अखिलेश अखिल
गुजरात में चुनावी रण पूरे सबाब पर है। बीजेपी को अपनी 27 साल की पुरानी सत्ता बचाने की चुनौती है तो कांग्रेस की चुनौती बीजेपी को सत्ता से हटाने की है। बीजेपी को गुजरात में हराकर कांग्रेस यह संदेश देना चाहती है कि मोदी और शाह को भी हराया जा सकता है। लेकिन सच यही है कि कांग्रेस गुजरात में कोई बड़ा खेल अब तक करने में विफल रही है। उसकी कई वजहें रही हैं, जिनमें सबसे अहम कारण पार्टी संगठन की कमजोरी रही और बार बार कांग्रेस नेताओं का पाला बदलना रहा। आज गुजरात में बीजेपी की जो हैसियत है, उसमें कांग्रेस से निकल कर गए विधायक, नेताओं की बड़ी भूमिका है।
लेकिन इस बार तो गुजरात की राजनीति में आम आदमी पार्टी भी शंखनाद किए हुए है। दिल्ली और पंजाब को फतह करने के बाद आप की नजर देश के उन सभी छोटे राज्यों पर टिकी है, जहां कांग्रेस और बीजेपी आमने सामने है। गुजरात भी ऐसा ही राज्य है, जहां बीजेपी और कांग्रेस की लड़ाई को इस बार आप ने त्रिकोणात्मक बना दिया है। आप की गुजरात में मौजूदगी कांग्रेस के लिए एक नई चुनौती है तो बीजेपी भी कोई सहज नहीं दिख रही है। इस बार बीजेपी भी आप के डंक से आहत है और उसे लग रहा है कि खेल आसान नहीं है। अगर आप ने कुछ सीटों पर भी बीजेपी को शिकस्त दे दी तो परिणाम कुछ भी हो सकते हैं।
बीजेपी को पाटेशानी ओवैसी की पार्टी से भी है। वही कांग्रेस भी ओवैसी के खेल से परेशान है। उसे आप और ओवैसी से भी मुकाबला करना पड़ रहा है और बीजेपी से भी। ऐसे में सभी दलों की नजर मुस्लिम वोटरों पर जा टिकी है। अब तक के चुनाव में गुजरात के अधिकतर वोटर कांग्रेस के साथ खड़े रहे हैं लेकिन इस बार ऐसा संभव नहीं लगता। मुस्लिम वोटर्स इस बार ओवैसी के साथ भी जाएंगे और आप के साथ भी। ऐसे में कांग्रेस भले ही पिछले चुनाव की तुलना में इस बार बेहतर प्रदर्शन की बात करती हो लेकिन मुस्लिम वोटर्स के बदलते पैटर्न को देखते हुए कहा जा सकता है कि कांग्रेस शायद ही बेहतर प्रदर्शन कर सके।
हर कोई मान रहा है कि गुजरात में इस बार आम आदमी पार्टी मुकाबले को त्रिकोणीय बनाने में लगी है। वहीं, असदुद्दीन ओवैसी भी कई सीटों पर सेंधमारी की कोशिश में हैं। सूबे में करीब 9 से 10 प्रतिशत मुस्लिम वोटर्स हैं। 30 से अधिक विधानसभा सीटें ऐसी हैं जहां मुस्लिम वोटरों की संख्या 15 फीसदी से ज्यादा है। इनमें से 20 में ये संख्या 20 फीसदी से भी ज्यादा है। ऐसे में सवाल उठ रहा है कि आखिर मुसलमान इस बार गुजरात में किसका साथ देंगे?
गुजरात में करीब 10 फीसदी मुस्लिम हैं। इस लिहाज से देखें तो राज्य विधानसभा में आबादी के लिहाज से करीब 18 विधायक हो सकते हैं। हालांकि, गुजरात की किसी भी विधानसभा में मुस्लिम विधायकों की संख्या कभी सात से ज्यादा नहीं रही। 2017 में तीन मुस्लिम उम्मीदवार जीतकर विधायक बने थे। तीनों कांग्रेस के टिकट पर जीते थे। वहीं, 2012 विधानसभा चुनाव में महज दो मुस्लिम उम्मीदवार जीतने में सफल रहे थे।
कांग्रेस ने मौजूदा चुनाव में छह मुस्लिम प्रत्याशी उतारे हैं। इनमें सूरत पूर्व से असलम साइकिलवाला, वांकानेर से मोहम्मद जावेद पीरजादा, अबडास सीट से ममदभाई जुंग जत, वागरा से सुलेमान पटेल, दरियापुर सीट से ग्यासुद्दीन शेख, जमालपुर खड़िया से इमरान खेड़ावाला को टिकट दिया है। आम आदमी पार्टी ने तीन मुस्लिम चेहरों को अपना उम्मीदवार बनाया है। दरियापुर से ताज कुरैशी, जंबसुर से साजिद रेहान और जमालपुर खेड़िया से हारुन नागोरी को टिकट दिया है। 30 सीटों पर चुनाव लड़ने का एलान करने वाली एआईएमआईएम ने 16 नवबंर तक 14 सीटों पर उम्मीदवारों उतारे हैं। इनमें से 12 मुस्लिम हैं।
स्थानीय पत्रकार सहल कुरैशी कहते है कि "अब तक गुजरात के मुसलमान कांग्रेस के साथ खड़े होते थे लेकिन इस बार ऐसा कुछ नहीं कहा जा सकता। आप के आने से कांग्रेस को परेशानी हो सकती है। मुस्लिम वोट बंटेंगे यह तय है। आप ने लड़ाई को रोचक बना दिया है। आप से बीजेपी को भी परेशानी है और बीजेपी डरी हुई है क्योंकि उसे सत्ता जाने का डर है। इसके साथ ही जिन सीटों पर एआईएमआईएम ने उम्मीदवार उतारे हैं, वहां मुकाबला और दिलचस्प हो सकता है। मुस्लिम वोटों में अगर बंटवारा होता है तो इसका फायदा भाजपा को मिल सकता है।"
बता दें कि 2011 की जनगणना के मुताबिक गुजरात में कुल मुस्लिम आबादी करीब 10 फीसदी है। भुज और भरूच जिलों में मुस्लिमों की संख्या 20 फीसदी से ज्यादा है। वहीं, अहमदाबाद में वेजलपुर, दरियापुर, जमालपुर खाड़िया और दानीलिमड़ा जैसी सीटों पर मुस्लिम निर्णायक भूमिका में हैं। कुल बीस सीटें ऐसी हैं, जहां मुस्लिम मतदाताओं की आबादी 20 फीसदी से ज्यादा है। इनमें से चार अहमदाबाद, तीन-तीन सीटें भुज और भरूच जिले की हैं। केवल जमालपुर खड़िया गुजरात की इकलौती सीट है जहां मुस्लिम मतदाता 50 फीसदी से भी ज्यादा हैं। यहां कुल मतदाताओं में 61 फीसदी आबादी मुस्लिम मतदाताओं की है। इसके अलावा दाणिलिमड़ा में 48%, दरियापुर में 46%, वागरा में 44%, भरूच में 38%, वेजलपुर में 35%, भुज में 35%, जंबुसर में 31% बापूनगर में 28% और लिंबायत में 26 फीसदी मुस्लिम वोटर हैं। 2017 में इन दस सबसे ज्यादा मुस्लिम आबादी वाली सीटों में से पांच सीटें भाजपा और पांच सीटें कांग्रेस को मिलीं थीं। 2012 की बात करें तो इन दस में से आठ सीटों पर भाजपा को जीत मिली थी। वहीं, कांग्रेस को महज दो सीटों से संतोष करना पड़ा था।
जानकार यह भी मान रहे हैं कि इस बार आप को भी मुस्लिम वोट मिलेंगे और ऐसा हुआ तो बीजेपी को सीधा लाभ होगा।बीजेपी चाहती भी यही है कि मुस्लिम वोट बंट जाए ताकि कांग्रेस की सीटें कम हो। लेकिन ओवैसी ने गुजरात में कुछ सीटें जीत ली या फिर कुछ सीटों को प्रभावित कर दिया तो बीजेपी भी परेशानी झेलेगी।