MP में 800 करोड़ का बंटाधार! 450 से ज्यादा प्रोजेक्ट बर्बाद, सरकारी भवन खंडहरों में हुए तब्दील..अस्पताल बना 'कब्रिस्तान'

Update: 2025-10-30 08:45 GMT

भोपाल। मध्य प्रदेश में जनता के पैसों की बर्बादी का सनसनीखेज खुलासा हुआ है। यहाँ राज्य के लगभग 55 जिलों में करोड़ों की लागत से बनाए गए सरकारी भवन अब खंडहरों में तब्दील हो चुके हैं।

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, इन भवनों की लागत 50 लाख रुपए से लेकर 8 करोड़ रुपए तक है। इसमें स्कूल, कॉलेज और सरकारी अस्पताल जैसे भवन शामिल हैं, जिन्हें जनता की सुख-सुविधाओं को ध्यान में रखते हुए बनाया गया था, लेकिन अब ये भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ चुके हैं।

बताया जाता है कि, इसमें से ज्यादातर भवन ऐसे हैं जिनका उद्घाटन अब तक नहीं हुआ है। वहीं, भवनों की इमारतें उपयोग में नहीं ली गईं, जिससे इनकी हालत खस्ता हो चुकी है। मीडिया सूत्रों के अनुसार, इन भवनों की कुल संख्या लगभग 450 से भी अधिक है, वहीं इनकी कुल लागत लगभग 800 करोड़ रुपये तक आंकी गई है, जिसका नुकसान हुआ है।

सबसे पहले बात करें, प्रदेश की राजधानी भोपाल की तो यहाँ पर कई ऐसे सरकारी भवन हैं, जिनका लोकार्पण न होने की वजह से इनकी हालत बेहद ही खराब हो चुकी है, कहीं-कहीं तो अवैध कब्ज़ा हो चुका है। इस सूची में भोपाल का श्यामा प्रसाद मुखर्जी स्टेडियम मुख्य चर्चा में है, जिसकी कुल लागत लगभग 11 करोड़ रुपये बताई जाती है।

इसके अलावा, प्रदेश के नरसिंहपुर जिले में जनता की सुविधा के लिए बनाया गया अस्पताल भवन इस सूची में दूसरे नंबर पर आता है। बता दें कि, लगभग 6.50 करोड़ रुपए की लागत से बना हुआ यह अस्पताल अब भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ चुका है। वजह यह रही कि, यहाँ अस्पताल भवन का निर्माण तो हो गया, लेकिन यहाँ ड्यूटी पर तैनात करने के लिए डॉक्टरों की कमी हो गई। हाल ही में करीब दो महीने पहले सामानों का स्टॉक आया था, लेकिन अब तक यहाँ स्टाफ की नियुक्ति नहीं हुई है।

ऐसा ही हाल, प्रदेश के विदिशा के शासकीय महाविद्यालय लटेरी का है। जहाँ वर्ष 2015 में लगभग एक करोड़ छह लाख की लागत से 100 बेड के दो छात्रावास बनाए गए थे, जो अब खंडहर में तब्दील हो चुके हैं। इन छात्रावासों में लकड़ियों की जगह अवैध रूप से कब्ज़ा करके कुछ लोग रह रहे हैं। जबकि सरकार का उद्देश्य नक्सल प्रभावित इलाकों में इस छात्रावास को बनाकर गाँव-गाँव तक बच्चों को उच्च शिक्षा ग्रहण करवाना था, लेकिन वह सपना भी अधूरा ही रह गया।

सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, बताया जाता है कि, इस भवन का निर्माण पूरा न होने की एक वजह इसके निर्माण कार्य में हुआ बड़ा भ्रष्टाचार भी है। बताया जाता है कि, भवन के ठेकेदार ने आधा-अधूरा निर्माण करा पूरी राशि निकाल ली। जिसके बाद से सुदूरवर्ती क्षेत्र के हजारों लड़के और लड़कियाँ किराए पर रूम लेकर रहने को मजबूर हैं। बताया जाता है कि 2023 में 50 लाख की लागत से दोनों छात्रावास में चहारदीवारी, गार्ड शेड, पीसीसी पथ और रंगरोगन का कार्य किया गया था, जिस्सके बाद से इसका अब तक कोई मेंटनेंस कार्य नहीं हुआ है।

स्थानीय लोगों का कहना है कि, उक्त दोनों छात्रावास बच्चों की सुविधा के लिए बनाये जाने थे, लेकिन ठेकेदार ने इसके निर्माण में बड़ा गुलाम करते हुए, सारे पैसे डकार लिए, जिसके बाद यह मामला कलेक्टर के पास पहुँचा था, जिस पर उन्होंने पीडब्ल्यूडी को मरम्मत का आकलन कराने और सरकार से धन स्वीकृति दिलाने का आदेश दिया था, लेकिन यह काम अब तक नहीं हुआ है।

इसके अलावा रायसेन जिले में भी एक ऐसा ही सरकारी भवन (विश्राम गृह) पिछले छह वर्षों से खंडहर में तब्दील हो रहा है। इसकी एकमात्र वजह यहाँ स्टाफ की कमी होना बताया गया है, जिस पर पूर्व कैबिनेट मंत्री रामपाल ने भवन शुरू कराने का दावा किया था, लेकिन वह भी अब लंबित है।

कांग्रेस ने सरकार पर साधा निशाना

बता दें कि, बीते दिनों प्रदेश कांग्रेस ने इन सभी मामलों को लेकर राज्य सरकार पर जमकर निशाना साधा था। कांग्रेस ने कहा कि, यह सीधा-सीधा भ्रष्टाचार का मामला है। सरकार ने भवन बना दिए, लेकिन उद्घाटन नहीं हो रहा। कोई सुनने और देखने वाला नहीं है। साथ ही कांग्रेस नेता अब्बास हफीज ने कहा कि आखिर क्या कारण है कि भवन का उद्घाटन नहीं हो सका, इसकी जाँच होनी चाहिए। एक कमेटी बननी चाहिए, जो जाँच करे और कार्रवाई करे।

देवड़ा ने दिया यह आश्वासन

इस पर उपमुख्यमंत्री जगदीश देवड़ा ने आश्वासन देते हुए कहा कि, आखिर क्या कारण रहे हैं कि ये भवन बन गए और उद्घाटन नहीं हुआ। इसके चलते वहाँ काम भी शुरू नहीं हुआ। इसकी जाँच हम करवाएँगे और जल्द ऐसे भवन शुरू करवाएँगे। इन जर्जर भवनों ने अब जनता के पैसों की बर्बादी के प्रतीक का रूप ले लिया है। विशेषज्ञों और स्थानीय लोगों ने इन भवनों के शीघ्र उपयोग की माँग की है, ताकि सरकारी निवेश का सही उपयोग हो सके।

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