MP News: शिक्षक भर्ती परिणाम में देरी, अभ्यर्थियों ने किया जमकर प्रदर्शन, मांग पूरी नहीं होने पर दी ये चेतावनी
MP News: भोपाल में वर्ग-2 शिक्षक भर्ती परीक्षा के परिणाम की देरी के कारण अभ्यर्थी नाराज हो गए हैं. परीक्षा का परिणाम चार महीने से अधिक समय से अटका हुआ है, जिससे अभ्यर्थियों में गहरी निराशा है. सोमवार को सैकड़ों उम्मीदवार राजधानी की सड़कों पर उतर आए और अपनी मांगों के लिए प्रदर्शन किया. वे पहले मध्य प्रदेश कर्मचारी चयन बोर्ड (MPESB) पहुंचे, लेकिन वहां कोई सुनवाई नहीं होने पर डीपीआई तक पैदल मार्च करते हुए पहुंचे. वहां उन्होंने विरोध प्रदर्शन जारी रखा/
MP News: भोपाल में वर्ग-2 शिक्षक भर्ती परीक्षा के परिणाम की देरी के कारण अभ्यर्थी नाराज हो गए हैं. परीक्षा का परिणाम चार महीने से अधिक समय से अटका हुआ है, जिससे अभ्यर्थियों में गहरी निराशा है. सोमवार को सैकड़ों उम्मीदवार राजधानी की सड़कों पर उतर आए और अपनी मांगों के लिए प्रदर्शन किया. वे पहले मध्य प्रदेश कर्मचारी चयन बोर्ड (MPESB) पहुंचे, लेकिन वहां कोई सुनवाई नहीं होने पर डीपीआई तक पैदल मार्च करते हुए पहुंचे. वहां उन्होंने विरोध प्रदर्शन जारी रखा.
आवेदन प्रक्रिया में देरी
मध्य प्रदेश शिक्षक भर्ती प्रक्रिया की शुरुआत दिसंबर 2022 में हुई थी, जबकि परीक्षा अप्रैल 2023 में आयोजित की गई थी. इस दौरान अभ्यर्थियों को उम्मीद थी कि परिणाम जल्दी घोषित होंगे, लेकिन अब तक परिणाम की घोषणा नहीं हुई है. अभ्यर्थियों का कहना है कि वे मानसिक तनाव का सामना कर रहे हैं, क्योंकि परिणाम में देरी के कारण उनकी बाकी जिंदगी भी प्रभावित हो रही है. इन अभ्यर्थियों ने यह भी बताया कि तीन साल से भर्ती प्रक्रिया का इंतजार किया जा रहा है, और अब तक इसका कोई हल नहीं निकला है.
अभ्यर्थियों की प्रमुख मांगें
तीन दिनों के भीतर परिणाम घोषित किया जाए, अगर देरी का कारण प्रशासनिक या तकनीकी है, तो इस पर स्पष्टता देने के लिए प्रेस नोट जारी किया जाए, मानसिक तनाव के लिए जिम्मेदारी कर्मचारी चयन बोर्ड (ESB) को लेनी चाहिए.
उन्हें यह भी चिंता है कि परीक्षा परिणाम घोषित होने के बाद दस्तावेज़ सत्यापन की प्रक्रिया में भी समय लगेगा, जिससे नियुक्ति प्रक्रिया और अधिक लंबी हो सकती है.
शिक्षकों की कमी पर चिंता
अभ्यर्थियों ने यह भी कहा कि राज्य के स्कूलों में शिक्षक पदों की भारी कमी है, विशेषकर खेल और संगीत के शिक्षकों के लिए. इन पदों के लिए पिछले 20 सालों से भर्ती नहीं की गई है, जबकि स्कूलों में शिक्षकों की सख्त जरूरत है. इस देरी के कारण शिक्षा व्यवस्था पर प्रतिकूल असर पड़ रहा है, और शिक्षकों की कमी से छात्रों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा मिलना मुश्किल हो रहा है
अभ्यर्थियों ने यह भी बताया कि उनके सामने आर्थिक परेशानियां बढ़ रही हैं. परीक्षा के परिणाम के बिना, उनके करियर की दिशा तय नहीं हो पा रही है, और नौकरी मिलने में भी अनिश्चितता बनी हुई है. इसके अलावा, कई उम्मीदवारों ने कहा कि वे मानसिक तनाव में हैं और इस स्थिति के कारण उनके जीवन की गुणवत्ता प्रभावित हो रही है.