Aparajita Bill 2024: कोलकाता विधानसभा में एंटी रेप बिल पास, बंगाल की महिलाओं को मिलेगा न्याय

Aparajita Bill 2024: पश्चिम बंगाल की विधानसभा में मंगलवार को अपराजिता महिला और बाल विधेयक (पश्चिम बंगाल आपराधिक कानून एवं संशोधन) 2024 पारित किया गया।

Update: 2024-09-03 11:52 GMT

Aparajita Bill 2024: पश्चिम बंगाल की विधानसभा में मंगलवार को अपराजिता महिला और बाल विधेयक (पश्चिम बंगाल आपराधिक कानून एवं संशोधन) 2024 पारित किया गया। इस दौरान मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कोलकाता में महिला डॉक्टर के साथ हुई वारदात की जानकारी दी और केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) से न्याय मांगा। उन्होंने कहा कि उनकी सरकार ने मामले पर त्वरित कार्रवाई कर आरोपी को पकड़ा, लेकिन उत्तर प्रदेश के उन्नाव और हाथरस की कोई बात नहीं करता, जिनकी पीड़िताओं को आजतक न्याय नहीं मिला।

मुख्यमंत्री बनर्जी ने विधानसभा में कहा, "मैं उस लड़की और उसके परिवार के प्रति अपनी संवेदना व्यक्त करती हूं, जिसका रेप और हत्या की गई। जब 9 अगस्त की रात घटना हुई, तो मैं झारग्राम में थी। 10 अगस्त को शव मिला और 12 अगस्त को मैं मृतका के परिवार से मिली। हम CBI से न्याय चाहते हैं। CBI को अपराधी को फांसी देनी चाहिए। बिल को लागू करने के लिए राज्यपाल से इस पर हस्ताक्षर करने के लिए कहें।"

मुख्यमंत्री बनर्जी ने विधानसभा में विधेयक पर बोलते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर एक मुख्यमंत्री का अपमान करने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश और गुजरात में महिलाओं के खिलाफ अपराध की दर अधिक है, लेकिन बंगाल में प्रताड़ित महिलाओं को जल्दी न्याय मिल रहा है। विधेयक के संशोधनों पर विपक्ष के नेता सुवेंदु अधिकारी ने आपत्ति जताई, लेकिन फिर भी यह बहुमत से पारित हो गया। अब इसे राज्यपाल के पास भेजा जाएगा।

नए विधेयक से राज्य में लागू होने वाले भारतीय न्याय संहिता (BNS) 2023, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (BNSS), 2023 और POCSO अधिनियम में संशोधन किया गया है। विधेयक में रेप और महिलाओं के खिलाफ अपराधों की जांच की समयसीमा को 3 सप्ताह तक सीमित करने का प्रस्ताव है, ताकि पीड़ितों को जल्द न्याय मिल सके। पीड़ित के कोमा में जाने या मौत होने पर दोषी को फांसी होगी। रेप के लिए आजीवन कारावास या मृत्युदंड और जुर्माने का प्रावधान है।

अपराजिता टास्क फोर्स का गठन होगा

पीड़िता की पहचान का खुलासा करने, मामले में बिना अनुमति के मुकदमे की कार्यवाही के विवरण के खुलासे पर 3-5 साल की कैद होगी। ऐसे मामलों को निपटाने के लिए समर्पित विशेष कोर्ट की स्थापना की जाएगी, ताकि तेजी से अधिक केंद्रित न्यायिक प्रक्रिया सुनिश्चित हो। विधेयक में अपराजिता टास्क फोर्स बनाने का भी निर्णय लिया गया है, जो आवश्यक संसाधनों से लैस होगी और नए कानूनों के तहत मामलों की जांच करेगी।

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