समान नागरिक संहिता पर मोदी सरकार के इरादे साफ.. संसद में कहा “ संविधान अनुच्छेद 44.. सरकार इस संवैधानिक जनादेश के सम्मान के लिए प्रतिबद्ध है.. “

Update: 2020-09-16 23:44 GMT

नई दिल्ली,17 सितंबर 2020। समान नागरिक संहिता याने यूनिफ़ॉर्म सिविल कोड को लेकर मोदी सरकार ने संसद में एक सवाल के जवाब में अपना दृष्टिकोण बेहद साफ़ कर दिया है। इस मसले को लेकर मोदी सरकार ने दिए जवाब में “प्रतिबद्ध” शब्द का इस्तेमाल किया है। समान नागरिक संहिता केंद्र में सत्ता पर क़ाबिज़ भारतीय जनता पार्टी के स्थापना से अहम माँग में शामिल थी जो आगे चलकर चुनावी वायदे में तब्दील हुई। हालाँकि समय समय पर इस के विरोध में स्वर उठे हैं।
समान नागरिक संहिता अथवा समान आचार संहिता का अर्थ शाब्दिक रुप से समझें तो यह एक ऐसा कानून है जो सभी पंथ के लोगों के लिये समान रूप से लागू होता है। सरल शब्दों में दूसरे शब्दों में अलग-अलग धर्म के लिये अलग-अलग सिविल कानून न होना ही ‘समान नागरिक संहिता’ है। भाजपा के लिए यह राम मंदिर के बिलकुल बराबरी वाली वो माँग रही है जिसे लेकर भाजपा ने कभी अपनी प्रतिबद्धता को छुपाया नहीं हैं।
केंद्र की मोदी सरकार ने समान नागरिक संहिता को लेकर संसद में स्पष्ट किया है कि आख़िर वो इसे लेकर किस मानस में है। केंद्रीय विधि मंत्री रविशंकर प्रसाद की ओर से दिया जवाब बग़ैर कुछ कहे सब कुछ साफ़ कर देता है। सरकार की ओर से इस मसले पर जो जवाब दिया गया है वो यूँ है
“भारत के संविधान का अनुच्छेद 44 कथन करता है कि, राज्य, भारत के समस्त राज्यक्षेत्र में नागरिकों के लिए एक समान सिविल संहिता प्राप्त कराने का प्रयास करेगा। सरकार इस संवैधानिक जनादेश के सम्मान के लिए प्रतिबद्ध है। तथापि, इसके लिए व्यापक पैमाने पर परामर्श अपेक्षित है”
इस जवाब के साथ यह बेहद साफ संकेत केंद्र सरकार ने दे दिया है कि आखिरकार समान नागरिक संहिता को लेकर उसका रुख़ क्या है।

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