Ujjain Mahakal News: महाकाल मंदिर की सुरक्षा में तैनात डॉग मैकसी की अनोखी आस्था, सावन में रखती है उपवास, करती है सालभर सेवा

Ujjain Mahakal News: उज्जैन में स्थित श्री महाकालेश्वर मंदिर की सुरक्षा व्यवस्था में मध्यप्रदेश पुलिस की स्पेशल डॉग स्क्वॉड की मादा डॉग ‘मैकसी’ लगातार मुस्तैद है। वह केवल एक प्रशिक्षित सुरक्षा डॉग नहीं, बल्कि आस्था की मिसाल भी बन चुकी है। खास बात यह है कि सावन मास के प्रत्येक सोमवार को मैकसी बिना अन्न ग्रहण किए उपवास रखती है और पूरे दिन ड्यूटी करती है।

Update: 2025-08-03 13:06 GMT

Ujjain Mahakal News: उज्जैन में स्थित श्री महाकालेश्वर मंदिर की सुरक्षा व्यवस्था में मध्यप्रदेश पुलिस की स्पेशल डॉग स्क्वॉड की मादा डॉग ‘मैकसी’ लगातार मुस्तैद है। वह केवल एक प्रशिक्षित सुरक्षा डॉग नहीं, बल्कि आस्था की मिसाल भी बन चुकी है। खास बात यह है कि सावन मास के प्रत्येक सोमवार को मैकसी बिना अन्न ग्रहण किए उपवास रखती है और पूरे दिन ड्यूटी करती है।

श्रावण मास के दौरान जब भक्तजन शिव आराधना में लीन होते हैं, उसी समय महाकाल मंदिर की सुरक्षा में तैनात डॉग अफसर मैकसी भी अपने अनुशासन और श्रद्धा का परिचय देती है। वह अपने हैंडलर के साथ सुबह से देर शाम तक मंदिर क्षेत्र की निगरानी में लगी रहती है और इस दौरान अन्न का एक दाना भी नहीं लेती।

शाही सवारी में रहती है सबसे आगे

श्रावण के दौरान महाकाल की शाही सवारी में लाखों की संख्या में श्रद्धालु शामिल होते हैं। ऐसे में सुरक्षा व्यवस्था में किसी भी तरह की ढिलाई की गुंजाइश नहीं होती। मैकसी मंदिर से लेकर सवारी मार्ग तक लगातार सतर्कता के साथ डॉग स्कैनिंग करती है। विस्फोटक या संदिग्ध वस्तु की पहचान में वह विशेष रूप से प्रशिक्षित है।

रानो — जिसने 11 वर्षों तक निभाई सुरक्षा सेवा

मैकसी से पहले रानो नाम की मादा डॉग ने उज्जैन में 11 साल तक लगातार सेवा दी। वह भी प्रत्येक सावन सोमवार को उपवास रखती थी। रानो के लिए रामघाट पर फलाहार की अलग से व्यवस्था की जाती थी। वर्तमान में रानो सेवा से निवृत्त हो चुकी है और भोपाल के भदभदा स्थित डॉग शेल्टर में रह रही है।

अनुशासन और भक्ति का दुर्लभ उदाहरण

मैकसी का यह उपवास और सेवा-भाव पुलिस डॉग्स की भूमिका को केवल सुरक्षा तक सीमित नहीं रखता, बल्कि उसमें भक्ति और समर्पण का भाव भी जोड़ता है। श्रद्धालु और सुरक्षाकर्मी, दोनों ही मैकसी की इस अनोखी निष्ठा को सम्मान की दृष्टि से देखते हैं। वह आज महाकाल की नगरी में ‘कर्तव्य में भक्ति’ का प्रतीक बन चुकी है। 

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