Electoral Bonds News: चुनावी बॉन्ड किन शहरों में सबसे ज्यादा बिके? जानें किसे मिला कितना चंदा?
Electoral Bonds News: 15 फरवरी को सुप्रीम कोर्ट ने एक बड़े फैसले में चुनावी बॉन्ड को असंवैधानिक करार दिया था। कोर्ट ने इस योजना को सूचना के अधिकार का उल्लंघन बताते हुए तत्काल प्रभाव से रोक लगा दी थी।
Electoral Bonds News: 15 फरवरी को सुप्रीम कोर्ट ने एक बड़े फैसले में चुनावी बॉन्ड को असंवैधानिक करार दिया था। कोर्ट ने इस योजना को सूचना के अधिकार का उल्लंघन बताते हुए तत्काल प्रभाव से रोक लगा दी थी। इसे सरकार के लिए बड़ा झटका माना गया था। अब सरकार इस फैसले को चुनौती देने के विकल्पों पर विचार कर रही है। दूसरी ओर, किस शहर में कितने चुनावी बॉन्ड की बिक्री हुई, इसकी जानकारी भी सामने आई है।
इकोनॉमिक टाइम्स के मुताबिक, सरकार कोर्ट के फैसले पर अगले हफ्ते तक फैसला ले सकती है। केंद्र सुप्रीम कोर्ट फैसले के खिलाफ समीक्षा याचिका दायर कर सकता है। सरकार विचार कर रही है कि दानदाताओं के नाम सार्वजनिक किए जाने के बजाय एक सीलबंद लिफाफे में कोर्ट को सौंपे जा सकते हैं। बता दें कि कोर्ट ने भारतीय स्टेट बैंक (SBI) से दानदाताओं की जानकारी भी चुनाव आयोग को देने को कहा है।
इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, सरकार कोर्ट के फैसले को चुनौती देने के मूड में नहीं है। अखबार ने कहा है कि लोकसभा का आखिरी सत्र भी खत्म हो चुका है और कुछ ही दिन में चुनाव की तारीखों का ऐलान भी हो जाएगा। ऐसे में अध्यादेश लाकर फैसले को पलटना मुश्किल हो जाएगा। सरकार चाहती है कि चुनावों के बाद जब नई सरकार आए तो वह खुद चंदे से जुड़ी कोई नई व्यवस्था को पेश करे।
एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (ADR) के अनुसार मार्च, 2018 से लेकर जनवरी, 2024 तक की अवधि में केवल मुंबई में ही 4,009.4 करोड़ रुपये के चुनावी बॉन्ड बिके। इसके बाद हैदराबाद, कोलकाता और दिल्ली में सबसे ज्यादा बॉन्ड की बिक्री हुई। पश्चिम बंगाल, तेलंगाना, महाराष्ट्र और दिल्ली में ही कुल 13,222 करोड़ रुपये के चुनावी बॉन्ड जारी किये गए हैं। कुल बॉन्ड में से 94 प्रतिशत एक करोड़ मूल्य वर्ग के थे।
कोर्ट ने बॉन्ड को सूचना के अधिकार और अनुच्छेद 19(1)(A) का उल्लंघन करने वाला बताया। कोर्ट ने कहा कि नागरिकों को राजनीतिक पार्टियों को मिलने वाले पैसे का स्त्रोत जानने का अधिकार है। कंपनियों से मिलने वाले चंदे पर कोर्ट ने कहा कि ये पूरी तरह व्यावसायिक लेनदेन है और 'लाभ के बदले लाभ' की संभावित भावना पर आधारित होता है। कोर्ट ने 13 मार्च तक SBI को दानदाताओं और पार्टियों की जानकारी भी सौंपने को कहा है।
चुनावी बॉन्ड एक सादा कागज होता है, जिस पर नोटों की तरह कीमत छपी होती है। इसे कोई भी व्यक्ति/कंपनी खरीदकर अपनी मनपंसद राजनीतिक पार्टी को चंदे के तौर पर दे सकता है। केंद्र सरकार ने 2017 के बजट में इसकी घोषणा की थी, जिसे लागू 2018 में किया गया। हर तिमाही में SBI 10 दिन के लिए चुनावी बॉन्ड जारी करता है। ये 1,000, 10,000, 1 लाख, 10 लाख और एक करोड़ रुपये की कीमत के होते हैं।