शिवपुरी नगर पालिका में सियासी बवाल: 18 पार्षदों के इस्तीफे नामंजूर, नपा अध्यक्ष पर खतरा बरकरार

केंद्रीय संचार मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के संसदीय क्षेत्र में आने वाले शिवपुरी में भाजपा पार्षदों की नाराजगी देखने को मिल रहा है। यहां नगर पालिका में चल रहा राजनीतिक विवाद एक नया मोड़ ले चुका है।

Update: 2025-09-04 11:01 GMT

Political uproar in Shivpuri Nagar Palika: Resignations of 18 councilors rejected, threat to Nagar Palika president remains

भोपाल। मध्य प्रदेश के शिवपुरी में नगर पालिका की राजनीति में एक नया मोड़ आ गया है। भ्रष्टाचार के आरोपों से घिरीं नगर पालिका अध्यक्ष गायत्री शर्मा के खिलाफ 18 पार्षदों ने सामूहिक इस्तीफा दिया था, जिसे कलेक्टर ने नामंजूर कर दिया है। इससे फिलहाल तो गायत्री शर्मा की कुर्सी बच गई है, लेकिन उन पर गिरफ्तारी का खतरा अब भी मंडरा रहा है।

क्या है पूरा मामला?

जानकारी के अनुसार, शिवपुरी नगर पालिका के 18 पार्षदों (जिनमें बीजेपी, कांग्रेस और निर्दलीय शामिल हैं) ने 28 अगस्त को एक साथ मिलकर अपना इस्तीफा कलेक्टर को सौंपा था। उनका आरोप था कि, नगर पालिका अध्यक्ष गायत्री शर्मा ने विकास कार्यों के नाम पर 57 करोड़ रुपये से ज़्यादा का भ्रष्टाचार किया है और वे ऐसी भ्रष्ट अध्यक्ष के साथ काम नहीं करेंगे। इस्तीफा देने के लिए पार्षद बैंड-बाजे के साथ कलेक्ट्रेट पहुंचे थे और जमकर नारेबाजी भी की थी।

कलेक्टर ने क्यों ठुकराया इस्तीफा?

कलेक्टर रविंद्र चौधरी ने पार्षदों के इस्तीफे को अमान्य घोषित कर दिया। उन्होंने कहा कि, पार्षदों द्वारा लगाए गए भ्रष्टाचार के आरोपों की जांच पहले से ही चल रही है। इस जांच में तीन सीएमओ को निलंबित भी किया जा चुका है और नपा अध्यक्ष पर भी कार्रवाई की तैयारी है। कलेक्टर ने यह भी बताया कि, इस्तीफा व्यक्तिगत कारणों से दिया जाता है, न कि किसी पर आरोप लगाने के लिए। इसलिए इन इस्तीफों को स्वीकार नहीं किया गया।

नपा अध्यक्ष पर गिरेगी गाज

भले ही पार्षदों के इस्तीफे नामंजूर हो गए हों, लेकिन जांच में यह साफ हो गया है कि, नपा अध्यक्ष गायत्री शर्मा वित्तीय गड़बड़ियों और भ्रष्टाचार के लिए दोषी हैं। इस मामले में पहले से ही दो पूर्व और एक वर्तमान सीएमओ निलंबित हो चुके हैं। माना जा रहा है कि अब जल्द ही नपा अध्यक्ष पर भी कार्रवाई हो सकती है। इस घटना ने बीजेपी की मुश्किलें भी बढ़ा दी हैं, क्योंकि यह केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के संसदीय क्षेत्र का मामला है और आधे से ज्यादा बीजेपी पार्षद अपनी ही पार्टी की अध्यक्ष के खिलाफ हैं। पार्षदों का कहना है कि, अगर जल्द फैसला नहीं लिया गया, तो वे कोर्ट का रुख करेंगे।

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