Puja Khedkar Case: पूजा खेडकर फर्जी प्रमाण पत्र मामले पर सख्त कार्रवाई, सर्टिफिकेट देने वाले सरकारी कर्मचारियों की जाएगी नौकरी
Puja Khedkar Case: पूर्व IAS ट्रेनी अधिकारी पूजा खेडकर के विवाद के बाद, सरकार ने फर्जी दस्तावेजों के आधार पर सरकारी नौकरी हासिल करने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई का संकेत दिया है।
Puja Khedkar Case: पूर्व IAS ट्रेनी अधिकारी पूजा खेडकर के विवाद के बाद, सरकार ने फर्जी दस्तावेजों के आधार पर सरकारी नौकरी हासिल करने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई का संकेत दिया है। केंद्रीय कार्मिक राज्य मंत्री जितेंद्र सिंह ने गुरुवार, 8 अगस्त 2024 को राज्यसभा में बताया कि अगर कोई सरकारी कर्मचारी गलत जानकारी देकर या फर्जी सर्टिफिकेट पेश करके नौकरी हासिल करता है, तो उसे सेवा से हटाया या बर्खास्त किया जा सकता है।
फर्जी सर्टिफिकेट पर बर्खास्तगी का प्रावधान
मंत्री जितेंद्र सिंह ने राज्यसभा में बताया कि सरकार को समय-समय पर फर्जी जाति प्रमाण पत्र के आधार पर नौकरी पाने की शिकायतें मिलती हैं। इन शिकायतों को संबंधित मंत्रालयों और विभागों को उचित कार्रवाई के लिए भेजा जाता है। उन्होंने स्पष्ट किया कि मौजूदा निर्देशों के अनुसार, अगर कोई कर्मचारी नियुक्ति पाने के लिए गलत जानकारी देता है या गलत प्रमाण पत्र पेश करता है, तो उसे सरकारी सेवा से बाहर किया जा सकता है।
पूजा खेडकर की उम्मीदवारी रद्द
हाल ही में संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) ने प्रोबेशनरी आईएएस अधिकारी पूजा खेडकर की उम्मीदवारी रद्द कर दी थी। उन पर सिविल सेवा परीक्षा में धोखाधड़ी का आरोप लगा था, जिसमें उन्होंने दिव्यांगता और अन्य पिछड़ा वर्ग कोटे का दुरुपयोग किया था। इसके चलते उन्हें भविष्य की सभी UPSC परीक्षाओं से भी वंचित कर दिया गया है।
राज्य सरकारों की जिम्मेदारी
मंत्री जितेंद्र सिंह ने यह भी बताया कि जाति/समुदाय प्रमाण पत्र जारी करने और उसकी सत्यता की जांच करने की जिम्मेदारी संबंधित राज्य सरकारों की होती है। उन्होंने कहा कि कई मौकों पर राज्य और केंद्र शासित प्रदेशों को निर्देशित किया गया है कि वे जिला अधिकारियों द्वारा जारी किए गए जाति प्रमाण पत्रों का सत्यापन सुनिश्चित करें और एक महीने के भीतर रिपोर्ट सौंपें। अगर रिपोर्ट समय पर नहीं मिलती है, तो संबंधित मंत्रालयों या विभागों को इसे राज्य या केंद्र शासित प्रदेशों के साथ उठाने की जरूरत है।
सिविल सेवकों की पहचान का प्रयास
यह बयान तब आया जब मंत्री से यह पूछा गया कि कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग (DoPT) द्वारा ऐसे सिविल सेवकों की पहचान के लिए क्या कदम उठाए जा रहे हैं, जिन्होंने बेंचमार्क दिव्यांगता, गैर-क्रीमी लेयर, या अन्य प्रमाण पत्रों का गलत तरीके से उपयोग कर विभिन्न सिविल सेवाओं में नियुक्ति हासिल की है।