बड़ी खबर: अब तिहाड़ जेल के कैदियों को मिलेगा स्पेशल Certificate, जल्द लागू होगी व्यवस्था, जानिये क्या होगा इसमें ख़ास?

दिल्ली की तिहाड़ जेल प्रशासन ने अब एक नई व्यवस्था लागू की है। रिहा होने वाले कैदी को प्रमाण पत्र दिया जाएगा...

Update: 2025-09-15 14:43 GMT

Tihar Jail (NPG file photo)

नई दिल्ली। तिहाड़ जेल प्रशासन ने कैदियों की रिहाई को लेकर एक बड़ा और ज़रूरी कदम उठाया है। अब जेल से पैरोल, फरलो या अंतरिम जमानत पर बाहर जाने वाले कैदियों को एक खास प्रमाण पत्र दिया जाएगा, जिसमें उनके जेल वापस आने की पक्की तारीख लिखी होगी। यह फैसला दिल्ली हाईकोर्ट के एक आदेश के बाद लिया गया है ताकि कैदियों को वापस लौटने की तारीख पता हो और वे समय पर सरेंडर करके बेवजह की सज़ा से बच सकें।

क्या है यह नई व्यवस्था?

पहले, कई बार ऐसा होता था कि कैदियों को पता ही नहीं होता था कि उन्हें कब वापस लौटना है। खासकर, जो कैदी कम पढ़े-लिखे या अनपढ़ होते थे, उन्हें यह तारीख याद रखने में दिक्कत होती थी। जब वे देर से लौटते थे, तो उनकी सज़ा और बढ़ा दी जाती थी। इसके अलावा, उनके खिलाफ गिरफ्तारी वारंट भी जारी हो सकता था, जिससे उन्हें और भी कानूनी दिक्कतों का सामना करना पड़ता था।

अब इस नई व्यवस्था के तहत, तिहाड़ जेल से बाहर जाने वाले हर कैदी को एक प्रमाण पत्र मिलेगा। इस प्रमाण पत्र में स्पष्ट रूप से लिखा होगा कि उन्हें किस तारीख को और किस समय पर वापस आना है। जेल के अधिकारी मौखिक रूप से भी उन्हें यह जानकारी देंगे और इसका रिकॉर्ड भी रखेंगे। इससे यह सुनिश्चित होगा कि कैदी को जानकारी मिल गई है और वह बाद में यह नहीं कह सकता कि उसे तारीख पता नहीं थी।

क्यों उठाया गया यह कदम?

जेल अधिकारियों का कहना है कि यह कदम पारदर्शिता लाने और कैदियों को जिम्मेदार बनाने के लिए उठाया गया है। बहुत से कैदी अनजाने में देर कर देते थे, जिससे उन्हें काफी नुकसान होता था। उनकी सज़ा तो बढ़ती ही थी, साथ ही भविष्य में उन्हें पैरोल मिलने की संभावना भी कम हो जाती थी। इस नई व्यवस्था से उम्मीद है कि अब ऐसे मामलों में कमी आएगी और कैदी समय पर वापस लौटेंगे।

दिल्ली हाईकोर्ट के निर्देश का पालन

यह बदलाव दिल्ली हाईकोर्ट के उस आदेश के बाद आया है जिसमें अदालत ने कहा था कि कैदियों को समय पर सही जानकारी दी जानी चाहिए ताकि वे देर से सरेंडर करने के लिए अतिरिक्त दंड से बच सकें। यह पहल दिल्ली कारागार नियम, 2018 के नियम 1236 के अनुरूप भी है, जिसके तहत जेल अधीक्षक को यह सुनिश्चित करना होता है कि हर कैदी को लिखित और मौखिक दोनों रूप से सरेंडर की जानकारी मिले।

इससे क्या फ़ायदा होगा?

इस पहल से कैदियों को तो राहत मिलेगी ही, साथ ही जेल प्रशासन का बोझ भी कम होगा। जब कैदी समय पर लौटेंगे, तो पैरोल जंप जैसे मामलों में कमी आएगी, जिससे कानूनी कार्रवाई और अतिरिक्त प्रशासनिक काम से बचा जा सकेगा।

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