India-US Trade War: भारत पर आज से 50% टैरिफ लागू, कपड़े-स्टील-झींगे होंगे महंगे, जानें क्या है सरकार की तैयारी?

India-US Trade War: अमेरिका ने भारत पर 50% टैरिफ लगाया। कपड़े, स्टील, चांदी, झींगे महंगे होंगे। जानें इसका असर, भारत की रणनीति और ‘मेड इन इंडिया’ का महत्व।

Update: 2025-08-27 05:46 GMT

भारत-अमेरिका व्यापारिक रिश्तों में तनाव अब खुलकर सामने आ गया है। 27 अगस्त से अमेरिकी बाजार में भारत से आने वाले कई सामानों पर कुल 50% टैरिफ लागू हो गया है। अमेरिका का तर्क है कि भारत रूस से कच्चा तेल खरीदना जारी रखे हुए है, जो उसकी राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा है। लेकिन असल असर भारत के उन सेक्टर्स पर पड़ने वाला है, जिनमें लाखों-करोड़ों लोग काम करते हैं।

किन चीज़ों पर लगेगा 50% टैरिफ?

सबसे बड़ा असर कपड़ा उद्योग पर होगा। पहले जहां 9% से 13% तक टैक्स लगता था, अब यह 59% से 63% हो जाएगा। इसका सीधा असर सूरत, लुधियाना, तिरुपुर और मुंबई जैसे टेक्सटाइल हब पर पड़ेगा। लगभग साढ़े 4 करोड़ लोग इस इंडस्ट्री से जुड़े हैं, जिनमें से लाखों की रोज़गार की स्थिति डगमगा सकती है।

स्टील, एल्युमिनियम और कॉपर पर अब 51% टैक्स लगेगा। वहीं फर्नीचर और मैट्रेसेस पर 52% तक टैरिफ होगा। सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि झींगों का निर्यात (Shrimps Export) भी अब 50% टैक्स के दायरे में आ गया है। पहले इस पर कोई टैक्स नहीं था। भारत में करीब 15 लाख किसान झींगों के व्यापार से जुड़े हैं।

हीरे और सोना पर भी 52% टैरिफ लगेगा, जबकि मशीनरी और उपकरणों पर 51% टैक्स लग चुका है। फिलहाल राहत की बात यह है कि स्मार्टफोन और भारतीय दवाइयां इस टैरिफ के दायरे से बाहर रखी गई हैं, लेकिन अमेरिका ने इशारा दिया है कि भविष्य में इन्हें भी शामिल किया जा सकता है।

असर क्या होगा?

भारत के लिए अमेरिका सबसे बड़ा निर्यात बाजार है। हमारे कुल एक्सपोर्ट का लगभग 18% हिस्सा अकेले अमेरिका को जाता है। अब जब टैरिफ बढ़ जाएगा तो भारतीय सामान वहां महंगा हो जाएगा और उसकी जगह आसानी से चीन, वियतनाम, बांग्लादेश और कंबोडिया के प्रोडक्ट ले सकते हैं।

  • चीन पर सिर्फ 30%
  • वियतनाम पर 20%
  • बांग्लादेश पर 20%
  • कंबोडिया और फिलीपींस पर 19% टैरिफ ही है।

यानि भारत की सीधी प्रतिस्पर्धा कमजोर हो जाएगी।

भारत की तैयारी क्या है?

Federation of Indian Export Organisations (FIEO) ने सरकार से तुरंत कदम उठाने की मांग की है। उनका कहना है कि छोटे व्यापारियों और MSME सेक्टर को सस्ते कर्ज, आसान क्रेडिट और 1 साल तक ब्याज व मूलधन चुकाने में मोहलत दी जाए। प्रभावित कंपनियों को बिना गारंटी वाले लोन मिले और सरकार जल्दी-से-जल्दी नए देशों के साथ Free Trade Agreement (FTA) साइन करे। सरकार भी ‘ब्रांड इंडिया’ को मजबूत करने की योजना बना रही है। प्रधानमंत्री मोदी पहले भी अपील कर चुके हैं कि हर दुकान के बाहर “Made in India सामान उपलब्ध” का बोर्ड लगाया जाए।

‘Made in India’ क्यों ज़रूरी है?

भारत की अर्थव्यवस्था निर्यात से ज्यादा घरेलू खपत पर निर्भर है। अगर हम अपने देश में बने सामान को ज्यादा खरीदते हैं तो हमारी इंडस्ट्री को बूस्ट मिलेगा और धीरे-धीरे भारत विदेशी टैरिफ पर कम निर्भर होगा।लेकिन इसके लिए ज़रूरी है कि भारत का मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर मज़बूत हो। आज हमारी GDP में मैन्युफैक्चरिंग की हिस्सेदारी सिर्फ 17% है, जबकि

  • चीन में 26%
  • जर्मनी में 20%
  • जापान में 20%
  • दक्षिण कोरिया में 24% है।

अमेरिका का 50% टैरिफ भारत की अर्थव्यवस्था के लिए एक बड़ा झटका है। लेकिन अगर सरकार और उद्योग जगत मिलकर ‘Made in India’ को मजबूत करते हैं और नए व्यापारिक समझौते करते हैं, तो यह संकट एक मौके में भी बदल सकता है।

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