भारत-पाकिस्तान मैच पर SC का बड़ा फ़ैसला: याचिका की खारिज, कहा- 'मैच तो होकर रहेगा', जानिये पूरा विवाद

सुप्रीम कोर्ट ने एक याचिका को तुरंत सुनने से इनकार कर दिया है, जिसमें भारत और पाकिस्तान के बीच होने वाले एशिया कप T20 मैच को रद्द करने की मांग की गई थी। यह मैच 14 सितंबर को होने वाला है..

Update: 2025-09-11 08:52 GMT

SC on India-Pakistan match (NPG file photo)

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने एक याचिका को तुरंत सुनने से इनकार कर दिया है, जिसमें भारत और पाकिस्तान के बीच होने वाले एशिया कप T20 मैच को रद्द करने की मांग की गई थी। यह मैच 14 सितंबर को होने वाला है। गुरुवार को जस्टिस जे.के. माहेश्वरी और जस्टिस विजय विष्णोई की बेंच के सामने यह मामला आया। जब याचिका दायर करने वाले वकील ने मैच रद्द करने की मांग करते हुए इसे शुक्रवार को ही सुनने की गुहार लगाई, तो जस्टिस माहेश्वरी ने कहा, "क्या जल्दी है? यह तो सिर्फ एक मैच है, होने दीजिए।"

वकील ने जब बताया कि, मैच रविवार को है और अगर शुक्रवार को इसे नहीं सुना गया तो याचिका का कोई मतलब नहीं रह जाएगा, तब जस्टिस माहेश्वरी ने फिर से कहा, "मैच इसी रविवार है? हम इसमें क्या कर सकते हैं? मैच होना चाहिए।" इसके बाद वकील ने बार-बार गुजारिश की कि उनका मामला मजबूत हो या कमजोर, कम से कम उसे सुना तो जाए, लेकिन कोर्ट ने उनकी अपील को ठुकरा दिया और कहा कि "मैच होना चाहिए।"

यह जनहित याचिका (PIL) चार कानून की पढ़ाई कर रहे छात्रों ने दायर की थी। उनका तर्क था कि पहलगाम आतंकी हमले और 'ऑपरेशन सिंदूर' के बाद पाकिस्तान के साथ क्रिकेट खेलना देश के हित में नहीं है। उनका मानना है कि ऐसा करने से हमारे सशस्त्र बलों और उन नागरिकों के बलिदान को कम आंका जाता है, जिन्होंने इन हमलों में अपनी जान गंवाई।

याचिका में कहा गया था कि, जब हमारे सैनिक अपनी जान जोखिम में डालकर लड़ रहे हैं, ऐसे में पाकिस्तान जैसे आतंकवादियों को पनाह देने वाले देश के साथ खेल का जश्न मनाना एक गलत संदेश देता है। यह उन परिवारों की भावनाओं को भी ठेस पहुँचा सकता है, जिन्होंने पाकिस्तानी आतंकवादियों के कारण अपनों को खोया है। याचिकाकर्ताओं का कहना था कि, देश की गरिमा और नागरिकों की सुरक्षा मनोरंजन से कहीं ज़्यादा ज़रूरी है।

उनका यह भी तर्क था कि, क्रिकेट को न तो देश के हित से ऊपर रखा जा सकता है, न ही नागरिकों की ज़िंदगी और सेना के बलिदान से। उनका मानना था कि इस मैच का होना देश की सुरक्षा और मनोबल के लिए हानिकारक है। याचिका में सिर्फ मैच रद्द करने की मांग ही नहीं थी, बल्कि उन्होंने युवा मामले मंत्रालय को कुछ और निर्देश देने की भी मांग की। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय खेल शासन अधिनियम, 2025 को लागू किया जाए और क्रिकेट को भी एक राष्ट्रीय खेल संघ के तहत लाया जाए।

याचिका में भारतीय क्रिकेट नियंत्रण बोर्ड (BCCI) को भी प्रतिवादी बनाया गया था और कहा गया था कि अब समय आ गया है कि बीसीसीआई को खेल मंत्रालय के अधिकार क्षेत्र में लाया जाए। अगर राष्ट्रीय खेल शासन अधिनियम, 2025 लागू होता है, तो बीसीसीआई को इस कानून के तहत बने राष्ट्रीय खेल बोर्ड के दायरे में आना पड़ेगा।

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