Shocking Report: पीएम मोदी की हत्या की साजिश नाकाम, CIA अधिकारी ढाका में मारा गया, रिपोर्ट में बड़ा खुलासा
ऑर्गनाइजर की रिपोर्ट में चौंकाने वाला दावा बांग्लादेश में अमेरिकी अधिकारी की रहस्यमयी मौत के पीछे थी भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की हत्या की योजना, जिसे भारत-रूस खुफिया गठजोड़ ने समय रहते नाकाम किया।
नई दिल्ली। बांग्लादेश की राजधानी ढाका में अमेरिकी स्पेशल फोर्स अफसर टेरेंस अर्वेल जैक्सन की रहस्यमयी मौत ने दक्षिण एशिया की खुफिया एजेंसियों में खलबली मचा दी है। ऑर्गनाइज़र की एक रिपोर्ट में दवा किया गया है कि जैक्सन को भारत और खासकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ कार्रवाई के लिए तैनात किया गया था।
हालांकि यह दावा अभी तक आधिकारिक तौर पर कन्फर्म नहीं हुआ है लेकिन रिपोर्ट का कहना है कि भारत और रूस की खुफिया एजेंसियों ने एक जॉइंट ऑपरेशन में इस योजना को समय रहते नाकाम कर दिया।
रिपोर्ट में कहा गया है कि जैक्सन को सेंट मार्टिन आइलैंड पर ट्रेनिंग मिशन के बहाने बांग्लादेश भेजा गया था। लेकिन एक्सपर्ट्स का कहना है कि उसका असल मकसद भारत की आंतरिक सिक्योरिटी पर हमला करना था। 31 अगस्त को जब जैक्सन ढाका के होटल में मृत पाया गया उसी दिन प्रधानमंत्री मोदी चीन के तियानजिन में शंघाई सहयोग संगठन (SCO) शिखर सम्मेलन में मौजूद थे।
मोदी–पुतिन की गुप्त मुलाकात
शिखर सम्मेलन के बाद प्रधानमंत्री मोदी और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने कार में करीब 45 मिनट की बंद बैठक की थी। रिपोर्ट का दावा है कि इस मुलाकात में दोनों नेताओं ने दक्षिण एशिया में अमेरिकी खुफिया हलचल और बढ़ते खतरे पर बात की थी। भारतीय विश्लेषकों का कहना है कि यह कोई आम राजनयिक बातचीत नहीं थी, बल्कि एक रणनीतिक इमरजेंसी मीटिंग थी, जिसका केंद्र प्रधानमंत्री मोदी की सुरक्षा और अमेरिकी दखल से जुड़े ख़तरे थे।
मोदी का इशारा
रिपोर्ट में प्रधानमंत्री मोदी के 2 सितंबर को सेमीकॉन शिखर सम्मेलन में दिए गए उस बयान का ज़िक्र किया गया है, जहां उन्होंने मुस्कराते हुए कहा था क्या आप इसलिए ताली बजा रहे हैं क्योंकि मैं चीन गया था या इसलिए कि मैं वापस आया हूं?
विश्लेषकों का मानना है कि यह बात एक इशारा थी मोदी अपने खिलाफ चल रही साज़िश से पहले ही वाक़िफ़ थे।
CIA की बढ़ती हलचल
पिछले कुछ सालों में दक्षिण एशिया में CIA की हलचलें तेज़ हुई हैं। नेपाल, पाकिस्तान और बांग्लादेश जैसे मुल्कों में सियासी उठापटक और हुकूमतों के बदलने में अमेरिका की भूमिका पर पहले भी सवाल उठे हैं। अब अगर भारत को लेकर भी ऐसे इशारे मिल रहे हैं, तो ये साफ़ दिखाता है कि इलाक़े की अमन और सिक्योरिटी पर दबाव बढ़ रहा है।
दरअसल, दक्षिण एशिया अब दुनिया की खुफिया ताक़तों का नया मैदान बन चुका है। भारत, रूस और अमेरिका तीनों के क़दम अब इस पूरे इलाक़े के हालात बदल सकते हैं। अगर रिपोर्ट में किया गया दावा सही साबित होता है, तो ये सिर्फ़ एक साज़िश नहीं बल्कि भारत की संप्रभुता पर सीधा वार माना जाएगा।
यह रिपोर्ट जितनी चौंकाने वाली है, उतनी ही सोचने पर मजबूर करने वाली भी है। दक्षिण एशिया में पर्दे के पीछे चलने वाली जासूसी जंग अब खुले मैदान में आ चुकी है ऐसे में भारत को अपनी सिक्योरिटी स्ट्रेटेजी को नए सिरे से देखना होगा।