Defamation Case: सुप्रीम कोर्ट में CM अरविंद केजरीवाल ने सुप्रीम कोर्ट से मांगी माफी, कहा- की वीडियो रिट्वीट करके की भूल

Defamation Case: भाजपा की IT सेल से जुड़े मानहानि मामले में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने अब अपनी गलती स्वीकार ली है। आम आदमी पार्टी (AAP) के संयोजक ने इस मामले में सुप्रीम कोर्ट से माफी मांगी है

Update: 2024-02-26 13:38 GMT

Defamation Case: भाजपा की IT सेल से जुड़े मानहानि मामले में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने अब अपनी गलती स्वीकार ली है। आम आदमी पार्टी (AAP) के संयोजक ने इस मामले में सुप्रीम कोर्ट से माफी मांगी है और कहा है कि उन्होंने यूट्यूबर ध्रुव राठी के उस वीडियो को रिट्वीट करके गलती कर दी, जिसमें IT सेल पर आरोप लगाए गए थे। अब इस मामले पर अगली सुनवाई 11 मार्च को होगी। तब तक निचले कोर्ट की कर्यवाही स्थगित रहेगी।

केजरीवाल ने आपराधिक मानहानि मामले में उन्हें जारी किए गए समन को बरकरार रखने के दिल्ली हाई कोर्ट के आदेश को चुनौती दी थी। केजरीवाल की तरफ पेश वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक सिंघवी ने कहा, "मुझे कोर्ट में यह कहने में कोई आपत्ति नहीं है कि मैंने (केजरीवाल) रिट्वीट करके गलती की थी।" इसपर न्यायमूर्ति संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता की पीठ ने शिकायतकर्ता से पूछा, "क्या वह मुख्यमंत्री की माफी के मद्देनजर मामले को बंद करना चाहते हैं?"

क्या है मामला?

दरअसल, यह मामला 2018 का है। केजरीवाल ने ध्रुव राठी के यूट्यूब चैनल के एक वीडियो को शेयर किया था, जिसका नाम 'भाजपा आईटी सेल-2' था। सोशल मीडिया पेज 'आई सपोर्ट नरेंद्र मोदी' के संस्थापक विकास सांकृत्यायन उर्फ विकास पांडे ने केजरीवाल के खिलाफ मानहानि का केस दर्ज करवाया था क्योंकि वीडियो में राठी ने विकास पर अपमानजनक आरोप लगाए थे। दिल्ली की निचले कोर्ट ने प्रथमदृष्ट्या में इसे मानहानिकारक मानते हुए केजरीवाल को तलब किया था।

ध्रुव राठी के वीडियो में दावा किया गया कि विकास पांडे ने किसी अभिषेक मिश्रा के माध्यम से भाजपा IT सेल के पूर्व सदस्य महावीर प्रसाद को 50 लाख रुपये का ऑफर दिया था। विकास ने इन आरोपों को झूठा बताया और कहा कि उनकी छवि खराब करने की कोशिश की गई। उन्होंने आरोप लगाया कि केजरीवाल के देश-विदेश में बड़ी संख्या में फॉलोवर्स हैं और उन्होंने बिना तथ्यों की जांच किए वीडियो शेयर कर उनकी छवि को नुकसान पहुंचाया।

5 फरवरी के अपने फैसले में हाई कोर्ट ने कहा था कि अपमानजनक सामग्री को दोबारा पोस्ट करने पर भारतीय दंड संहिता, 1860 की धारा 499 के तहत मानहानि का कानून लागू होगा। कोर्ट ने निचले कोर्ट के आदेश को बरकरार रखा। कोर्ट ने माना कि जब कोई जनप्रतिनिधि मानहानिकारक पोस्ट ट्वीट करता है तो इसका असर व्यापक होता है। ऐसे में पोस्ट करते समय जिम्मेदारी की भावना होनी चाहिए। इसके बाद केजरीवाल ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था।

केजरीवाल ने हाई कोर्ट में दलील दी थी कि निचला कोर्ट इस बात को समझने में विफल रहा कि ट्वीट का उद्देश्य शिकायतकर्ता विकास को नुकसान पहुंचाना नहीं था। उन्होंने तर्क दिया था कि निचले कोर्ट ने पर्याप्त कारण बताए बिना समन जारी करने में गलती की है। बता दें कि इस मामले में ट्वीट किए गए वीडियो की पूरी ट्रांसक्रिप्ट भी विकास ने कोर्ट में पेश की थी, जिसके बाद केजरीवाल को समन भेजा गया था।

अरविंद केजरीवाल शराब नीति मामले में भी मुश्किलों का सामना कर रहे हैं। इस मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ED) उन्हें पूछताछ के लिए कई समन जारी कर चुकी है। इसके बावजूद वह पूछताछ के लिए पेश नहीं हुए, जिसके बाद ED ने राउज एवेन्यू कोर्ट का रुख किया है। 17 फरवरी को इस मामले पर सुनवाई हुई तो केजरीवल ने और समय मांगा, जिसके बाद कोर्ट ने 16 मार्च को सुनवाई की तारीख तय की।

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