Pahalgam Terror Attack: पहलगाम आतंकी हमला जांच में NIA ने अपनाई 3D मैपिंग तकनीक, अब तक 2,500 से अधिक लोगों से पूछताछ, 180 हिरासत में
Pahalgam Terror Attack: जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में 22 अप्रैल को हुए आतंकी हमले को एक हफ्ते से ज्यादा समय बीत चुका है, लेकिन राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) को अभी तक कोई बड़ी सफलता नहीं मिली है।

Pahalgam Terror Attack: जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में 22 अप्रैल को हुए आतंकी हमले को एक हफ्ते से ज्यादा समय बीत चुका है, लेकिन राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) को अभी तक कोई बड़ी सफलता नहीं मिली है। इस हमले में 26 पर्यटकों की जान चली गई थी, जिसने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया। NIA ने जांच को तेज करते हुए बैसरन घाटी में घटनास्थल की 3D मैपिंग शुरू की है और 2500 से ज्यादा लोगों से पूछताछ की है। आइए जानते हैं कि NIA की जांच कहां तक पहुंची और 3D मैपिंग कैसे इस मामले को सुलझाने में मदद कर रही है।
3D मैपिंग क्या है?
3D मैपिंग एक हाई-टेक तकनीक है, जो किसी स्थान, वस्तु या वातावरण की त्रिआयामी (3D) डिजिटल तस्वीर बनाती है। यह 2D इमेज के मुकाबले ज्यादा सटीक और विस्तृत जानकारी देती है। ड्रोन, लिडार, कैमरे और सेंसर जैसे उपकरणों की मदद से डेटा इकट्ठा किया जाता है, जिसे सॉफ्टवेयर के जरिए 3D मॉडल में बदला जाता है।
पहलगाम में 3D मैपिंग क्यों?
NIA ने बैसरन घाटी में ड्रोन और सैटेलाइट इमेजरी का इस्तेमाल कर घटनास्थल का 3D मॉडल तैयार किया है। एक अधिकारी ने मीडिया को बताया, "3D मैपिंग से हमले के समय की घटनाओं का सटीक विश्लेषण किया जा सकता है। यह आतंकियों के प्रवेश और निकास मार्ग, उनकी गतिविधियों और पर्यटकों की स्थिति को समझने में मदद करता है।"
इस तकनीक से:
- आतंकियों के आने और भागने के रास्ते का पता लगाया जा सकता है।
- हमले के समय बैसरन घाटी में मौजूद लोगों की सटीक स्थिति जानी जा सकती है।
- कोर्ट में सबूत पेश करने और मामले को मजबूत करने में सहायता मिलेगी।
NIA ने इस तकनीक का इस्तेमाल पहले 2019 के पुलवामा हमले की जांच में भी किया था, जहां यह आतंकियों के रास्तों और हमले के समय को समझने में कारगर साबित हुई थी।
NIA की अब तक की कार्रवाई
NIA ने हमले की जांच को अपने हाथ में लेने के बाद कई बड़े कदम उठाए हैं:
- पूछताछ और हिरासत: NIA ने अब तक 2500 से ज्यादा लोगों से पूछताछ की है, जिनमें से 180 को हिरासत में लिया गया है। इनमें स्थानीय लोग, टट्टू चालक, विक्रेता और जिपलाइन ऑपरेटर शामिल हैं।
- 3D मैपिंग और ड्रोन सर्वे: बैसरन घाटी की 3D मैपिंग के साथ-साथ ड्रोन सर्वे किया गया है ताकि यह पता लगाया जा सके कि आतंकी किन रास्तों से आए और कहां छिपे हो सकते हैं।
- छापेमारी और कार्रवाई: जम्मू-कश्मीर में हुर्रियत कॉन्फ्रेंस और जमात-ए-इस्लामी जैसे प्रतिबंधित संगठनों के समर्थकों के घरों पर छापेमारी की गई है। कम से कम 10 आतंकियों के घरों को बम से उड़ा दिया गया है।
- फॉरेंसिक जांच: घटनास्थल से मिले खाली कारतूस और अन्य सबूतों को फॉरेंसिक लैब में भेजा गया है ताकि हथियारों की जानकारी मिल सके।
- डिजिटल फुटप्रिंट: खुफिया एजेंसियों ने हमले के डिजिटल सबूतों को पाकिस्तान के मुजफ्फराबाद और कराची से जोड़ा है, जिससे क्रॉस-बॉर्डर साजिश की आशंका गहरा गई है।
22 अप्रैल को बैसरन घाटी में 5-7 आतंकियों ने पर्यटकों पर अंधाधुंध गोलीबारी की, जिसमें 25 भारतीय और एक नेपाली नागरिक की मौत हो गई। हमले को पाकिस्तान समर्थित लश्कर-ए-तैयबा की शाखा द रेसिस्टेंस फ्रंट (TRF) ने अंजाम दिया, जिसका मास्टरमाइंड सैफुल्लाह खालिद बताया जा रहा है।
NIA के सामने सबसे बड़ी चुनौती आतंकियों का घने जंगलों और प्राकृतिक गुफाओं में छिपना है। इसके अलावा, स्थानीय ओवरग्राउंड वर्कर्स (OGWs) की भूमिका भी जांच के दायरे में है। NIA ने 14 स्थानीय आतंकियों की सूची तैयार की है, जो हिजबुल मुजाहिदीन, लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद से जुड़े हैं।
पहलगाम हमला न सिर्फ जम्मू-कश्मीर के पर्यटन पर एक बड़ा धक्का है, बल्कि यह राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए भी गंभीर चुनौती है। NIA की 3D मैपिंग और गहन जांच से यह उम्मीद है कि आतंकियों की साजिश का पर्दाफाश होगा और दोषियों को सजा मिलेगी। यह तकनीक न केवल जांच को तेज कर रही है, बल्कि भविष्य में ऐसे हमलों को रोकने के लिए भी रणनीति बनाने में मदद करेगी।