Crime News Hindi: 3 महीने से मां के शव के साथ रह रहा था बेटा, किसी को नहीं हुई खबर, जब दरवाजा खोला तो उड़े सबके होश

Crime News Hindi: अगर आपने कभी अल्फ्रेड हिचकॉक की क्लासिक फिल्म "साइको" देखी है, तो आपको नॉर्मन बेट्स का किरदार याद होगा, जिसने अपनी मृत मां को संरक्षित रखा था। कुछ ऐसा ही असम के गुवाहाटी में एक अजीब और भयानक घटना सामने आई है।

Update: 2024-10-24 12:50 GMT

Crime News Hindi: अगर आपने कभी अल्फ्रेड हिचकॉक की क्लासिक फिल्म "साइको" देखी है, तो आपको नॉर्मन बेट्स का किरदार याद होगा, जिसने अपनी मृत मां को संरक्षित रखा था। कुछ ऐसा ही असम के गुवाहाटी में एक अजीब और भयानक घटना सामने आई है।

यहां जयदीप देव नामक एक युवक ने अपनी मां पुर्निमा देव की मृत्यु के बाद उनका शव तीन महीने तक घर में रखा और अंतिम संस्कार नहीं किया। इस दौरान वह रोजमर्रा के काम करता रहा और मानो कुछ हुआ ही नहीं। जयदीप ने न केवल घर में रहना जारी रखा, बल्कि वह रोज अपनी मां के लिए खाना भी लाता था, जैसे कि वह अभी भी जिंदा हों। वह नियमित रूप से बैंक जाकर अपनी मां की पेंशन भी निकालता रहा, जिससे उसके पड़ोसियों को शक होने लगा।

जयदीप के इस अजीब व्यवहार ने उसके पड़ोसियों को संदेह में डाल दिया। जब कई दिनों तक पुर्निमा देव नजर नहीं आईं, तो पड़ोसियों की चिंता बढ़ गई। घर के आसपास कचरा जमा हो गया था और दरवाजा भी बंद था। जब पड़ोसियों ने जयदीप से उसकी मां के बारे में पूछा, तो उसने बताया कि उसके माता-पिता दोनों की मृत्यु हो चुकी है, लेकिन उसने साफ-सफाई कराने से इनकार कर दिया। इस व्यवहार ने पड़ोसियों को पुलिस को सूचित करने के लिए मजबूर किया।

जब पुलिस जयदीप के घर पहुंची, तो उन्हें बिस्तर पर उसकी मां के अवशेष मिले। पुलिस की जांच में पता चला कि पुर्निमा देव की मृत्यु कई महीने पहले हो चुकी थी। पुर्निमा एक रिटायर्ड रेलवे अधिकारी की पत्नी थीं और अपने बेटे जयदीप के साथ रहती थीं।

पुलिस की जांच से यह भी पता चला कि जयदीप मानसिक स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं से जूझ रहा हो सकता है। उसने अपनी मां को वर्षों तक घर के अंदर कैद रखा और उनकी मृत्यु के बाद भी उनके साथ रहना जारी रखा। जयदीप का कोई काम नहीं था और वह अपनी मां की पेंशन पर ही निर्भर था।

घर के पास से कई धार्मिक वस्तुएं भी मिलीं, जिनमें भगवान शिव की तस्वीर, दीपक, दूर्वा और भोग के लिए रखा गया खाना शामिल था। जयदीप ने बताया कि वह रोज़ "ॐ नमः शिवाय" का जाप करता था और उसे विश्वास था कि मृत्युंजय मंत्र के माध्यम से उसकी मां पुनर्जीवित हो सकती हैं। जयदीप के इस धार्मिक विश्वास ने उसे अपनी मां के शव के साथ रहने के लिए प्रेरित किया।

यह चौंकाने वाला मामला गुवाहाटी और पूरे देश में चर्चा का विषय बन गया है। जयदीप के मानसिक स्वास्थ्य को लेकर सवाल उठ रहे हैं और इस घटना ने एक बार फिर से मानसिक स्वास्थ्य के महत्व को उजागर किया है।

इस प्रकार की घटनाएं यह दर्शाती हैं कि मानसिक स्वास्थ्य के मुद्दों पर समाज में खुली बातचीत और जागरूकता की जरूरत है, ताकि ऐसे मामलों को समय रहते पहचाना जा सके और प्रभावित व्यक्ति को उचित मदद मिल सके।

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