Supreme Court News: लापता बच्चों की खोजबीन के लिए बने पोर्टल में नोडल अफसरों के नाम गायब: सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को दिए ये निर्देश
Supreme Court News: देश के अलग-अलग हिस्से से गुमशुदा बच्चों की खोजबीन के लिए केंद्र सरकार ने मिशन वात्सल्य पोर्टल बनाया है। इसमें देशभर के राज्यों के नोडल अधिकारियों के नाम, मोबाइल नंबर सहित जरुरी जानकारी अपलोड करनी है। जनहित याचिका की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट यह सुनकर हैरान रह गया कि पोर्टल में राज्यवार नोडल अफसरों की जानकारी नहीं है। डिवीजन बेंच ने केंद्र सरकार को निर्देशित किया है कि राज्यवार नोडल अधिकारियों के नाम,मोबाइल नंबर व जरुरी जानकारी उपलब्ध कराई जाए। राज्यवार मिलने वाली जानकारी को पोर्टल पर अपलोड करने का निर्देश दिया है।
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Supreme Court News: दिल्ली। देश के अलग-अलग हिस्से से गुमशुदा बच्चों की खोजबीन के लिए केंद्र सरकार ने मिशन वात्सल्य पोर्टल बनाया है। इसमें देशभर के राज्यों के नोडल अधिकारियों के नाम, मोबाइल नंबर सहित जरुरी जानकारी अपलोड करनी है। जनहित याचिका की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट यह सुनकर हैरान रह गया कि पोर्टल में राज्यवार नोडल अफसरों की जानकारी नहीं है। डिवीजन बेंच ने केंद्र सरकार को निर्देशित किया है कि राज्यवार नोडल अधिकारियों के नाम,मोबाइल नंबर व जरुरी जानकारी उपलब्ध कराई जाए ताकि तय समय पर उसे पोर्टल पर अपलोड करने का निर्देश दिया है।
स्वयंसेवी संस्था द्वारा दायर जनहित याचिका पर जस्टिस बीवी नागरत्ना और जस्टिस आर महादेवन की डिवीजन बेंच में सुनवाई हुई। वात्सल्य पोर्टल पर प्राप्त होने वाले लापता बच्चों के बारे में नोडल अधिकारियों को जानकारी दी जानी चाहिए। डिवीजन बेंच ने साफ कहा कि वात्सल्य पोर्टल पर गुमशुदा बच्चों के बारे में शिकायत प्राप्त होने पर नोडल अफसरों को उसी समय सूचना दी जाएगी,ताकि गुमशुदा बच्चों का पता लगाने, अपहरणकर्ताओं की जांच करने के अलावा अन्य जरुरी कदम उठा सकेंगे।
डिवीजन बेंच ने खोया-पाया पोर्टल पर दर्ज बाल तस्करी और गुमशुदा बच्चों के अनसुलझे मामलों को लेकर एक स्वयंसेवी संस्था द्वारा दायर जनहित याचिका पर सुनवाई के बाद कोर्ट ने यह आदेश पारित किया। स्वयंसेवी संस्था द्वारा दायर जनहित याचिका में उन बच्चों की दुर्दशा को उजागर किया गया, जो कई राज्यों में सक्रिय संगठित तस्करी नेटवर्क के शिकार हैं। कोर्ट ने सुनवाई के दौरान कहा था कि अपहृत या तस्करी किए गए बच्चों का पता लगाने में एक बड़ी कठिनाई तस्करी नेटवर्क की व्यापक और अंतर-राज्यीय प्रकृति है। लिहाजा बेंच ने केंद्रीय गृह मंत्रालय की देखरेख में एक समन्वित तंत्र की आवश्यकता पर बल दिया। कोर्ट ने कहा कि प्रत्येक राज्य में एक नोडल अधिकारी की नियुक्ति करने व नोडल अधिकारियों को गुमशुदा बच्चों के बारे में शिकायत दर्ज करने और सूचना प्रेषित करने की जिम्मेदारी हो। याचिका की सुनवाई के दौरान डिवीजन बेंच ने टिप्प्णी की कि ऐसा देखा जा रहाहै राज्य और केंद्र शासित प्रदेशों की पुलिस के बीच समन्वय का अभाव है। इसका दुष्परिणाम गुम हुए या फिर तस्करी के शिकार हुए बच्चों को भुगतना पड़ता है।
केंद्र सरकार की ओर से पैरवी करते हुए एडिशनल सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी ने डिवीजन बेंच को बताया कि लापता बच्चों का पता लगाने के लिए एक साझा पोर्टल, महिला एवं बाल विकास मंत्रालय के अंतर्गत ट्रैकचाइल्ड पोर्टल, को मिशन वात्सल्य प्लेटफॉर्म में खोया-पाया पोर्टल के साथ लिंक कर दिया गया है। मिशन वात्सल्य पोर्टल में पहले से ही 14 विभिन्न विभाग शामिल है, इसमें विशेष किशोर पुलिस इकाइयां, जिला अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो, आपराधिक जांच विभाग, राज्य अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो, रेलवे सुरक्षा बल, गृह मंत्रालय, जिला बाल संरक्षण इकाइयां, बाल कल्याण समितियाँ, ज़िला मजिस्ट्रेट, मानव तस्करी विरोधी इकाइयां, किशोर न्याय बोर्ड, बाल देखभाल संस्थान, राज्य दत्तक ग्रहण संसाधन एजेंसी और केंद्रीय दत्तक ग्रहण संसाधन प्राधिकरण।
जनहित याचिका की सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि प्रत्येक राज्य और केंद्र शासित प्रदेश को यह सुनिश्चित करना होगा कि सभी जिलों और क्षेत्रों में नोडल अधिकारियों का एक नेटवर्क स्थापित करें ताकि सूचना का प्रसार सुगम हो सके।