जैन मठ से हथिनी की शिफ्टिंग पर विवाद: SC ने वनतारा को दी क्लीन चिट, कहा- 'जानवरों की खरीद-बिक्री में कोई गड़बड़ी नहीं'

सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात के वनतारा में हाथियों के स्थानांतरण को लेकर जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि यदि पूरी प्रक्रिया और नियमों का पालन किया...

Update: 2025-09-15 10:45 GMT

SC ON Vantara (NPG file photo)

नई दिल्ली। जामनगर स्थित रिलायंस फाउंडेशन के वनतारा (Vantara) वन्यजीव बचाव और पुनर्वास केंद्र को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिली है। सोमवार को कोर्ट ने कहा कि वनतारा में जानवरों की खरीद और बिक्री नियमों के दायरे में हुई है और विशेष जांच दल (SIT) की रिपोर्ट में कोई गड़बड़ी नहीं मिली है। इस फैसले के बाद, वनतारा पर लगे आरोपों का अध्याय फिलहाल बंद हो गया है।

न्यायमूर्ति पंकज मित्तल और न्यायमूर्ति पी.बी. वराले की बेंच ने कहा कि, इस मामले को अब बार-बार उठाने की इजाजत नहीं दी जाएगी। बेंच ने साफ किया कि एक स्वतंत्र समिति ने जांच की है और कोर्ट उसी पर भरोसा करेगा। यह फैसला वकील सीआर जया सुकीन और देव शर्मा द्वारा दायर दो जनहित याचिकाओं (PIL) के बाद आया, जिसमें कोल्हापुर के जैन मठ से हथिनी 'माधुरी' को वनतारा ले जाने पर विवाद खड़ा हुआ था।

SIT रिपोर्ट सार्वजनिक नहीं होगी

सुनवाई के दौरान, वनतारा के वकील हरीश साल्वे ने सुप्रीम कोर्ट से अनुरोध किया कि, एसआईटी की रिपोर्ट सार्वजनिक न की जाए। उन्होंने तर्क दिया कि अगर रिपोर्ट बाहर आती है, तो न्यूयॉर्क टाइम्स जैसे विदेशी अखबार इसका केवल कुछ हिस्सा छापकर एक गलत कहानी गढ़ सकते हैं। कोर्ट ने इस तर्क को स्वीकार करते हुए कहा कि रिपोर्ट सार्वजनिक नहीं की जाएगी।

सुप्रीम कोर्ट ने बनाई थी SIT कमिटी

सुप्रीम कोर्ट ने 26 अगस्त को इस मामले की जांच के लिए एक 4-सदस्यीय एसआईटी का गठन किया था। इस टीम की अगुआई पूर्व जज जस्टिस जे. चेलमेश्वर ने की थी। टीम में जस्टिस राघवेंद्र चौहान (पूर्व चीफ जस्टिस, उत्तराखंड और तेलंगाना हाई कोर्ट), पूर्व मुंबई पुलिस कमिश्नर हेमंत नागराले और कस्टम्स अधिकारी अनिश गुप्ता शामिल थे।

इस एसआईटी ने 12 सितंबर को अपनी रिपोर्ट कोर्ट को सौंपी, जिसमें वनतारा को क्लीन चिट दी गई। कोर्ट ने एसआईटी के काम की सराहना की और कहा कि समिति को उनका मानदेय भी दिया जाए।

SIT ने इन 5 पॉइंट्स पर की जांच

एसआईटी ने अपनी जांच में वनतारा में हाथियों के अधिग्रहण में वन्यजीव संरक्षण अधिनियम और अंतरराष्ट्रीय संधियों का पालन, पशुओं की चिकित्सा देखभाल और उनके कल्याण, वन्यजीवों की तस्करी से संबंधित अवैध गतिविधियों, वित्तीय नियमों के अनुपालन और मनी लॉन्ड्रिंग जैसे मुद्दों को गहनता से परखा, जिसमें याचिकाकर्ताओं और अधिकारियों से भी जानकारी ली गई।

हथिनी ‘माधुरी’ से शुरू हुआ था विवाद

यह पूरा विवाद तब शुरू हुआ जब कोल्हापुर के जैन मठ की 32 साल की हथिनी 'माधुरी' को वनतारा में शिफ्ट किया गया। PETA इंडिया ने हथिनी की सेहत, गठिया और मानसिक तनाव की चिंताओं को उठाते हुए बॉम्बे हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी। दिसंबर 2024 में हाई कोर्ट ने माधुरी को गुजरात के वनतारा में स्थानांतरित करने का आदेश दिया, जिसे 29 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट ने भी बरकरार रखा।

माधुरी की शिफ्टिंग के बाद कोल्हापुर में लोगों ने विरोध प्रदर्शन किया। उनका कहना था कि यह धार्मिक और सांस्कृतिक परंपराओं का उल्लंघन है, क्योंकि माधुरी 1992 से उस मठ का हिस्सा थी। 14 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता सीआर जया सुकीन की याचिका को 'अस्पष्ट' बताया क्योंकि इसमें वनतारा को पक्षकार नहीं बनाया गया था। इसके बाद कोर्ट ने याचिका में वनतारा को शामिल करने के लिए कहा।

आज सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि, एसआईटी की जांच में वनतारा में कोई गड़बड़ी नहीं मिली और यहां पशुओं का अधिग्रहण नियामक तंत्र के दायरे में आता है। कोर्ट ने कहा कि, वह रिपोर्ट का अध्ययन करने के बाद एक विस्तृत आदेश पारित करेगी। इस फैसले से वनतारा के कामकाज पर लगे सभी आरोपों को फिलहाल विराम लग गया है।

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