नेपाल में अराजकता: जेलों में हिंसा..अब तक 15,000 से ज़्यादा कैदी फ़रार, भारत-नेपाल सीमा पर हाई अलर्ट जारी

नेपाल में भ्रष्टाचार और सोशल मीडिया प्रतिबंध के खिलाफ युवाओ के हिंसक विरोध प्रदर्शन ने देशभर में राजनीति अस्थिरता फैला दी है। ऐसे में अब इसका असर नेपाल की जेलों पर भी देखने को मिल रहा है...

Update: 2025-09-11 09:27 GMT

(NPG file photo)

नई दिल्ली/काठमांडू। नेपाल में हालात पूरी तरह बेकाबू हो गए हैं। सोशल मीडिया पर बैन और भ्रष्टाचार के ख़िलाफ़ युवाओं का प्रदर्शन अब पूरे देश की जेलों तक पहुँच गया है। हालात इतने बिगड़ गए हैं कि पिछले तीन दिनों में करीब 15,000 कैदी जेलों से भाग निकले हैं। इस पूरी अराजकता को देखकर लग रहा है कि नेपाल में क़ानून-व्यवस्था ख़त्म हो चुकी है।

जेलों में ख़ूनी संघर्ष और धमाके

यह सारा बवाल तब शुरू हुआ जब कुछ दिनों पहले प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली की सरकार ने सोशल मीडिया पर बैन लगाया। इसके ख़िलाफ़ युवाओं ने सड़कों पर प्रदर्शन शुरू कर दिए, जो देखते ही देखते हिंसक हो गए। इन प्रदर्शनकारियों ने जेलों पर हमला किया, जिससे जेल के अंदर के हालात और भी ख़राब हो गए।

रामेछाप ज़िले की एक जेल में तो कैदियों और सुरक्षाकर्मियों के बीच ज़बरदस्त झड़प हुई। कैदियों ने भागने के लिए गैस सिलेंडर से धमाका किया, जिसके बाद सुरक्षाबलों को मजबूरन गोली चलानी पड़ी। इस खूनी झड़प में तीन कैदी मारे गए और 13 घायल हो गए। इस घटना से पता चलता है कि जेल के अंदर भी कितना ख़तरा है। मंगलवार से अब तक जेल हिंसा में मरने वाले कैदियों की संख्या आठ हो गई है, जो बहुत ही चिंता की बात है।

हज़ारों कैदी रातों-रात हुए गायब

हिंसा के बाद, देश की कई बड़ी जेलों से कैदी भाग निकले। अकेले काठमांडू में ही तीन जेलों से 5,800 से ज़्यादा कैदी फ़रार हो गए। इनमें सुंदरहर जेल से 3,300, नक्कू जेल से 1,400 और डिल्लीबाज़ार जेल से 1,100 कैदी शामिल हैं।

इसी तरह की घटनाएँ देश के दूसरे हिस्सों में भी हुईं। सुनसरी की झुम्का जेल से 1,575, चितवन से 700, कपिलवस्तु से 459, कैलाली से 612, और कंचनपुर से 478 कैदी भाग गए। रौतहट की गौर जेल से 291 कैदियों में से 260 भाग निकले, और इनमें से सिर्फ़ 31 को ही पकड़ा गया है।

नाबालिगों के सुधार गृह भी सुरक्षित नहीं

यह हिंसा सिर्फ़ बड़े कैदियों तक ही सीमित नहीं रही। पश्चिम नेपाल के बांके ज़िले में मौजूद नौबस्ता सुधार गृह में भी मंगलवार रात को हिंसा भड़क उठी। यहाँ भी नाबालिग कैदियों ने सुरक्षा गार्ड से हथियार छीनने की कोशिश की, जिसके बाद पुलिस ने गोली चलाई। इस घटना में पाँच नाबालिग कैदियों की मौत हो गई। इस घटना ने पूरे देश को हिलाकर रख दिया है।

प्रधानमंत्री का इस्तीफ़ा और भारत पर खतरा

इन लगातार हो रहे हिंसक प्रदर्शनों के दबाव में प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली को मंगलवार को अपने पद से इस्तीफ़ा देना पड़ा। देश में क़ानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए सेना को तैनात कर दिया गया है, लेकिन हालात अभी भी काबू में नहीं आए हैं।

नेपाल की जेलों से इतने सारे कैदियों के भागने के बाद, भारत की सुरक्षा भी खतरे में आ गई है। भारत-नेपाल सीमा पर कड़ी निगरानी बढ़ा दी गई है, क्योंकि कई कैदियों को भारत की तरफ़ भागते हुए देखा गया है। दोनों देशों की सुरक्षा एजेंसियाँ मिलकर फरार कैदियों को पकड़ने की कोशिश कर रही हैं। यह संकट न सिर्फ़ नेपाल के लिए बल्कि भारत के लिए भी एक बड़ा ख़तरा बन गया है।

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