Bihar SIR: ECI को बड़ा झटका, सुप्रीम कोर्ट ने दिया बड़ा आदेश, काटे गए 65 लाख वोटरों का नाम सार्वजनिक करो, पढ़िए आज कोर्ट रूम में क्या हुआ?

Bihar SIR: आज सुप्रीम में ECI को बड़ा झटका लगा है, बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) पर आज सुप्रीम कोर्ट में लगातार तीसरे दिन सुनवाई हुई। जसमे जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जॉयमाल्या बागची की पीठ ने सुनवाई की।

Update: 2025-08-14 12:06 GMT

Bihar SIR: आज सुप्रीम में ECI को बड़ा झटका लगा है, बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) पर आज सुप्रीम कोर्ट में लगातार तीसरे दिन सुनवाई हुई। जसमे जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जॉयमाल्या बागची की पीठ ने सुनवाई की। पीठ ने चुनाव आयोग (Election Commission ) से पूछा कि वो मृतक, पलायन करने वाले और दूसरे निर्वाचन क्षेत्रों में जा चुके लोगों के नामों का खुलासा क्यों नहीं कर रहा। इस पर आयोग ने कहा कि ऐसे नाम राजनीतिक पार्टियों को पहले ही दिए जा चुके हैं। 

कोर्ट ने कहा- हटाए गए नामों की सूची जारी करें

पीठ ने कहा, "आयोग 65 लाख हटाए गए मतदाताओं के नाम सार्वजनिक करें। हम नहीं चाहते कि नागरिकों के अधिकार राजनीतिक पार्टियों के कार्यकर्ताओं पर निर्भर हों। आपने सुना ही होगा कि ड्राफ्ट रोल में मृत या जीवित लोगों को लेकर गंभीर विवाद है। आपके पास ऐसे लोगों की पहचान करने का क्या तंत्र है? आप हटाए गए लोगों की सूची भी वेबसाइट पर डालें। आधार नंबर या अन्य जो दस्तावेज हों और हटाने का कारण स्पष्ट कर दें।"

कोर्ट ने आयोग से पूछा

सुनवाई के दौरान कोर्ट ने आयोग से पूछा कि 2003 में बिहार में मतदाता सूची पुनरीक्षण के दौरान मतदाताओं से कौन से दस्तावेज लिए गए थे। दरअसल, याचिककर्ताओं के वकील निजाम पाशा ने कहा कि अगर 1 जनवरी, 2003 की तारीख चली जाती है तो सब कुछ चला जाता है। यह वह तारीख है जब मतदाता सूची में संशोधन की कवायद की गई थी। पाशा ने कहा कि 2003 की सूची में शामिल नाम भी हटाए जा रहे हैं।

कोर्ट ने चुनाव आयोग को 3 दिन का समय दिया

पीठ ने कहा कि मंगलवार तक चुनाव आयोग यह बताए कि वह पारदर्शिता के लिए क्या कदम उठाने जा रहा है। वरिष्ठ अधिवक्ता वृंदा ग्रोवर ने कहा कि सूची मशीन-रीडेबल होनी चाहिए, क्योंकि पहले एक घोटाला सामने आ चुका है। इस पर वरिष्ठ अधिवक्ता गोपाल एस ने बताया कि सूची का प्रारूप बदल दिया गया है। इस पर जस्टिस कांत ने कहा कि सूची खोज-योग्य होना चाहिए। कोर्ट ने इसके लिए चुनाव आयोग को 3 दिन का समय दिया है।

क्या है SIR?

चुनाव आयोग मतदाता सूची में 3 तरह से सुधार करता है। एक समरी रिवीजन, दूसरा गहन पुनरीक्षण और तीसरा विशेष संशोधन। गहन पुनरीक्षण एक तरह से नई मतदाता सूची बनाने का काम है। इसके लिए घर-घर जाकर लोगों की गणना की जाती है, फिर निर्धारित दस्तावेजों के निरीक्षण के बाद उनका नाम मतदाता सूची में शामिल या हटाया जाता है। विपक्ष का कहना है कि ये गरीब, दलित, पिछड़े और अल्पसंख्यक मतदाताओं का वोट काटने की साजिश है।

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