Bharat Ratn Karpoori Thakur: बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री कर्पूरी ठाकुर को भारत रत्न देगी केंद्र सरकार: लोकसभा चुनाव से पहले भाजपा का मास्‍टर स्‍ट्रोक

Bharat Ratn Karpoori Thakur: बिहार के जननायक कहे जाने वाले कर्पूरी ठाकुर बेहद लोगों के बीच बेहद लोकप्रिय थे। नाई परिवार में उनका जन्म हुआ था। गरीब परिवार से होने के बाद भी अपनी योग्यता और सियासी संघषों के जरिये वे बिहार के सबसे बड़ी कुर्सी तक पहुंचे थे। मुख्यमंत्री के रूप में वे आम लोगों के बीच काफी प्रिय रहे।

Update: 2024-01-23 14:58 GMT

Bharat Ratn Karpoori Thakur: नई दिल्‍ली। बिहार के पूर्व मुख्‍यमंत्री कर्पूरी ठाकुर को भारत रत्‍न दिया जएगा। केंद्र सरकार ने मरणोपरांत उन्‍हें भारत रत्‍न देने का ऐलान किया है। बिहार के जननायक कहे जाने वाले ठाकुर को भारत रत्‍न दिए जाने की जानकारी राष्ट्रपति भवन की ओर से जारी बयान में दी गई है। ठाकुर की बुधवार को होने वाली 100वीं जन्म जयंती से पहले इस घोषणा को केंद्र में सत्‍तारुढ़ भाजपा का लोकसभा चुनाव के मद्देनजर मास्‍टर स्‍ट्रोक माना जा रहा है। बिहार के मुख्‍यमंत्री नीतीश कुमार की पार्टी जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) ने ठाकुर को भारत रत्न दिए जाने की मांग की थी। केंद्र सरकार के इस ऐलान के बाद जेडीयू ने मोदी सरकार का आभार जताया है।

लोकसभा चुनाव से पहले कर्पूरी ठाकुर को भारत रत्‍न दिए जाने के पीछे सियासी कारण तलाशे जाने लगे हैं। बता दें कि बिहार के मुख्‍यमंत्री नीतीश कुमार की पहल पर विपक्षी दलों का इंडिया गठबंधन बना है। बताया जा रहा है कि गठबंधन का संयोजक और पीएम पद का उम्‍मीदवार नहीं बनाए जाने की वजह से नीतीश कुमार इंडिया गठबंधन से नाराज चल रहे हैं। 

जाने... कौन हैं कर्पूरी ठाकुर

24 जनवरी 1924 को जन्‍में ठाकुर बिहार के दो बार मुख्‍यमंत्री रहे हैं। मुख्‍यमंत्री बनने से पहले वे उप मुख्‍यमंत्री भी रह चुके थे। बिहार के समस्‍तीपुर जिला के पितौंझिया गांव में जन्‍में ठाकुर स्‍वतंत्रता संग्राम सेनानी, शिक्षक और कुशल राजनीतिज्ञ थे। नाई परिवार में जन्‍में ठाकुर भारत छोड़ो आंदोलन के समय 26 महीने तक जेल में रहे। उनके पिता का नाम गोकुल ठाकुर और माता का नाम रामदुलारी देवी था।

पूरा नाम कर्पूरी ठाकुर

अन्य नाम जननायक

जन्म 24 जनवरी, 1924

जन्म भूमि पितौंझिया (कर्पूरी ग्राम), समस्तीपुर, बिहार

मृत्यु 17 फरवरी, 1988

नागरिकता भारतीय

प्रसिद्धि वह जन नायक माने जाते थे

पार्टी सोशलिस्ट पार्टी, भारतीय क्रान्ति दल, जनता पार्टी, लोक दल

पद बिहार के 11वें मुख्यमंत्री

कार्य काल 22 दिसंबर, 1970 से 2 जून, 1971 तथा 24 जून, 1977 से 21 अप्रैल, 1979 तक दो बार बिहार के मुख्यमंत्री पद पर रहे।

अन्य जानकारी कर्पूरी ठाकुर आजादी से पहले 2 बार और आजादी मिलने के बाद 18 बार जेल गए।

कर्पूरी ठाकुर ने भारतीय स्वतंत्नता आंदोलन में बढ़-चढ़ कर हिस्सा लिया। जब वे स्नातक के छात्र थे तो उन्होंने 'भारत छोड़ो आंदोलन' में भाग लेने के लिए अपनी पढ़ाई छोड़ दी। स्वतंत्नता आंदोलन में हिस्सा लेने के कारण उन्हें 26 माह तक जेल में बिताना पड़ा।

स्वतंत्रता के बाद उन्होंने अपने गांव के स्कूल में शिक्षक के रूप में कार्य किया। वे बिहार की राजनीति से जुड़े रहे। उन्हें 1952 में बिहार विधान सभा का सदस्य चुना गया। कर्पूरी ठाकुर दिसंबर 1970 से जून 1971 तक एवं दिसंबर 1977 से अप्रैल 1979 तक बिहार के मुख्यमंत्री रहे।

कर्पूरी ठाकुर ने अपने विशाल व्यक्तित्व एवं बड़े राजनेता होने का एहसास गरीबों की आवाज बनने में कभी और कहीं भी बाधक नहीं माना। यही कारण रहा कि गरीबों की आवाज को मजबूती प्रदान करने में साधन नहीं, अपने आपको साध्य मानकर आगे बढ़ते गये। उन्होंने अपनी पूरी जिंदगी ही गरीबों, असहायों, वंचितो के नाम कर दी।

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