बड़ी खबर: दवाओं का लाइसेंस लेने की प्रक्रिया होगी अब और भी आसान, सरकार ने बदले ये नियम, जानिये नया अपडेट
केंद्र सरकार दवाओं और रिसर्च से जुड़े नियमों को और आसान बनाने जा रही है. स्वास्थ्य मंत्रालय ने न्यू ड्रग्स एंड क्लिनिकल ट्रायल्स रूल्स, 2019 में बदलाव का प्रस्ताव रखा है। इसका नोटिफिकेशन 28 अगस्त 2025 को गजट ऑफ इंडिया में जारी हुआ है और आम लोगों से सुझाव मांगे गए हैं।
Big news: The process of getting license for medicines will now be even easier, the government has changed all these rules, know the new update
नई दिल्ली। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने 28 अगस्त 2025 को न्यू ड्रग्स एंड क्लिनिकल ट्रायल्स रूल्स (New Drugs and Clinical Trials Rules), 2019 में बदलाव का मसौदा गजट ऑफ इंडिया में प्रकाशित किया है। सरकार ने इस प्रस्ताव पर आम जनता और विशेषज्ञों से 30 दिन के भीतर सुझाव मांगे हैं। इस नए मसौदे का उद्देश्य दवाओं और रिसर्च के नियमों को सरल और प्रभावी बनाना है।
जानकारी के अनुसार, केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने बुधवार को ईज ऑफ डूइंग बिजनेस को बढ़ावा देने के लिए दवा और क्लिनिकल रिसर्च सेक्टर के नियमों में संशोधन की योजना की घोषणा की। मंत्रालय ने कहा, "न्यू ड्रग्स एंड क्लिनिकल ट्रायल्स (NDCT) नियम, 2019 में प्रस्तावित संशोधनों का उद्देश्य टेस्ट लाइसेंस प्राप्त करने और बायो अवेलेबिलिटी/बायो इक्विवेलेंस (बीए/बीई) स्टडी से संबंधित आवेदन जमा करने की आवश्यकताओं और प्रक्रियाओं को सरल बनाना है"
मंत्रालय ने यह भी बताया कि, पब्लिक कमेंट्स प्राप्त करने के लिए 28 अगस्त को भारत के राजपत्र में भी इसे प्रकाशित किया है, यह पहल फार्मास्युटिकल सेक्टर में चल रहे नियामक सुधारों के प्रति सरकार की प्रतिबद्धता को रेखांकित करती है।
मंत्रालय ने कहा, "यह भारतीय दवा उद्योग के विकास को बढ़ावा देने और घरेलू नियमों को वैश्विक सर्वोत्तम प्रथाओं के अनुरूप बनाने के लिए ईज ऑफ डूइंग बिजनेस की दिशा में व्यापक प्रयासों का एक हिस्सा है।" मंत्रालय ने आगे कहा, "इन कदमों से क्लिनिकल रिसर्च के लिए भारत का आकर्षण बढ़ने की उम्मीद है, जिससे फार्मास्युटिकल रिसर्च और डेवलपमेंट के ग्लोबल हब के रूप में भारत की स्थिति मजबूत होगी।" संशोधन में प्रस्ताव है कि, टेस्ट लाइसेंसों के लिए मौजूदा लाइसेंस सिस्टम को अधिसूचना/सूचना प्रणाली में परिवर्तित किया जाए।
क्या बदलाव किए जाएंगे?
- अब ज्यादातर दवाओं के लिए अलग से लाइसेंस लेने की जरूरत नहीं होगी, सिर्फ सूचना देना काफी होगा। वहीं, हाई-रिस्क कैटेगरी की दवाओं पर ही लाइसेंस जरूरी रहेगा।
- टेस्ट लाइसेंस की प्रक्रिया का समय 90 दिन से घटाकर 45 दिन कर दिया जाएगा।
- कुछ कैटेगरी की बायोअवेलेबिलिटी/बायोइक्विवेलेंस (BA/BE) स्टडी के लिए अब लाइसेंस नहीं लेना होगा। सिर्फ सूचना देने के बाद ही स्टडी शुरू की जा सकेगी।
क्यों फायदेमंद हैं ये बदलाव?
यह प्रस्ताव कई मायने में अहम माना जा रहा है, इससे लाइसेंस की फाइलें लगभग 50% तक कम होंगी। नई दवाओं पर रिसर्च और ट्रायल जल्दी शुरू होंगे, साथ ही दवा मंजूरी की प्रक्रिया तेज होगी। CDSCO (सेंट्रल ड्रग्स स्टैंडर्ड कंट्रोल ऑर्गेनाइजेशन) अपने संसाधनों का बेहतर इस्तेमाल कर पाएगा, सरकार का कहना है कि, इन सुधारों से भारत दुनिया में दवाओं और क्लिनिकल रिसर्च का बड़ा केंद्र बनेगा और भारतीय फार्मा इंडस्ट्री को मजबूती मिलेगी।
सुझाव के लिए 30 दिन का समय
इस प्रस्ताव पर दवा कंपनी, शोधकर्ता या आम नागरिक से सुझाव मांगे गए हैं. सुझाव देने के लिए उन्हें 30 दिन का समय दिया गया है। इन 30 दिनों में वो इस प्रस्ताव पर अपनी राय दे सकते हैं, इसकी खामियां और खूबियां, क्या और बदलाव किए जा सकते हैं यह बता सकते हैं। यह पहल दिखाती है कि सरकार इंडस्ट्री से जुड़े विशेषज्ञों और आम लोगों की राय लेकर एक आसान और व्यवस्थित प्रक्रिया बनाना चाहती है।