'अंडरवर्ल्ड डॉन छोटा राजन' की बढ़ी मुश्किलें: इस हत्याकांड मामले में SC ने सुनाया बड़ा फैसला..जानिये क्या है पूरा विवाद?
सुप्रीम कोर्ट ने आज बॉम्बे हाईकोर्ट द्वारा गैंगस्टर छोटा राजन को दी गई जमानत रद्द कर दी गई...
underworld don Chhota Rajan (NPG FILE PHOTO)
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने गैंगस्टर राजेंद्र सदाशिव निकलजे उर्फ छोटा राजन को बड़ा झटका दिया है। कोर्ट ने बॉम्बे हाईकोर्ट के उस फैसले को पलट दिया है, जिसमें उसे साल 2001 में हुए होटल कारोबारी जया शेट्टी हत्याकांड में दी गई सजा पर रोक लगा दी गई थी। अब छोटा राजन को तिहाड़ जेल में ही रहना होगा।
जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस संदीप मेहता की बेंच ने सीबीआई की दलीलें सुनने के बाद यह सख्त फैसला सुनाया। कोर्ट ने कहा कि जिस शख्स पर चार मामलों में दोष साबित हो चुका हो और जो 27 साल तक फरार रहा हो, उसकी सजा पर रोक क्यों लगाई जाए? यह टिप्पणी अपने आप में सुप्रीम कोर्ट का साफ और कड़ा रुख दिखाती है।
क्या है पूरा मामला?
जानकारी के अनुसार, ये पूरा मामला मुंबई के मशहूर होटल व्यवसायी जया शेट्टी की हत्या से जुड़ा है। जया शेट्टी मुंबई के गामदेवी में गोल्डन क्राउन होटल की मालकिन थीं। साल 2001 में छोटा राजन के गुर्गों ने उनसे पैसे की वसूली करने की कोशिश की। राजन के गैंग ने जया शेट्टी को फोन पर धमकाया और उनसे मोटी रकम मांगी, लेकिन उन्होंने झुकने से इनकार कर दिया।
इसके बाद, 4 मई 2001 को मुंबई के ग्रांट रोड पर जया शेट्टी को उनके दफ्तर के बाहर ही गोली मार दी गई। गोली लगने से उनकी मौत हो गई। गौरतलब है कि धमकियां मिलने के बाद जया शेट्टी को मुंबई पुलिस ने सुरक्षा भी दी थी, लेकिन हत्या से ठीक दो महीने पहले उनके खुद के अनुरोध पर यह सुरक्षा हटा ली गई थी।
इस हत्याकांड के बाद छोटा राजन पर केस चला। मई 2024 में मुंबई की स्पेशल मकोका अदालत ने छोटा राजन को इस मामले में दोषी ठहराया और उसे उम्रकैद की सजा सुनाई। अदालत ने उसे आईपीसी की धारा 302 (हत्या), 120-बी (आपराधिक साजिश) और मकोका की कई धाराओं के तहत दोषी पाया। इस केस में उसे कुल 16 लाख रुपये का जुर्माना भी भरना था।
क्यों रद्द हुई जमानत ?
आपको बता दें कि, बॉम्बे हाईकोर्ट ने कुछ समय पहले छोटा राजन की सजा पर रोक लगाते हुए उसे एक तरह से राहत दे दी थी। सीबीआई ने बॉम्बे हाईकोर्ट के इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी। सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान, सीबीआई की तरफ से एडिशनल सॉलिसिटर जनरल एस.वी. राजू ने जोरदार दलीलें पेश कीं। उन्होंने कोर्ट को बताया कि छोटा राजन पर पहले से ही चार मामलों में दोष साबित हो चुके हैं। वह 27 साल तक फरार रहा था और साल 2015 में इंडोनेशिया से गिरफ्तार किया गया था। ऐसी स्थिति में उसकी सजा पर रोक लगाना गलत है।
छोटा राजन के वकील ने कोर्ट में तर्क दिया कि, उनके मुवक्किल के खिलाफ लगाए गए 71 में से 47 मामलों में सीबीआई को कोई सबूत नहीं मिला, इसलिए उन्हें बंद कर दिया गया था। उन्होंने यह भी कहा कि, यह मामला बिना सबूत का है। हालांकि, वकील ने यह बात भी मानी कि पत्रकार ज्योतिर्मय डे हत्याकांड के बाद हत्या के मामले में यह छोटा राजन की दूसरी सजा है।
सुप्रीम कोर्ट ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद सीबीआई की बात से सहमति जताई। जस्टिस विक्रम नाथ ने सवाल उठाया, "चार सजाएं और 27 साल की फरारी... ऐसे व्यक्ति की सजा को क्यों निलंबित किया जाए?" कोर्ट ने यह भी कहा कि, अगर आरोपी अस्थायी जमानत या पैरोल पर है तो उसे तुरंत सरेंडर करना होगा।
तिहाड़ में ही रहेगा 'डॉन'
इस फैसले के बाद छोटा राजन की उम्मीदों पर पानी फिर गया। वह पिछले 10 साल से दिल्ली की तिहाड़ जेल में बंद है। साल 2015 में इंडोनेशिया के बाली से गिरफ्तारी के बाद उसे भारत लाया गया था। महाराष्ट्र में उसके खिलाफ कुल 71 मामले दर्ज थे, जिन्हें बाद में सीबीआई को सौंप दिया गया था। फिलहाल इस मामले में अपडेट्स लगातार बने हुए है।