की गारंटी, योजना की पूरी जानकारी यहां

Viksit Bharat G RAM G Scheme : नई दिल्ली : केंद्र सरकार ग्रामीण रोजगार गारंटी के क्षेत्र में एक बड़ा बदलाव लाने की तैयारी में है। ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार और आजीविका सुनिश्चित करने वाली महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (MGNREGA/मनरेगा) की जगह अब एक नई योजना लाने की तैयारी है, जिसका नाम है विकसित भारत गारंटी फॉर रोजगार एंड आजीविका मिशन (ग्रामीण), संक्षेप में VB-G RAM G

Viksit Bharat G RAM G Scheme : यह नई योजना मनरेगा की पुरानी रूपरेखा को खत्म करके, देश को विकसित भारत 2047 के राष्ट्रीय विज़न के साथ जोड़ने का लक्ष्य रखती है। इस संबंध में आज (सोमवार) संसद में बिल पेश किया जाएगा, हालांकि इसे लेकर सदन में हंगामे की आशंका है।

Viksit Bharat G RAM G Scheme : 100 दिन नहीं, अब 125 दिन रोजगार की गारंटी

मनरेगा कानून, जो UPA सरकार द्वारा 2005 में लाया गया था, ग्रामीण परिवारों को हर वित्तीय वर्ष में 100 दिनों के रोजगार की वैधानिक गारंटी देता था। लेकिन अब नई प्रस्तावित योजना विकसित भारत-जी राम जी (VB-G RAM G) इस गारंटी को बढ़ाकर 125 दिन करने जा रही है। इसका मतलब है कि प्रत्येक ग्रामीण परिवार के उन वयस्क सदस्यों को, जो बिना स्किल्ड मैनुअल काम करने के लिए तैयार हैं, हर वित्तीय वर्ष में 125 दिनों के मजदूरी रोजगार की कानूनी गारंटी मिलेगी। इस महत्वपूर्ण वृद्धि को ग्रामीण परिवारों की आजीविका सुरक्षा को और अधिक मजबूत करने की दिशा में एक बड़ा कदम माना जा रहा है।

मनरेगा क्यों खत्म हो रहा है?

मनरेगा पिछले 20 सालों से ग्रामीण परिवारों को गारंटी वाला मजदूरी रोजगार देता आया है। हालांकि, ग्रामीण विकास मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने बताया कि पिछले दो दशकों में ग्रामीण क्षेत्रों में महत्वपूर्ण सामाजिक-आर्थिक बदलाव आए हैं। सरकारी योजनाओं के व्यापक कवरेज और सैचुरेशन-ओरिएंटेड कार्यान्वयन के कारण अब इस योजना को और अधिक मजबूती देना आवश्यक हो गया है। मंत्री चौहान ने स्पष्ट किया कि जहां मनरेगा का मुख्य फोकस केवल आजीविका सुरक्षा बढ़ाने पर था, वहीं नया बिल इससे आगे बढ़कर काम करेगा।

नए बिल का मकसद : सशक्तिकरण और तालमेल

विकसित भारत-जी राम जी (VB-G RAM G) योजना का मकसद सिर्फ रोजगार देना नहीं है, बल्कि समृद्ध और मजबूत ग्रामीण भारत का निर्माण करना है। मंत्री के अनुसार, यह योजना सार्वजनिक कार्यों के जरिए निम्नलिखित पहलुओं पर जोर देगी:

सशक्तिकरण (Empowerment): ग्रामीण समुदायों को मजबूत बनाना। विकास (Development): समग्र ग्रामीण विकास को बढ़ावा देना। तालमेल (Convergence) : विभिन्न सरकारी योजनाओं के साथ बेहतर समन्वय स्थापित करना। सैचुरेशन (Saturation): यह सुनिश्चित करना कि हर पात्र परिवार को योजना का लाभ मिले। ये सभी प्रयास मिलकर एक विकसित भारत नेशनल रूरल इंफ्रास्ट्रक्चर स्टैक का निर्माण करेंगे, जो ग्रामीण क्षेत्रों में मजबूत और टिकाऊ बुनियादी ढांचा तैयार करेगा।

2047 के विज़न से जुड़ाव

बिल की एक प्रति के अनुसार, इस नए कानून का मुख्य लक्ष्य 2005 के मनरेगा अधिनियम को खत्म करके, एक ऐसा ग्रामीण विकास ढाँचा बनाना है जो सीधे तौर पर विकसित भारत 2047 के राष्ट्रीय विज़न के साथ जुड़ा हो। इसका अर्थ है कि अब रोजगार गारंटी योजना केवल एक सुरक्षा कवच नहीं रहेगी, बल्कि यह देश के दीर्घकालिक विकास लक्ष्यों को प्राप्त करने का एक सक्रिय माध्यम बनेगी।

इस बिल का संसद में पेश होना, देश की ग्रामीण रोजगार नीति में एक युग का अंत और एक नए, अधिक महत्त्वाकांक्षी युग की शुरुआत का संकेत देता है। सरकार को उम्मीद है कि यह योजना ग्रामीण भारत में न केवल रोजगार के अवसर बढ़ाएगी, बल्कि उन्हें देश के विकास पथ पर एक मजबूत भागीदार भी बनाएगी।


महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (MGNREGA), जिसका मूल नाम NREGA था, भारतीय ग्रामीण अर्थव्यवस्था के लिए एक ऐतिहासिक मील का पत्थर था जिसे UPA सरकार ने 2005 में संसद में पेश किया था। यह योजना ग्रामीण परिवारों के वयस्क सदस्यों को प्रत्येक वित्तीय वर्ष में 100 दिनों के मजदूरी रोजगार की वैधानिक गारंटी देती थी, जिसका उद्देश्य आजीविका सुरक्षा को मजबूत करना था। 2009 में इसे महात्मा गांधी का नाम देकर MGNREGA किया गया। 1 अप्रैल 2008 तक यह अधिनियम पूरे देश के सभी जिलों में विस्तारित हो चुका था, जिसने ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों को एक सामाजिक सुरक्षा कवच प्रदान किया और पलायन को रोकने तथा स्थानीय स्तर पर परिसंपत्तियों के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

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