Kanya Sankranti 2025: जानिये कब है कन्या संक्रांति? क्या है इसके पीछे की मान्यता और महत्व, जानें पूजा विधि, स्नान-दान के नियम..

कन्या संक्रांति को धर्मग्रंथों में पुण्यकारी दिन माना गया है। इस अवसर पर दान, स्नान और जप-पाठ का विशेष महत्व है, तो आइये इसके बारे में जानते है..

Update: 2025-09-15 12:48 GMT

Kanya Sankranti 2025 (NPG file photo)

नई दिल्ली। हिन्दू सनातन धर्म में सूर्य का राशि परिवर्तन यानी संक्रांति का दिन बेहद खास माना जाता है। हर 30 दिन में अपनी राशि बदलने वाले सूर्य देव जब कन्या राशि में प्रवेश करते हैं, तो इस शुभ घड़ी को कन्या संक्रांति के नाम से जाना जाता है। इस बार यानी साल 2025 में, कन्या संक्रांति का महत्व और भी बढ़ गया है क्योंकि यह दिन भगवान विश्वकर्मा की पूजा के साथ-साथ मनाया जा रहा है। यह एक दुर्लभ संयोग है जो इंजीनियरों, कारीगरों, और तकनीशियनों के लिए विशेष रूप से फलदायी साबित होगा।

कब है कन्या संक्रांति 2025?

पंचांग के अनुसार, इस साल कन्या संक्रांति 17 सितंबर, 2025 को मनाई जाएगी। यह वह दिन है जब सूर्य देव अपनी स्वराशि सिंह से निकलकर शाम 04:57 बजे कन्या राशि में प्रवेश करेंगे। सूर्य देव अगले 30 दिनों तक इसी राशि में रहेंगे, जिससे वातावरण में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होगा।

जानें दान-पुण्य के लिए शुभ मुहूर्त

पुण्य काल: दोपहर 01:46 बजे से शाम 06:19 बजे तक (लगभग 4 घंटे 33 मिनट की अवधि)।

महापुण्य काल: दोपहर 01:46 बजे से दोपहर 03:31 बजे तक (लगभग 1 घंटे 45 मिनट की अवधि)।

इस पुण्य काल में किया गया कोई भी शुभ कार्य, पूजा-पाठ, और दान-पुण्य कई गुना फल देता है।

क्या है कन्या संक्रांति का महत्व?

ज्योतिष में सूर्य को सभी ग्रहों का राजा और आत्मा का कारक माना जाता है। जब सूर्य कन्या राशि में प्रवेश करते हैं, जिसके स्वामी बुध हैं, तो इन दोनों ग्रहों के मिलने से 'बुधादित्य योग' बनता है। यह योग बुद्धि, विवेक, और कर्म से जुड़े कार्यों में विशेष लाभ देता है। इसलिए इस दिन दान, स्नान, और जप-पाठ का बहुत महत्व है।

इस साल कन्या संक्रांति का विश्वकर्मा पूजा के साथ होना इसे और भी खास बनाता है। विश्वकर्मा जी को देवताओं का वास्तुकार और शिल्पी माना जाता है। इसलिए, कारखानों, मशीनों, औजारों, और निर्माण कार्यों से जुड़े लोगों के लिए यह दिन बेहद पवित्र होता है।

कैसे करें पूजा और दान?

संक्रांति के दिन पूजा और दान का विशेष महत्व है। सही तरीके से पूजा करने से जीवन की सभी बाधाएं दूर होती हैं और सुख-समृद्धि आती है।

सुबह जल्दी उठें: ब्रह्म मुहूर्त में उठकर किसी पवित्र नदी (जैसे गंगा या यमुना) में स्नान करें। अगर यह संभव न हो, तो घर पर ही नहाने के पानी में गंगाजल मिलाकर स्नान कर सकते हैं।

सूर्य देव को अर्घ्य दें: स्नान के बाद, साफ कपड़े पहनें और उगते हुए सूर्य को जल चढ़ाएं। इस जल में लाल फूल और लाल चंदन मिलाना शुभ होता है।

कुल देवता की पूजा: अपने पूजा स्थान को साफ करें और कुल देवता की पूजा करें। दीपक जलाएं और शांतिपूर्ण मन से ध्यान करें।

मंत्र जाप: इस दिन गायत्री मंत्र या सूर्य मंत्र का जाप करना बेहद फलदायी होता है।

इन चीजों का दान करना न भूलें

कन्या संक्रांति पर दान-पुण्य का विशेष महत्व है। अपनी सामर्थ्य के अनुसार, जरूरतमंदों और गरीबों को इन चीजों का दान करना चाहिए:

वस्त्र: गरीब लोगों को लाल रंग के कपड़े दान करना बहुत शुभ माना जाता है।

अनाज और भोजन: गेहूं, चावल, या अन्य किसी भी अनाज का दान करें। गरीबों को भोजन कराना भी बेहद पुण्यकारी माना जाता है।

गुड़, तिल और घी: इन चीजों का दान करने से सूर्य देव प्रसन्न होते हैं और जीवन में सकारात्मक ऊर्जा आती है।

गाय को घास: इस दिन गाय को घास खिलाना भी बहुत शुभ माना जाता है, क्योंकि गाय को पूज्यनीय माना गया है।

दक्षिणा: दान-पुण्य के साथ दक्षिणा देना न भूलें, यह दान को पूर्ण करता है।

जीवन में लाएं सकारात्मकता

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, इस दिन दान-पुण्य करने से व्यक्ति को मान-सम्मान और पद-प्रतिष्ठा मिलती है। साथ ही, यह दान रोगों, दुखों और शोक से मुक्ति दिलाता है। कन्या संक्रांति का यह संयोग आपके जीवन में सुख, शांति, और समृद्धि लाने का एक सुनहरा अवसर है।

इस दिन वाद-विवाद से बचें और तामसी भोजन की जगह सात्विक भोजन करें, ताकि आपका मन शांत रहे और आप आध्यात्मिक लाभ प्राप्त कर सकें। आपको बता दें कि, इस साल का कन्या संक्रांति और विश्वकर्मा पूजा का यह महासंगम एक अद्भुत मौका है अपनी किस्मत चमकाने का। तो, इन नियमों का पालन करें और इस पुण्यकारी दिन का पूरा लाभ उठाएं।

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