मदनवाड़ा नक्सल हमले को लेकर जांच आयोग का ऐलान …. जस्टिस शंभूनाथ श्रीवास्तव करेंगे जांच, 6 महीने में सौंपेंगे अपनी रिपोर्ट…. हमले के 10 साल बाद खुलेगी एसपी सहित 29 जवानों की हत्या की फाइल

Update: 2020-01-19 06:04 GMT

रायपुर 19 जनवरी 2020 । 10 साल बाद मदनवाड़ा नक्सली हमले की फाइल खुलेगी। राज्य सरकार ने इस मामले में जांच आयोग का गठन कर दिया है। राजनांदगांव जिले के मदनवाड़ा के पास 12 जुलाई 2009 में हुए माओवादी हमले में तत्कालीन एसपी विनोद कुमार चौबे सहित 29 पुलिसकर्मियों की मौत हुई थी। यह पहला मामला था जिसमें पुलिस का कोई एसपी स्तर का अधिकारी माओवादियों के हमले में शहीद हुआ हो। एसपी विनोद कुमार चौबे को मरणोपरांत कीर्ति चक्र से सम्मानित किया गया था।

इलाहाबाद हाईकोर्ट के रिटायर जज न्यायमूर्ति शंभुनाथ श्रीवास्तव की अध्यक्षता में जांच आयोग का गठन किया गया है। न्यायमूर्ति श्रीवास्तव छत्तीसगढ़ प्रमुख लोकायुक्त रह चुके हैं। आयोग को 6 महीेने के भीतर अपनी रिपोर्ट देने को कहा गया है।

मदनवाड़ा हमले की ऐसे रची गयी थी साजिश

12 जुलाई 2009 को राजनांदगांव से 100 किमी दूर मानपुर के मदनवाड़ा में नक्सलियों ने दो जवानों को गाेली मार दी थी। सूचना पर एसपी चौबे जवानों को साथ लेकर तत्काल मौके के लिए रवाना हुए थे। लेकिन उनके पहुंचने से पहले ही कोरकोट्‌टी में नक्सलियों ने बारूदी सुरंग विस्फोट किया। इससे गाड़ी अनियंत्रित हो गई और मौका देख नक्सलियों ने सड़क की दोनों दिशाओं से गोलियां बरसानी शुरू कर दी। एसपी चौबे सहित 29 जवान हमले में शहीद हो गए थे।

 

इन बिंदुओं पर केंद्रित रहेगा आयोग –

यह घटना किन परिस्थितियों में हुई थी।

– क्या घटना को घटित होने से बचाया जा सकता था।

– क्या सुरक्षा की निर्धारित प्रक्रियाओं और निर्देशों का पालन किया गया था।

– किन परिस्थितियों में एसपी और अन्य सुरक्षाबलों को उस अभियान में भेजा गया।

– एसपी और जवानों के एम्बुश में फंसने पर क्या अतिरिक्त बल उपलब्ध कराया गया, अगर हां तो स्पष्ट करना है।

– मुठभेड़ में माओवादियों को हुए नुकसान और उनके मरने और घायल होने की जांच।

– सुरक्षाबलों के जवान किन परिस्थितियों में करे अथवा घायल हुए।

– घटना से पहले, उसके दौरान और बाद के मुददे जो उससे संबंधित हों।

– क्या, राज्य पुलिस और केंद्रीय बलों के बीच समुचित समन्वय रहा है।

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