HMPV First Case In India: भारत में मिला HMPV वायरस का पहला केस, 8 माह की बच्ची पॉजिटिव, कोरोना जैसे हैं लक्षण

HMPV First Case In India: कोविड-19 महामारी के बाद चीन में ह्यूमन मेटान्यूमोवायरस (HMPV) तेजी से फैल रहा है. चीन से बाहर भी एचएमपीपी वायरस ने अपने पैर पसारना शुरू कर दिए हैं.

Update: 2025-01-06 07:50 GMT

HMPV First Case In India: कोविड-19 महामारी के बाद चीन में ह्यूमन मेटान्यूमोवायरस (HMPV) तेजी से फैल रहा है. चीन से बाहर भी एचएमपीपी वायरस ने अपने पैर पसारना शुरू कर दिए हैं. अब यह खतरनाक वायरस भारत पहुंच गया है. पहला मामला बेंगलुरु से सामने आया है. 

जानकारी के मुताबिक़, बेंगलुरु के  बैपटिस्ट हॉस्पिटल में भर्ती एक आठ माह की बच्ची एचएमपीवी वायरस से संक्रमित पायी गयी है. हालांकि अभी इसकी आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है. कर्नाटक के स्वास्थ्य विभाग का कहना है कि उनके लैब में इसकी जांच नहीं हुई है. बच्ची की जांच एक निजी अस्पताल में कराई गयी है जिसमें एचएमपीवी यानी ह्यूमन मेटापन्यूमोवायरस (HMPV) की पुष्टि हुई है. सैंपल को जांच के लिए सरकारी प्रयोगशाला में भेजा गया है. 

हैरान करने वाली बात ये है बच्चे और उसके परिवार की कोई ट्रैवल हिस्ट्री नहीं है. हालाँकि निजी हॉस्पिटल की जांच रिपोर्ट पर भी शक नहीं किया जा सकता है. क्युकी यह वायरस ज्यादातर बच्चों को संक्रमित करता है. बुजुर्ग को भी अपना टारगेट बनाता है. सभी फ्लू सैंपल में से 0.7 फीसदी HMPV के होते हैं. इसके लक्षण आम फ्लू की तरह होते हैं. अगर जांच किया गया, तो कई लोग पॉजिटिव पाए जाएंगे. बता दें, पहला मामला सामने आने के बाद HMPV को लेकर स्वास्थ्य मंत्रालय एडवाइजरी जारी कर सकता है. 

HMPV क्या है? 

इस वायरस को ह्यूमन मेटान्यूमोवायरस या एचएमपीवी (HMPV) वायरस कहते हैं. यूएस सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (सीडीसी) के मुताबिक यह वायरस नया है. 1958 से धरती पर मौजूद है. मगर 2001 में पहली बार वैज्ञानिकों ने इसे खोजा था. अब तक इसकी वैक्सीन नहीं बन पाई है. यह वायरस ज्यादातर बच्चों और बूढ़े को अपनी चपेट में लेता है. एचएमपीपी वायरस आमतौर पर खांसने और छींकने, संक्रमित व्‍यक्ति के छूने या हाथ मिलने से  फैलता है. आमतौर पर संक्रमित लोगों को खांसी-जुकाम की समस्‍या होती है लेकिन कमजोर इम्यून सिस्टम वाले लोगों के लिए गंभीर हो सकता है. उनकी जान भी जा सकती है. क्योंकि यह संक्रमित मरीजों के फेफड़े को प्रभावित करती है. कमज़ोर प्रतिरक्षा प्रणाली, अस्थमा या श्वसन संबंधी समस्याओं वाले लोगों को ब्रोंकाइटिस या निमोनिया जैसी गंभीर बीमारी हो सकती है.

क्या है इस वायरस के लक्षण

गले में खराश, सिरदर्द और थकान.

खांसी, बुखार, ठंड लगना और नाक बहना

सांस लेने में दिक्कत होना

लगातार खांसी या गले में घरघराहट 

सांस और फेफड़ों की नली में इन्फेक्शन

क्या है इलाज

इसका कोई इलाज नहीं है. लेकिन सावधानी और परहेज से इससे बचा जा सकता है. एचएमपीवी से पीड़ित लोग अधिकांश लोग लगभग सात से 10 दिनों के भीतर ठीक हो जाते हैं. हालाँकि कई बार अस्पताल में भर्ती होने की आवश्यकता पड़ सकती है. संक्रमण को कम करने के लिए सभी जगहों पर बाहरी हवा के साथ पर्याप्त वेंटिलेशन की सलाह दी जाती है. पांच से छह दिन संक्रमित को घर में रहना चाहिए. दूसरों से संपर्क सीमित करें. इस दौरान खूब पानी पिएँ और पौष्टिक भोजन करना चाहिए. 

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