MP News: फिर सरकारी स्वास्थ्य व्यवस्था पर उठा सवाल! मद्द के लिए गुहार लगात रहे परिजन, महिला ने गेट पर ही दिया बच्चे को जन्म...

MP News: शिवपुरी के जिला अस्पताल से एक सरकारी स्वास्थ्य व्यवस्था पर सवाल उठा देने वाली घटना सामने आई है. यह घटना भौंती थाना क्षेत्र के दुल्हई गाँव की रहने वाली चायना आदिवासी के साथ हुई. जहां महिला को अस्पताल के गेट पर ही बच्चे को जन्म देना पड़ा.

Update: 2025-09-15 08:51 GMT

MP News: शिवपुरी के जिला अस्पताल से एक सरकारी स्वास्थ्य व्यवस्था पर सवाल उठा देने वाली घटना सामने आई है. यह घटना भौंती थाना क्षेत्र के दुल्हई गाँव की रहने वाली चायना आदिवासी के साथ हुई. प्रसव पीड़ा के बढ़ने पर उन्हें पहले सिरसौद स्वास्थ्य केंद्र में भर्ती कराया गया था, जहाँ से उन्हें शिवपुरी जिला अस्पताल रेफर किया गया. अस्पताल पहुँचने के बाद, महिला की हालत तेजी से बिगड़ने लगी, लेकिन अस्पताल स्टाफ ने समय पर मदद नहीं की, जिससे महिला को अस्पताल के गेट पर ही बच्चे को जन्म देना पड़ा.

अस्पताल के कर्मचारियों की लापरवाही

चायना आदिवासी के परिवार ने अस्पताल के कर्मचारियों से तत्काल मदद की गुहार लगाई, लेकिन अस्पताल स्टाफ द्वारा कागजी कार्रवाई और औपचारिकताओं में 20 मिनट का समय निकालने का आरोप है. इस दौरान महिला की हालत बिगड़ चुकी थी, और अस्पताल स्टाफ के न पहुंचने के कारण महिला को मजबूरी में अस्पताल के गेट पर ही अपनी डिलीवरी करनी पड़ी. महिला के साथ आई दूसरी महिलाओं ने उसे चादर से ढककर आड़ दी और वहीँ बच्चे को जन्म दिया.

परिजनों का आरोप

महिला के परिवार ने अस्पताल की लापरवाही को लेकर गंभीर आरोप लगाए हैं. उनका कहना था कि अगर भगवान की कृपा नहीं होती तो इस घटना का अंजाम कुछ और हो सकता था.

सिविल सर्जन का बयान

इस घटना पर जिला अस्पताल के सिविल सर्जन, डॉ. बी. एल. यादव ने सफाई दी है. उनका कहना है कि महिला का प्रसव एंबुलेंस में हुआ था, अस्पताल की चौखट पर नहीं. उनके मुताबिक जैसे ही एंबुलेंस अस्पताल पहुँची, जच्चा और बच्चा को तुरंत भर्ती कर लिया गया और दोनों सुरक्षित हैं.

स्वास्थ्य व्यवस्था पर सवाल

यह घटना एक बार फिर सरकारी स्वास्थ्य व्यवस्था पर सवाल उठाती है. जब एक गर्भवती महिला को समय पर अस्पताल के भीतर सही मदद नहीं मिल पा रही थी, स्वास्थ्य व्यवस्था में सुधार की बहुत जरूरत है. सरकारी अस्पतालों में ऐसी लापरवाही आम होती जा रही है, और इसका खामियाजा सीधे मरीजों को भुगतना पड़ता है.

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