Kolkata Rape Murder Case: डॉक्टरों का आमरण अनशन जारी, जूनियर डॉक्टर की तबीयत बिगड़ी, अस्पताल में भर्ती

Kolkata Rape Murder Case: कोलकाता के आरजी कर अस्पताल में जूनियर महिला डॉक्टर के साथ हुई दरिंदगी का मामला शांत नहीं हो रहा है। पीड़िता को न्याय दिलाने के लिए डॉक्टरों का प्रदर्शन और आमरण अनशन लगातार जारी है।

Update: 2024-10-14 06:13 GMT

Kolkata Rape Murder Case: कोलकाता के आरजी कर अस्पताल में जूनियर महिला डॉक्टर के साथ हुई दरिंदगी का मामला शांत नहीं हो रहा है। पीड़िता को न्याय दिलाने के लिए डॉक्टरों का प्रदर्शन और आमरण अनशन लगातार जारी है। इस दौरान एनआरएस मेडिकल कॉलेज के जूनियर डॉक्टर पुलस्थ आचार्य की तबीयत बिगड़ गई, जिन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया है। पेट में तेज दर्द की शिकायत के बाद पुलस्थ आचार्य को बीती रात अस्पताल ले जाया गया। वह अनशन के दौरान अस्पताल में भर्ती होने वाले चौथे डॉक्टर हैं।

डॉक्टर्स पिछले 10 दिनों से (5 अक्टूबर से) अनिश्चितकालीन आमरण अनशन पर बैठे हुए हैं। अब तक 11 डॉक्टरों में से चार की तबीयत बिगड़ चुकी है। पुलस्थ आचार्य से पहले आरजी कर मेडिकल कॉलेज के अनिकेत महतो, कोलकाता मेडिकल कॉलेज के अनुस्तुप मजूमदार और नॉर्थ बंगाल मेडिकल कॉलेज के आलोक वर्मा की भी तबीयत खराब होने पर अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा था।

150 से ज्यादा डॉक्टरों ने दिया सामूहिक इस्तीफा

महिला डॉक्टर के साथ हुई दरिंदगी के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे इन डॉक्टर्स के समर्थन में राज्य के विभिन्न मेडिकल कॉलेजों के 150 से ज्यादा सीनियर डॉक्टरों ने सामूहिक इस्तीफा दे दिया है। आरजी कर अस्पताल के 100 से अधिक सीनियर डॉक्टरों ने अपना पद छोड़ दिया, वहीं नॉर्थ बंगाल मेडिकल कॉलेज के 50 सीनियर डॉक्टरों ने भी सामूहिक इस्तीफा सौंपा है।

सरकार पर दबाव, लेकिन मांगे पूरी नहीं

डॉक्टरों की मुख्य मांगों में स्वास्थ्य सचिव एन.एस. निगम को हटाने की मांग शामिल है। हालांकि, राज्य सरकार के आश्वासन के बाद भी इनकी मांगें पूरी नहीं हुई हैं। इसके चलते आज से डॉक्टर्स ने फिर से 48 घंटे की हड़ताल बुलाई है। डॉक्टरों का कहना है कि जब तक उनकी मांगें पूरी नहीं होंगी, वे आंदोलन जारी रखेंगे।

कोलकाता के डॉक्टर्स अपनी मांगों को लेकर लगातार अनशन पर डटे हुए हैं, और सरकार पर दबाव बनाने के लिए सामूहिक इस्तीफों का सहारा ले रहे हैं। इस स्थिति में जल्द समाधान निकलना जरूरी है ताकि चिकित्सा सेवाएं बाधित न हों और पीड़िता को न्याय मिल सके।

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