MP Liquor Export Policy 2026 : मोहन सरकार का मास्टरस्ट्रोक : मेड इन एमपी शराब का दुनिया में बजेगा डंका, राजस्व में होगा मोटा मुनाफा

MP Liquor Export Policy 2026 : अब मध्य प्रदेश में बनने वाली शराब न केवल देश के अन्य राज्यों के गले की प्यास बुझाएगी, बल्कि सात समंदर पार विदेशों में भी इसका निर्यात (Export) किया जाएगा।

Update: 2025-12-19 08:07 GMT

MP Liquor Export Policy 2026 : मोहन सरकार का मास्टरस्ट्रोक : मेड इन एमपी शराब का दुनिया में बजेगा डंका, राजस्व में होगा मोटा मुनाफा

MP Liquor Export Policy 2026 : भोपाल : मध्य प्रदेश की आर्थिक सेहत सुधारने और राज्य के खजाने को नई मजबूती देने के लिए मोहन यादव सरकार एक क्रांतिकारी कदम उठाने जा रही है। अब मध्य प्रदेश में बनने वाली शराब न केवल देश के अन्य राज्यों के गले की प्यास बुझाएगी, बल्कि सात समंदर पार विदेशों में भी इसका निर्यात (Export) किया जाएगा। सरकार एक ऐसी 'एकीकृत आबकारी नीति' (Integrated Excise Policy) तैयार कर रही है, जो प्रदेश को शराब उत्पादन का बड़ा हब बनाने की दिशा में मील का पत्थर साबित होगी।

MP Liquor Export Policy 2026 : सीमित खपत, असीमित व्यापार: क्या है सरकार की रणनीति? अक्सर शराब नीति को लेकर सामाजिक और राजनीतिक चिंताएं रहती हैं, लेकिन इस बार सरकार ने एक बेहद संतुलित 'बिजनेस मॉडल' तैयार किया है। नई नीति का मुख्य मंत्र है— "उत्पादन बढ़ाओ, लेकिन स्थानीय सप्लाई सीमित रखो।" इसका सीधा मतलब यह है कि मध्य प्रदेश में शराब की डिस्टिलरी और बॉटलिंग यूनिट्स की क्षमता तो बढ़ाई जाएगी, लेकिन उस बढ़ी हुई शराब को राज्य के भीतर नहीं खपाया जाएगा। सरकार का पूरा फोकस इस अतिरिक्त उत्पादन को अन्य राज्यों और अंतरराष्ट्रीय बाजारों में भेजने पर है। इससे राज्य में शराबखोरी बढ़ने का खतरा नहीं रहेगा और खजाने में पैसा भी आएगा।

MP Liquor Export Policy 2026 : विदेशी मुद्रा और राजस्व का नया स्रोत

आबकारी विभाग के सूत्रों के मुताबिक, अंतरराष्ट्रीय बाजार में भारतीय शराब, विशेष रूप से 'हेरिटेज लिकर' (पारंपरिक महुआ शराब आदि) और प्रीमियम स्पिरिट्स की मांग तेजी से बढ़ रही है। मध्य प्रदेश सरकार इसी मांग को भुनाना चाहती है। यदि मध्य प्रदेश की शराब विदेशों में निर्यात होती है, तो राज्य को सीधे तौर पर विदेशी मुद्रा (Foreign Exchange) प्राप्त होगी। इसके अलावा, दूसरे राज्यों को सप्लाई करने से 'एक्सपोर्ट ड्यूटी' के माध्यम से करोड़ों रुपये का अतिरिक्त राजस्व मिलेगा, जिसका उपयोग विकास कार्यों में किया जा सकेगा।

हेरिटेज लिकर: MP की खास पहचान बनेगी वैश्विक

मध्य प्रदेश सरकार ने पहले ही महुआ से बनी 'हेरिटेज लिकर' को बढ़ावा देने की घोषणा की थी। नई एकीकृत नीति में इसे वैश्विक स्तर पर ब्रांडिंग करने की योजना है। जिस तरह फ्रांस की 'शैम्पेन' और स्कॉटलैंड की 'व्हिस्की' प्रसिद्ध है, उसी तर्ज पर मध्य प्रदेश के जनजातीय क्षेत्रों की पारंपरिक शराब को एक प्रीमियम ब्रांड के रूप में पेश किया जाएगा। इससे न केवल राजस्व बढ़ेगा, बल्कि जनजातीय क्षेत्रों के लोगों को स्वरोजगार के नए अवसर भी मिलेंगे।

निवेशकों के लिए रेड कार्पेट: सरल होगी लाइसेंसिंग प्रक्रिया

नई नीति के तहत उद्योगपतियों और निवेशकों को मध्य प्रदेश में नई इकाइयां लगाने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा। सरकार लाइसेंसिंग, क्वालिटी कंट्रोल और एक्सपोर्ट क्लीयरेंस की प्रक्रिया को पूरी तरह डिजिटल और सरल बनाने जा रही है। "ईज ऑफ डूइंग बिजनेस" के तहत आबकारी विभाग में होने वाली जटिल कागजी कार्रवाई को खत्म किया जाएगा, जिससे नए निवेश आएंगे और स्थानीय स्तर पर हजारों लोगों को रोजगार मिलेगा।

गुणवत्ता पर विशेष जोर

चूँकि यह शराब अंतरराष्ट्रीय बाजार में भेजी जानी है, इसलिए सरकार 'क्वालिटी कंट्रोल' के लिए कड़े मापदंड तय कर रही है। नई नीति में ऐसी प्रयोगशालाओं (Labs) की स्थापना का प्रस्ताव है जो अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप शराब की शुद्धता और गुणवत्ता की जांच कर सकें। इससे 'मेड इन मध्य प्रदेश' शराब की साख दुनियाभर में स्थापित होगी।

राजस्व और नियमन का संतुलन

मध्य प्रदेश सरकार का यह कदम आर्थिक रूप से मास्टरस्ट्रोक माना जा रहा है। एक तरफ जहां स्थानीय स्तर पर शराब की दुकानों की संख्या और उपलब्धता को नियंत्रित रखकर सामाजिक सरोकारों का ध्यान रखा जा रहा है, वहीं दूसरी ओर निर्यात के जरिए राज्य की आय बढ़ाने का रास्ता भी साफ किया जा रहा है। यदि यह एकीकृत नीति सफलतापूर्वक लागू होती है, तो मध्य प्रदेश जल्द ही देश के सबसे बड़े शराब निर्यातक राज्यों की सूची में शामिल हो जाएगा।

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