22 साल बाद मृत महिला की हुई घर वापसी, बेटे ने कर ली थी पिंडदान की तैयारी; तभी अचानक हुआ ये..जानें पूरा मामला
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भोपाल। हिंदी में एक मशहूर कहावत है कि, भगवान के घर में देर है, पर अंधेर नहीं..इस कहावत को सच कर दिखाया है मध्य प्रदेश की एक बुजुर्ग महिला ने, जो तक़रीबन 22 वर्षों पहले अपने परिवार वालो से बिछड़ गई थी। जिसका नागपुर के रीजनल मेंटल हॉस्पिटल में वर्षों से इलाज चल रहा था।
क्या है पूरा मामला?
जानकारी के अनुसार, महिला मध्य प्रदेश के बांदरी गांव की रहने वाली है, जो 22 वर्ष पहले अपने परिवार से बिछड़ गई थी। बताया गया कि, महिला उस समय 12 साल की थी और उसकी नई-नई शादी हुई थी। वहीं, मासिक धर्म शुरू होते ही वह गर्भवती हो गई थी, कम उम्र में पांच बच्चों को जन्म देने की वजह से उसके मानसिक स्वास्थ पर प्रभाव पड़ना शुरू हो गया था। जिसके बाद एक दिन गांव में ही वह किसी काम से निकली थी, लेकिन अचानक से उसकी भूलने की बीमारी के कारण, वह भूले भटके नागपुर पहुँच गई, जहाँ वर्ष 2011 में उसे पुलिस ने अस्पताल में इलाज के लिए भर्ती करवाया था। जहाँ उसकी अच्छे से देखभाल की जाती थी।
सोशल सर्विस सुपरिटेंडेंट कुंडा कातेखाये-बिडकर के प्रयासों से महिला ने एक दिन 'बांदरी' नाम लिया, जो मध्य प्रदेश का एक गांव निकला। डॉक्टर ने उसके परिवार का पता, सागर जिले में उसके खिलाफ गुमशुदगी की दर्ज रिपोर्ट के आधार पर खोज निकाला। लेकिन असली मोड़ तब आया, जब महिला अपने गांव पहुंची। जहाँ उसके परिवार वालो ने उसे मृत मानकर उसका पिंड दान भी कर दिया था। लेकिन अपनी पत्नी की राह देखते हुए उसके पति ने दुबारा दूसरी शादी नहीं की थी, जिसने महिला को देखकर उसके पहचान की पुष्टि की और पुलिस की मदद से उस महिला को उसका परिवार मिल सका।