Jharkhand News: सीएम हेमंत और रिश्तेदारों के नाम पर लीज आवंटन मामले में झारखंड हाईकोर्ट में सुनवाई पूरी, फैसला सुरक्षित

Jharkhand News: मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन और उनके रिश्तेदारों के नाम पर माइनिंग लीज अलॉट करने के मामले की जांच के लिए दायर पीआईएल पर झारखंड हाईकोर्ट ने बुधवार को सुनवाई पूरी करने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया है।

Update: 2023-11-29 14:30 GMT

Jharkhand News: मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन और उनके रिश्तेदारों के नाम पर माइनिंग लीज अलॉट करने के मामले की जांच के लिए दायर पीआईएल पर झारखंड हाईकोर्ट ने बुधवार को सुनवाई पूरी करने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया है।

चीफ जस्टिस संजय कुमार मिश्र की अध्यक्षता वाली खंडपीठ में हुई सुनवाई के दौरान राज्य सरकार की ओर से महाधिवक्ता राजीव रंजन एवं हेमंत सोरेन के अधिवक्ता पीयूष चित्रेश ने कहा कि इसी तरह के समान मामले में शिव शंकर शर्मा एवं अन्य की जनहित याचिका में सीएम हेमंत सोरेन एवं अन्य के खिलाफ झारखंड हाईकोर्ट की खंडपीठ द्वारा पारित आदेश को पूर्व में सुप्रीम कोर्ट ने निरस्त कर दिया है। इस याचिका में पुनः उसी बात को उठाया जाना उचित नहीं है। इसे निरस्त कर दिया जाना चाहिए।

इस पर प्रार्थी सुनील कुमार महतो की ओर से दलील पेश करते हुए अधिवक्ता राजीव कुमार और विशाल कुमार ने कहा कि यह केस शिव शंकर शर्मा की निरस्त हुई याचिका से अलग है। शिव शंकर शर्मा की याचिका में केवल सीएम के नाम पर खनन लीज आवंटन का विषय था, जबकि इस याचिका में सीएम की पत्नी और साली को इंडस्ट्रियल एरिया में जमीन देने से जुड़े विषय उठाए गए हैं।

कोर्ट ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद प्रार्थी को कहा कि उनकी याचिका पूर्व में सुप्रीम कोर्ट से निरस्त हुई शिवशंकर शर्मा की याचिका से कैसे भिन्न है, उस पर वे तीन दिनों के भीतर शपथ पत्र के माध्यम से लिखित जवाब दायर कर सकते हैं। अब मामले में आगे की सुनवाई अगले सप्ताह होगी।

बता दें कि सुनील महतो की ओर से दायर याचिका में कहा गया है कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने खान विभाग का मंत्री रहते हुए संवैधानिक पद का दुरुपयोग किया है। उन्होंने स्वयं के लिए रांची के अनगड़ा में माइनिंग लीज तो आवंटित कराया ही, पत्नी कल्पना मुर्मू और साली सरला मुर्मू की फर्म को भी लीज आवंटित कराया।

उन्होंने इस मामले में संबंधित प्राधिकार से मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन और उनके रिश्तेदारों की जांच कर कार्रवाई करने का भी अनुरोध किया था लेकिन किसी संबंधित प्राधिकार ने कार्रवाई नहीं की। इसके बाद उन्होंने झारखंड हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की है ताकि संबंधित प्राधिकार को जांच कर आगे की कार्रवाई करने का आदेश दिया जा सके।

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