भारत-अमेरिका के बीच ट्रेड टॉक: क्या भारत पर से हटेगा 50% टैरिफ, या बनेगी कुछ और बात? जानें क्या कहते है समीकरण
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा धमकी भरे विवाद के बाद एक बार फिर भारत और अमेरिका के बीच दोस्ती शुरू हो गई है। चर्चा है कि, जल्द ही अमेरिका भारत पर लगाए गए 50% टैरिफ पर बात करेंगे..
नई दिल्ली। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की तरफ से 50% भारी-भरकम टैरिफ लगाने के बाद आखिरकार भारत और अमेरिका के बीच बातचीत का सिलसिला फिर से शुरू हो गया है। 16 सितंबर को अमेरिका का एक खास दल दिल्ली पहुंचा, जहाँ दोनों देशों के बीच व्यापारिक मुद्दों पर एक अहम मीटिंग हुई। इस बैठक का मकसद सिर्फ इतना था कि, दोनों के बीच बिगड़े हुए रिश्तों को सुधारा जाए और भविष्य में होने वाली ट्रेड डील के लिए रास्ता साफ किया जाए।
यह मीटिंग इसलिए भी खास है, क्योंकि अगस्त के महीने में दोनों देशों के बीच छठे दौर की बातचीत होने वाली थी, लेकिन अमेरिका ने रूस से तेल खरीदने को लेकर भारत पर 50% का भारी-भरकम टैक्स लगा दिया। इस फैसले के बाद यह बातचीत टाल दी गई थी, जिससे दोनों देशों के रिश्तों में तनाव आ गया था। इस नए टैरिफ में 25% का हिस्सा सीधे तौर पर रूस से तेल आयात करने के लिए था। अमेरिका का कहना था कि, भारत के इस कदम से रूस को यूक्रेन युद्ध के लिए पैसे मिल रहे हैं।
बदले-बदले से हैं ट्रंप के तेवर
आपको बता दें कि, पिछले कुछ हफ्तों से भारत और अमेरिका के बीच सब कुछ ठीक नहीं चल रहा था। वर्चुअल मीटिंग्स भी हुई, लेकिन कोई खास नतीजा नहीं निकल पाया। लेकिन अब लगता है कि हालात बदल रहे हैं। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का रुख पहले से काफी नरम दिख रहा है।
उन्होंने हाल ही में अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर लिखा था कि वे भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से बात करने के लिए बहुत उत्साहित हैं और उन्हें यकीन है कि दोनों देशों के बीच व्यापारिक अड़चनें जल्द ही खत्म हो जाएँगी। प्रधानमंत्री मोदी ने भी इस पर सकारात्मक जवाब दिया। ट्रंप के इस बदले हुए रुख से यह उम्मीद जागी है कि अब दोनों देश जल्द ही एक समझौते पर पहुँच सकते हैं।
दिल्ली में हुई खास मीटिंग
इस बातचीत के लिए अमेरिका के असिस्टेंट ट्रेड रिप्रेजेंटेटिव ब्रेंडन लिंच अपने प्रतिनिधिमंडल के साथ दिल्ली पहुँचे। भारत की तरफ से वाणिज्य विभाग के स्पेशल सेक्रेटरी राजेश अग्रवाल ने इस बातचीत का नेतृत्व किया। यह बैठक कोई औपचारिक ट्रेड डील की बातचीत नहीं थी, बल्कि इसे एक तरह की 'निरंतरता' माना जा सकता है।
इसका मुख्य उद्देश्य दोनों देशों के बीच बनी गलतफहमियों को दूर करना और भविष्य में छठे दौर की बातचीत कब और कैसे होगी, इस पर चर्चा करना था। अधिकारियों ने बताया कि, यह मीटिंग सिर्फ व्यापार से जुड़े मुद्दों पर ही केंद्रित थी।
डेयरी प्रोडक्ट्स पर फँसी है बात
भारत और अमेरिका के बीच व्यापार समझौते में सबसे बड़ा रोड़ा डेयरी प्रोडक्ट्स को लेकर है। अमेरिका चाहता है कि, भारत का डेयरी बाजार उसके दूध, पनीर और घी जैसे उत्पादों के लिए खोल दिया जाए। लेकिन भारत सरकार को डर है कि अगर अमेरिकी डेयरी प्रोडक्ट्स भारत में आए तो यहाँ के करोड़ों छोटे किसानों की रोजी-रोटी पर बुरा असर पड़ेगा, क्योंकि भारत दुनिया का सबसे बड़ा दूध उत्पादक देश है।
इसके अलावा, इस मुद्दे के साथ धार्मिक भावनाएँ भी जुड़ी हैं। अमेरिका में गायों को ज्यादा पोषण के लिए जानवरों की हड्डियों से बने एंजाइम (जैसे 'रैनेट') खिलाए जाते हैं। भारत में लोग इसे 'मांसाहारी दूध' मानते हैं और इसका इस्तेमाल नहीं करना चाहते। यह एक ऐसा मुद्दा है, जिस पर भारत सरकार कोई जोखिम नहीं लेना चाहती, क्योंकि इससे देश के अंदर एक बड़ा विवाद खड़ा हो सकता है। यही वजह है कि दोनों देशों के बीच इस डील में देरी हो रही है।
व्यापार का बढ़ता ग्राफ
हालाँकि, दोनों देशों के बीच कुछ मुद्दों पर मतभेद हैं, फिर भी व्यापार का ग्राफ लगातार बढ़ रहा है। भारत और अमेरिका का लक्ष्य 2030 तक अपने द्विपक्षीय व्यापार को मौजूदा 191 अरब डॉलर से बढ़ाकर 500 अरब डॉलर करना है। वाणिज्य मंत्रालय के आँकड़ों के मुताबिक, अप्रैल से जुलाई 2025 तक भारत ने अमेरिका को 33.53 अरब डॉलर का सामान निर्यात किया, जो पिछले साल के मुकाबले 21.64% ज्यादा है। इसी दौरान अमेरिका से भारत का आयात भी 12.33% बढ़कर 17.41 अरब डॉलर रहा।
इस दौरान अमेरिका भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार रहा, जिसके साथ भारत ने 12.56 अरब डॉलर का व्यापार किया। यह दिखाता है कि दोनों देशों के बीच व्यापारिक संबंध मजबूत हो रहे हैं और दोनों ही इसे और आगे बढ़ाना चाहते हैं।
क्या आगे बढ़ेगी बातचीत?
नई दिल्ली में हुई इस बैठक को दोनों देशों के रिश्तों में एक नया मोड़ माना जा रहा है। जिस तरह से डोनाल्ड ट्रंप का रुख नरम हुआ है और दोनों देशों के अधिकारी फिर से बातचीत की मेज पर बैठे हैं, उससे यह उम्मीद की जा रही है कि, आने वाले समय में दोनों देशों के बीच व्यापारिक समझौता हो सकता है। हालाँकि, डेयरी प्रोडक्ट्स जैसे संवेदनशील मुद्दों पर कोई हल निकालना अभी भी बड़ी चुनौती है, लेकिन यह बैठक यह साफ करती है कि, दोनों देश अपने मतभेदों को सुलझाकर आगे बढ़ने के लिए तैयार हैं।