MP News : UGC ने 10 प्रमुख विश्वविद्यालयों को घोषित किया डिफॉल्टर, जानिए कारण और देखें लिस्ट

MP News: देशभर में उच्च शिक्षा के क्षेत्र में एक अहम बदलाव देखने को मिला है. विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) ने 54 निजी विश्वविद्यालयों को डिफॉल्टर घोषित किया है.

Update: 2025-09-28 12:30 GMT

MP News: देशभर में उच्च शिक्षा के क्षेत्र में एक अहम बदलाव देखने को मिला है. विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) ने 54 निजी विश्वविद्यालयों को डिफॉल्टर घोषित किया है, जिनमें मध्यप्रदेश की 10 प्रमुख प्राइवेट यूनिवर्सिटीज भी शामिल हैं. यह कदम यूजीसी द्वारा इन विश्वविद्यालयों को बार-बार दी गई चेतावनियों के बावजूद अपनी वेबसाइट पर जरूरी जानकारियां अपलोड न करने पर उठाया गया है.

यूजीसी के मुताबिक, इन विश्वविद्यालयों ने अपनी वेबसाइटों पर छात्रों और अभिभावकों के लिए अनिवार्य पब्लिक सेल्फ डिस्क्लोजर जानकारी नहीं दी, जिसके तहत फैकल्टी, फीस संरचना, संस्थान के नियम और अन्य महत्वपूर्ण डिटेल्स को सार्वजनिक करना होता है.

यूजीसी के तहत पब्लिक सेल्फ डिस्क्लोजर एक अनिवार्य नियम है, जिसके तहत सभी प्राइवेट विश्वविद्यालयों को अपनी वेबसाइट पर छात्रों से जुड़ी सभी आवश्यक जानकारी सार्वजनिक करनी होती है. इसका उद्देश्य पारदर्शिता सुनिश्चित करना है, ताकि छात्र और उनके अभिभावक यह जान सकें कि विश्वविद्यालय यूजीसी के मानकों के अनुसार कार्य कर रहा है या नहीं. इसके अलावा, यह कदम संभावित फर्जी विश्वविद्यालयों के खिलाफ भी सुरक्षा प्रदान करता है. हालांकि, कई विश्वविद्यालयों ने इस नियम का पालन नहीं किया और अपनी वेबसाइट पर यह जानकारी नहीं दी. इस वजह से UGC ने उन्हें डिफॉल्टर घोषित कर दिया और उन्हें चेतावनी दी कि वे जल्दी से जल्दी नियमों का पालन करें.

मध्यप्रदेश के डिफॉल्टर विश्वविद्यालय

मध्यप्रदेश की डिफॉल्टर सूची में शामिल विश्वविद्यालयों में अजीम प्रेमजी यूनिवर्सिटी, भोपाल; आर्यावर्त यूनिवर्सिटी, सीहोर; प्रीति ग्लोबल यूनिवर्सिटी, शिवपुरी; ज्ञानवीर यूनिवर्सिटी, सागर; जेएनसीटी यूनिवर्सिटी, भोपाल; शुभम यूनिवर्सिटी, भोपाल; महर्षि महेश योगी वैदिक विश्वविद्यालय, जबलपुर; एलएनसीटी विद्यापीठ यूनिवर्सिटी, इंदौर; महाकौशल यूनिवर्सिटी, जबलपुर और मानसरोवर ग्लोबल यूनिवर्सिटी, सीहोर शामिल हैं.

इन विश्वविद्यालयों के खिलाफ कार्रवाई यूजीसी के नियमन को सख्त करने की दिशा में एक अहम कदम हो सकती है. अब, इन विश्वविद्यालयों को अपनी वेबसाइटों पर सभी जरूरी जानकारियाँ अपलोड करनी होंगी. साथ ही, अगर वे ऐसा नहीं करते, तो UGC के पास और सख्त कदम उठाने का अधिकार है, जिसमें उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई भी हो सकती है.

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