MP Police News : इंदौर पुलिस कमिश्नर ने TI और ASI को बनाया कांस्टेबल, रेप केस में समझौता कर 20 लाख रुपये रिश्वत लेने का आरोप

MP Police News : पुलिस कमिश्नर संतोष कुमार सिंह ने दोनों आरोपियों पर सख्त कार्रवाई करते हुए पांच साल के लिए आरक्षक पद पर पदावनत करने का आदेश जारी किया।

Update: 2025-10-25 06:50 GMT

MP Police News :   रेप केस में समझौता कर 20 लाख रुपये रिश्वत लेने वाले एमआईजी थाने में पदस्थ रहे तत्कालीन थाना प्रभारी टीआई अजय वर्मा पर इंदौर पुलिस कमिश्नर संतोष कुमार सिंह ने बड़ी अनुशासनात्मक कार्रवाई की है। एमआईजी थाने में पदस्थ रहे तत्कालीन थाना प्रभारी टीआई अजय वर्मा को दोषी पाए जाने पर डिमोट करते हुए उपनिरीक्षक (एसआई) बना दिया गया है। साथ ही, जांच में शामिल पाए गए कार्यवाहक सहायक उपनिरीक्षक धीरज शर्मा को भी डिमोट कर आरक्षक (कांस्टेबल) के पद पर भेजा गया है।  


एमआईजी थाने में पदस्थ थाना प्रभारी (टीआई) अजय वर्मा और सहायक उपनिरीक्षक (एएसआई) धीरज शर्मा को गंभीर लापरवाही और ब्लैकमेलिंग में दोषी पाए जाने के बाद डिमोट कर दिया गया है। पुलिस कमिश्नर संतोष कुमार सिंह ने दोनों आरोपियों पर सख्त कार्रवाई करते हुए टीआई अजय वर्मा को दो साल के लिए एएसआई और एएसआई धीरज शर्मा को पांच साल के लिए आरक्षक पद पर पदावनत करने का आदेश जारी किया।

2022 के रेप केस से जुड़ा मामला

यह कार्रवाई 2022 में दर्ज एक रेप केस से जुड़ी है, जिसमें एक महिला ने आरोपी रवि नामक व्यक्ति के खिलाफ गंभीर आरोप लगाए थे। जांच के दौरान सामने आया कि टीआई अजय वर्मा और एएसआई धीरज शर्मा ने न्यायिक प्रक्रिया का दुरुपयोग करते हुए आरोपी पक्ष से 20 लाख रुपए लेकर समझौता करने की कोशिश की। इस पूरे प्रकरण को दबाने के लिए इन दोनों अधिकारियों ने अपनी पद का दुरुपयोग किया था। जांच रिपोर्ट में यह भी सामने आया कि दोनों अधिकारियों ने इस घटना को छिपाने के लिए दस्तावेज़ों और गवाहों के बयान में हेराफेरी की, जिससे मामला संदेहास्पद बन गया। मामला उजागर होने के बाद दोनों के खिलाफ विभागीय जांच शुरू की गई।


जांच में हुई पुष्टि, उजागर हुई ब्लैकमेलिंग

पहले इस पूरे मामले की जांच एडिशनल डीसीपी स्तर पर की गई थी। जांच में एक आरक्षक की भूमिका भी संदिग्ध पाई गई, जिसे प्रारंभिक रूप से सेवा से हटा दिया गया। इसके बाद विस्तृत जांच में यह सिद्ध हुआ कि अजय वर्मा और धीरज शर्मा ने न केवल रेप केस के आरोपी से आर्थिक लेनदेन किया था, बल्कि पूरे प्रकरण को दबाने की हामी भी भरी थी। आख़िरकार जांच रिपोर्ट पुलिस कमिश्नर के पास पहुंची और दोनों को दोषी मानते हुए तत्काल प्रभाव से सज़ा देने के आदेश जारी किए गए। पुलिस प्रशासन ने इस कार्रवाई को विभागीय अनुशासन और पारदर्शिता को बनाए रखने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम बताया है।

स्थानांतरण के बाद भी पेंडिंग था मामला

आरोप सामने आने के बाद टीआई अजय वर्मा का उज्जैन तबादला कर दिया गया था। वहीं एएसआई धीरज शर्मा के खिलाफ जांच लंबित रही। दोनों पर कई स्तरों की पूछताछ और साक्ष्य संग्रह की प्रक्रिया पूरी की गई। पुलिस विभाग ने कार्रवाई को विभागीय मर्यादा और नैतिकता के खिलाफ व्यवहार पर आधारित बताया है। अधिकारियों का कहना है कि यह उदाहरण विभाग में भ्रष्टाचार के खिलाफ एक सख्त संदेश देगा।

पुलिस कमिश्नर का सख्त रुख

पुलिस कमिश्नर संतोष कुमार सिंह ने कहा है कि “कानून व्यवस्था कायम रखने वालों का अगर आचरण ही गलत पाया जाता है, तो विभाग में सख्त सज़ा तय है।” उन्होंने स्पष्ट किया कि भविष्य में किसी भी अधिकारी या कर्मचारी द्वारा इस तरह की हरकत पर तत्काल अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी। यह कदम प्रशासनिक सख्ती के साथ-साथ पुलिस की साख बहाल करने का भी प्रयास माना जा रहा है।

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