Himanchal High Court News: 20 साल की नौकरी का मिला इंसाफ - हाई कोर्ट ने दिलाई नियमितीकरण की सौगात, सरकार पर 50 हजार का जुर्माना

High Court News: हाई कोर्ट ने कर्मचारी हित में बड़ा फैसला सुनाया है। कोर्ट ने राज्य सरकार को निर्देशित किया है कि 20 साल की सेवा के बाद याचिकाकर्ता कर्मचारी को नियमित करें। कर्मचारी के दावे को बार-बार खारिज करने से नाराज हाई कोर्ट ने राज्य सरकार पर 50 हजार रुपये का जुर्माना भी ठोका है।

Update: 2025-08-25 12:15 GMT

Himanchal High Court News

Himanchal High Court News: शिमला। हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट ने अपने एक महत्वपूर्ण फैसले में राज्य सरकार को निर्देशित किया है कि याचिकाकर्ता कर्मचारी 20 साल से कार्यरत है। लंबी सेवा के बाद उसे नियमित की जाए। कर्मचारी के दावे को बार-बार खारिज करने से नाराज कोर्ट ने राज्य सरकार पर 50 हजार रुपये का जुर्माना भी ठोका है।

हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट ने कर्मचारी की याचिका पर सुनवाई करते हुए चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी को 20 साल की सेवा के बाद नियमित करने का आदेश दिया है। कोर्ट के बार-बार निर्देशों के बावजूद, कर्मचारी के दावे को बार-बार खारिज करने के आरोप में कोर्ट ने राज्य सरकार पर जुर्माना भी लगाया है।

याचिकाकर्ता ने अपनी याचिका में बताया है कि वर्ष 2006 में राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय, नाहन में दैनिक वेतनभोगी (चतुर्थ श्रेणी) के पद पर नियुक्त हुआ था और तब से लगातार चपरासी, दफ्तरी, चौकीदार और सफाई कर्मचारी के पद पर कार्यरत है। वर्ष 2014 में राज्य सरकार की 2014 की नीति के तहत नियमितीकरण की मांग करते हुए आवेदन पेश किया था। आवेदन में उसने नियमितिकरण के लिए जरुरी सेवाएं पूरी करने की जानकारी भी दी थी। आला अधिकारियों ने उसके आवेदन को अस्वीकार कर दिया। उच्चाधिकारियों के निर्णय को चुनौती देते हुए वर्ष 2020 में अपने अधिवक्ता के माध्यम से हाई कोर्ट में रिट याचिका दायर की। प्रकरण की सुनवाई के बाद खंडपीठ ने याचिकाकर्ता के मामले पर विचार करने राज्य शासन को निर्देश जारी किया था। गैर-शिक्षण कर्मचारियों की सेवाओं के नियमितीकरण के लिए कोई निर्देश नहीं होने का हवाला देते हुए उसके अभ्यावेदन को खारिज कर दिया था। इसे चुनौती देते हुए याचिकाकर्ता ने दोबारा हाई कोर्ट ने निष्पादन याचिका पेश की। हाई कोर्ट ने राज्य सरकार को निराकरण का निर्देश दिया था। फैसले को चुनौती देते हुए राज्य सरकार ने हाई कोर्ट में अपील दायर की।

मामले की सुनवाई के दौरान कोर्ट ने पाया कि अधिकारियों ने तर्क दिया कि याचिकाकर्ता की नियुक्ति कानून के अनुसार नहीं थी, लेकिन उन्होंने यह स्पष्ट नहीं किया कि याचिकाकर्ता अभी भी अपने पद पर क्यों बना हुआ है। कोर्ट ने माना कि चूंकि याचिकाकर्ता ने तकरीबन 20 वर्षों तक सेवा की है और आज तक राज्य द्वारा उसे इस आधार पर हटाने के लिए कोई कदम नहीं उठाया गया है कि उसकी प्रारंभिक नियुक्ति नियमों के अनुसार नहीं थी। कोर्ट ने याचिकाकर्ता को नियमित नियुक्ति देने का राज्य सरकार को निर्देश जारी किया है।

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