Shubhanshu Shukla Space Return: शुभांशु शुक्ल ने रचा इतिहास! 18 दिन अंतरिक्ष में बिताकर लौटे धरती पर, जानिए मिशन की पूरी कहानी

Shubhanshu Shukla Space Return: भारतीय अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला 18 दिन अंतरिक्ष में बिताने के बाद धरती पर लौट आए हैं। एक्सिओम-4 मिशन के तहत उन्होंने ISS में ऐतिहासिक प्रयोग किए। पढ़ें पूरी जानकारी।

Update: 2025-07-15 10:17 GMT
Shubhanshu Shukla Space Return: शुभांशु शुक्ल ने रचा इतिहास! 18 दिन अंतरिक्ष में बिताकर लौटे धरती पर, जानिए मिशन की पूरी कहानी
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Shubhanshu Shukla: भारत के लिए गर्व की बात है कि भारतीय वायुसेना के पायलट और अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला सफलतापूर्वक अपने 18 दिवसीय अंतरिक्ष मिशन को पूरा कर मंगलवार को धरती पर लौट आए। वह एक्सिओम-4 (Axiom-4) मिशन के तहत 25 जून 2025 को फ्लोरिडा के कैनेडी स्पेस सेंटर से अंतरिक्ष के लिए रवाना हुए थे।

Falcon 9 से ISS तक: 28 घंटे की रोमांचक यात्रा

शुभांशु शुक्ला, अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी एक्सिओम और SpaceX के सहयोग से Falcon 9 रॉकेट में सवार होकर चार सदस्यीय दल के साथ 28 घंटे की यात्रा के बाद इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (ISS) पहुंचे थे। उन्होंने वहां 18 दिन बिताए और कई वैज्ञानिक प्रयोगों में भाग लिया।

शुभांशु के साथ कौन-कौन था इस मिशन में?

Axiom-4 मिशन में शुभांशु के साथ अंतरिक्ष के अनुभवी कमांडर पैगी व्हिट्सन, पोलैंड के वैज्ञानिक स्लावोज़ उज्नान्स्की-विस्नीव्स्की, और हंगरी के अंतरिक्ष यात्री टिबोर कापू शामिल थे।

वापसी की यात्रा: 22.5 घंटे का सफर

अंतरिक्ष यान ड्रैगन 'ग्रेस' ने 15 जुलाई को भारतीय समयानुसार शाम 4:45 बजे ISS से अलग होकर वापसी की। इसके बाद करीब 22.5 घंटे की यात्रा करके यह यान कैलिफोर्निया के सैन डिएगो में मंगलवार दोपहर 3 बजे सुरक्षित उतरा।

भारत के लिए क्यों खास है यह मिशन?

  • शुभांशु शुक्ला, 1984 में राकेश शर्मा के बाद अंतरिक्ष में जाने वाले दूसरे भारतीय हैं।
  • उन्होंने अपने मिशन के दौरान विज्ञान, बायोटेक्नोलॉजी, और स्पेस फिजियोलॉजी से जुड़े प्रयोग किए।
  • यह मिशन भारत को अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष समुदाय में नई पहचान देने वाला साबित हुआ।

क्या किया अंतरिक्ष में 18 दिन तक?

मिशन के दौरान दल ने माइक्रोग्रैविटी में कोशिका व्यवहार, मानव शरीर पर अंतरिक्ष का प्रभाव, और स्पेस फार्मिंग जैसे प्रोजेक्ट्स पर काम किया। इन प्रयोगों से भविष्य के अंतरिक्ष अभियानों और पृथ्वी पर चिकित्सा क्षेत्र को नई दिशा मिल सकती है।

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