Food poisoning : गर्मी की सबसे आम लेकिन जटिल समस्या है फूड पाॅइज़निंग, सतर्कता है ज़रूरी, इस तरह होगा बचाव...
Food poisoning : फूड पाॅइज़निंग गर्मी के मौसम की एक आम और बहुत कष्टदायक समस्या है। ज़रा सा दूषित खाना भयानक पीड़ा की वजह बन सकता है। लगातार उल्टी-दस्त से शरीर से पानी और मिनरल्स बाहर निकल जाते हैं और शरीर बिल्कुल बेदम हो जाता है। कई बार तो हाॅस्पिटल में एडमिट होने या जान के लिए खतरा बनने की भी स्थिति बन जाती है। इसलिए गर्मियों में खानपान को लेकर बहुत सतर्क रहने की ज़रूरत है। इस आर्टिकल में आपको फूड पाॅइज़निंग और बचाव के बारे में ज़रूरी जानकारी मिलेगी।
फूड पाॅइज़निंग आमतौर पर बैक्टीरिया के कारण होती है जो गर्मी और बरसात के दिनों में जल्दी पनपते हैं। रोड किनारे खुले में बिकती खाने की चीज़ें,दूषित पानी यहां तक की घर का खाना भी गर्मी में जल्दी खराब हो जाता है और इनमें ई-कोली, साल्मोनेला जैसे कुछ बैक्टीरिया पैदा हो जाते हैं। जब असावधानीवश हम ये चीज़ें खा लेते हैं तो इसका ख़ामियाजा कई दिनों तक भुगतना पड़ता है। फूड पाॅइज़निंग के लक्षण कई बार कुछ घंटों में तो कई बार कुछ दिनों में नजर आते हैं। कुछ सामान्य लक्षण ये हैं-
1.पेट में दर्द और ऐंठन
2. लूज़ मोशन
3. बार-बार उल्टी आना
4. लिक्विड लेते ही उसका बाहर निकल जाना, शरीर के अंदर ना रख पाना
5. अधिक प्यास लगना या पानी पीने की इच्छा ही न होना
6. मुंह सूखना
7.पेशाब न होना या बेहद कम आना
8. अत्यधिक कमजोरी महसूस होना
चक्कर आना आदि
० फूड पाॅइज़निंग इनके लिए है ज्यादा खतरनाक
वैसे तो फूड पाॅइज़निंग किसी भी उम्र और शारीरिक स्थिति वाले व्यक्ति के लिए घातक हो सकती है लेकिन इन लोगों के लिए विशेष सावधानी बरतने की ज़रूरत है-
० छोटे बच्चे और वृद्ध-
छोटे बच्चों की इम्यूनिटी चूंकि अच्छी तरह विकसित नहीं हुई होती और वृद्धावस्था में पाचन और मेटाबोलिज्म दोनों कमज़ोर हो चुके होते हैं इसलिए बाॅडी के लिए बैक्टीरिया या वायरस से लड़ना कठिन होता है इसलिए बच्चे और वृद्धों में फूड पाॅइज़निंग विशेषकर खतरनाक हो सकती है।
गर्भवती महिलाएं -
गर्भावस्था के दौरान शरीर में कई बदलाव होते हैं, बीमारियों से लड़ने की ताकत भी कमजोर हो जाती है। इस समय महिला का शरीर बहुत नाजुक स्थिति में होता है और पाचन जल्दी बिगड़ता है। गर्भस्थ शिशु का इम्यून सिस्टम भी इस दौरान कमजोर होता है इसलिए उसे भी इंफेक्शन हो सकता है। इसके कारण मिसकैरेज जैसी स्थितियाँ तक बन सकती हैं। इसलिए गर्भवती स्त्री को फूड पाॅइज़निंग की स्थिति में तुरंत डॉक्टर के पास ले जाना चाहिए।
पहले से बड़ी बीमारी से जूझ रहे लोग-
डायबिटीज, लिवर की बीमारी, कैंसर पेशेंट, जिनकी कीमोथेरेपी चल रही हो, और एड्स जैसी बीमारीयों से ग्रसित लोगों में भी फूड पाइजनिंग की समस्या गंभीर हो सकती है।
याद रखें ये ज़रूरी बातें
कहते हैं इलाज से बेहतर है सावधानी रखना। खुद सतर्क रहेंगे तो फूड पाॅइज़निंग आसानी से नहीं होगी। कुछ सामान्य सी बातों का ध्यान रखकर हम इस जटिल स्थिति से बच सकते हैं-
- ० खाना बनाने और खाने से पहले हाथ धोएं।
- ० जल्दी खराब होने वाले खाद्य पदार्थों को तुरंत फ्रिज में रखें।
- ० तैयार भोजन को कच्चे भोजन से दूर रखें।फ्रिज में रखते समय भी इस बात का ध्यान रखें। क्योंकि बिना पकी चीज़ों के बैक्टीरिया पकी हुई चीज़ में प्रवेश कर के पनप सकते हैं।
- ० सब्जियों और फलों को अच्छी तरह धोकर ही उपयोग करें।
- ० बासा खाना खाने से परहेज करें।
- ० जितना संभव हो सके इस मौसम में बाहर का खाना न खाएं।
- ० स्ट्रीट फूड से तौबा कर लें।
- ० दूध और आलू से बनी चीजें जल्दी खराब होती हैं। इनका उसी दिन इस्तेमाल कर लें। बचे हुए सब्ज़ी, दाल-चावल को जल्दी फ्रिज में रख दें और रात तक इस्तेमाल कर के खत्म कर दें।
- ० किसी खाद्य पदार्थ को लेकर आपको यदि संदेह हो कि ये खराब हो गए हैं तो उस स्थिति में उसे बिल्कुल भी नहीं खाना चाहिए। बेहतर है कि उसे फेंक दिया जाए।