Agnipath Yojna: 7 साल तक की जा सकती अग्निवीरों की सर्विस, 70 फीसदी को परमानेंट करने पर विचार , सैलरी समेत मिलेंगे और भी कई फायदे
केंद्र सरकार अग्निपथ योजना को और ज्यादा आकर्षक बनाने के लिए इसमें अहम बदलाव करने जा रही है, जो 100 दिनों के सरकार के एजेंडे में शामिल है।बता दें कि विपक्ष इस योजना को लेकर लगातार सरकार पर हमलावर रहा है।
रायपुर। अग्निपथ योजना आने के दिन से ही चर्चा में है। ये योजना जब आई थी, तब कई राज्यों में उग्र विरोध-प्रदर्शन भी हुए थे। दरअसल अग्निपथ योजना के तहत सेना में अग्निवीरों की भर्ती की जाती है, जो 4 साल के लिए होती है। इस दौरान नियमित वेतन के अलावा 4 साल का कार्यकाल पूरा होने पर अग्निवीर सैनिकों को लगभग 12 लाख रुपए मिलते हैं। अब अग्निपथ योजना में कुछ बदलाव किए जाने का फैसला लिया गया है। केंद्र सरकार ने 10 अलग-अलग मंत्रालयों के सचिवों को अग्निपथ योजना की समीक्षा का काम सौंपा है।
अग्निवीरों का ट्रेनिंग पीरियड बढ़ाने को लेकर भी चर्चा
सचिवों का पैनल अग्निपथ योजना के जरिए सैनिकों की भर्ती को और अधिक आकर्षक बनाने के तरीके सुझाएगा। अभी तक 4 साल के बाद केवल 25 फीसदी अग्निवीरों को स्थायी किया जाता है, लेकिन अब इस प्रतिशत को बढ़ाकर 60 से 70 फीसदी और अग्निवीरों का ट्रेनिंग पीरियड बढ़ाने को लेकर भी चर्चा की जा रही है। ये सुझाव तीनों सेनाओं द्वारा किए गए आंतरिक सर्वे पर आधारित हैं।
विपक्ष सरकार पर लगातार हमलावर
दरअसल लोकसभा चुनाव के दौरान विपक्ष लगातार अग्निवीर योजना पर निशाना साधता रहा, जिसके बाद केंद्र सरकार ने इसमें बदलाव का फैसला लिया है। सरकार 4 साल की अवधि को 7 साल करने की प्लानिंग कर रही है, ताकि अग्निवीरों को भी ग्रेच्युटी का लाभ मिले और उन्हें पूर्व सैनिक का दर्जा दिया जा सके। इससे अग्निवीरों को भी वे लाभ मिल सकेंगे, जो पूर्व सैनिकों को मिलते हैं।
तीनों सेनाएं भी कर रही हैं योजना की समीक्षा
बताया जा रहा है कि प्रधानमंत्री जी-7 शिखर सम्मेलन में शामिल होकर इटली से लौट जाएंगे, तब सचिवों का पैनल अपना प्रेजेंटेशन अग्निवीर योजना को लेकर देगा। सचिवों का यह समूह अग्निपथ योजना में बदलाव के तहत सैलरी बढ़ाने का भी सुझाव दे सकता है। तीनों सेनाएं भी योजना की समीक्षा कर रही हैं।
दिया जा सकता है 75 फीसदी अग्निवीरों को परमानेंट करने का भी सुझाव
अग्निपथ योजना में सबसे बड़ा बदलाव जो हो सकता है, वो ये है कि इसमें 4 साल के बाद स्थायी नौकरी का प्रतिशत 60 से 70 फीसदी किया जा सकता है। साथ ही स्पेशल फोर्स समेत टेक्निकल और विशेषज्ञ जवानों को मिलाकर 75 फीसदी अग्निवीरों को परमानेंट करने का भी सुझाव सचिवों का पैनल दे सकता है।
बढ़ाया जा सकता है ट्रेनिंग पीरियड
अग्निपथ योजना से पहले जवानों के लिए प्रशिक्षण की अवधि 37 से 42 हफ्ते होती थी, जबकि अग्निवीरों के लिए ये समय 24 हफ्ते का है, जिससे उनकी ओवरऑल ट्रेनिंग पर असर पड़ रहा है।
आने वाले समय में कई सीनियर पोस्ट हो जाएंगे खाली
बता दें कि टेक्निकल सर्विस के लिए ज्यादा सीनियर टेक्निकल जवानों की जरूरत होती है। इनकी भर्ती के लिए सिर्फ अग्निवीर योजना ही एक जरिया है। अगर भर्ती नहीं की गई, तो 2035 तक कई सीनियर पोस्ट रिक्त हो जाएंगे। इस बात पर भी चर्चा की जा रही है कि पैरामिलिट्री फोर्स में नए सिरे से भर्ती करने के बदले अग्निवीरों की वरिष्ठता के आधार पर उन्हें सेंट्रल आर्म्ड पुलिस फोर्स यानी CAPF में शामिल किया जाए।
इसके अलावा फिलहाल अग्रिवीर सेना भर्ती के लिए आयु सीमा साढ़े 17 साल से 21 साल है। इसे बढ़ाकर 23 साल तक किया जा सकता है। वहीं ट्रेनिंग के दौरान दिव्यांगता के लिए अनुग्रह राशि दी जा सकती है। अगर कोई अग्निवीर जवान युद्ध में मारा जाता है, तो उसके परिवार को निर्वाह भत्ता दिया जा सकता है। लोकसभा चुनाव में अग्निवीर योजना को लेकर युवाओं में काफी नाराजगी देखने को मिली, जिसका असर बीजेपी की सीटों पर पड़ा है। यही वजह है कि 10 प्रमुख मंत्रालयों के सचिवों का ग्रुप जो भी सुझाव देगा, उसे अगले 100 दिनों के अंदर लागू किया जा सकता है।
अग्निपथ योजना के बारे में जानें
आर्मी, नेवी और एयरफोर्स में भर्ती के लिए जून 2022 में अग्निपथ योजना लाई गई थी। इसमें 4 साल के लिए अग्निवीरों की भर्ती की जाती है। इसमें 6 महीने की ट्रेनिंग भी शामिल है। योजना के तहत 4 साल बाद जवानों को उनकी कार्यक्षमता के आधार पर रेटिंग दी जाती है। इसके आधार पर 25% अग्निवीरों को परमानेंट सर्विस में लिया जाएगा। इस योजना के तहत ऑफिसर रैंक के नीचे के सैनिकों की भर्ती होती है। इन सैनिकों की रैंक सेना में अभी होने वाली कमीशंड ऑफिसर और नॉन-कमीशंड ऑफिसर की नियुक्ति से अलग होगी। अग्निवीर रैली में शामिल होने के लिए 10वीं पास होना जरूरी है। अगर कोई अग्निवीर 4 साल का कार्यकाल पूरा करता है, तो उसे 12वीं के समकक्ष सर्टिफिकेट मिलेगा।
सरकार के बचते हैं करोड़ों रुपए
ऑब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन के एक अध्ययन के मुताबिक, सरकार को एक अग्निवीर की लागत पूर्णकालिक भर्ती की तुलना में हर साल 1.75 लाख रुपये कम पड़ती है। 60 हजार अग्निवीरों के एक बैच के लिए वेतन पर 1,054 करोड़ रुपए की बचत होती है। ORF का कहना है कि इससे लंबी अवधि में पेंशन बिल पर काफी प्रभाव पड़ेगा, क्योंकि पेंशन रक्षा बजट का करीब 20 से 25 फीसदी हिस्सा है।