Estrogen Ki Kami Door Kaise Karain: क्या आप यौन समस्याएं फेस कर रही हैं? तो हो सकती है एस्ट्रोजन हार्मोन की कमी, इसे दूर करने के लिए डाइट में शामिल करें ये चीज़ें...

Estrogen Ki Kami Door Kaise Karain: क्या आप यौन समस्याएं फेस कर रही हैं? तो हो सकती है एस्ट्रोजन हार्मोन की कमी, इसे दूर करने के लिए डाइट में शामिल करें ये चीज़ें...

Update: 2024-12-06 12:02 GMT

Estrogen Ki Kami Door Kaise Karain: उम्र बढ़ने के साथ महिलाओं के शरीर में एस्ट्रोजन हार्मोन की कमी होने लगती है। एस्ट्रोजन की कमी से महिलाओं को यौन समस्याओं का सामना करना पड़ता है। साथ ही यह मीनोपाॅज की ओर बढ़ने का संकेत भी हो सकता है। और मीनोपाॅज के बाद तो इसका स्तर काफी तेजी से गिरता है। एस्ट्रोजन हार्मोन की कमी के कारण यौन समस्याएं, वजाइना में लुब्रिकेशन की कमी, थकान, गर्मी लगना, अनिद्रा, मासिक धर्म का न आना, स्तनों का ढीलापन, ऑस्टियोपोरोसिस जैसी अनेक समस्याओं का सामना करना पड़ता है। तो आप समझ सकती हैं कि एस्ट्रोजन हार्मोन आपके लिए कितना ज़रूरी है। इसकी भरपाई के लिए आप अपनी डाइट में कुछ चीजें शामिल कर सकती हैं, उनके बारे में हम इस लेख में जानेंगे।

पहले जानिए एस्ट्रोजन हार्मोन के बारे में

हेल्थ वेबसाइट वैरी वैल हेल्थ के अनुसार "एस्ट्रोजन अंडाशय में बनने वाला एक हार्मोन है जो महिलाओं में यौन विकास को नियंत्रित करता है। यह महिला प्रजनन प्रणाली में खास भूमिका निभाता है। उम्र बढ़ने या किसी पुरानी बीमारी या ज्यादा एक्सरसाइज करने से भी एस्ट्रोजन लेवल कम हो सकता है।" एस्ट्रोजन हार्मोन की कमी के कारण महिलाओं को यौन स्वास्थ्य से जुड़ी समस्याओं के अलावा अन्य अनेक समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। जिनमें शामिल हैं...

1. यौन विकास में कमी

2. वजाइनल ड्राईनैस

3. असुविधाजनक संभोग

4. अनिद्रा

5. सिरदर्द और माइग्रेन

6. अनियमित पीरियड्स

7. समय से पहले मीनोपाॅज

8. स्तनों का ढीलापन

9. डिप्रेशन

10. फोकस की कमी

11. गरमी अधिक महसूस होना

12. रात को पसीने-पसीने होना

13. अधिक थकान

14. वजन बढ़ना

15. ऑस्टियोपोरोसिस

16. हृदय रोग का खतरा

17. स्किन ड्राईनैस

18. मूड स्विंग

19. बांझपन आदि

एस्ट्रोजन की कमी दूर करने खानपान में बढ़ाएं ये चीजें

सोया उत्पाद

सोयाबीन और सोया उत्पाद जैसे टोफू, सोया बड़ी, सोया मिल्क आपके लिए बहुत फायदेमंद होंगे। सोया उत्पादों में आइसोफ्लेवोन्स होते हैं, जो फाइटोएस्ट्रोजन का एक प्रमुख प्रकार है।

फलियां

विभिन्न तरह की फलियों और छोले, मूंगफली में भी आइसोफ्लेवोन्स होते हैं। ये एस्ट्रोजन बढ़ाते हैं और मीनोपाॅज के बाद होने वाली समस्याएं, हृदय रोग और स्तन कैंसर के जोखिम को कम कर सकते हैं।

अलसी

अलसी के बीजों में लिग्नान की अच्छी मात्रा होती है, ये आपके शरीर द्वारा फाइटोएस्ट्रोजेन में परिवर्तित हो जाते हैं, जो एस्ट्रोजन मेटाबॉलिज्म में सहायता करते हैं। अलसी हेल्दी फैट ओमेगा-3 फैटी एसिड का भी एक अच्छा स्रोत हैं जो शरीर के लिए बेहद जरूरी है।

साबुत अनाज

साबुत अनाज में भी लिग्नान प्रचुर मात्रा में होता है, जो एक प्रकार का फाइटोएस्ट्रोजन है। यह एस्ट्रोजन की कमी के चलते होने वाली उपरोक्त समस्याओं के जोखिम को कम कर सकता है। आप अपनी डाइट में ब्राउन राइस, क्विनोआ, जई, चने आदि के साथ गेहूं का दलिया भी शामिल कर सकती हैं।

सब्जियाँ

पत्ता गोभी, ब्रोकोली, गाजर, आलू, पालक, शकरकंद जैसी सब्जियों मे रेस्वेराट्रोल पाया जाता है। फाइटोएस्ट्रोजेन से भरपूर ये सब्जियाँ आपके लिए बेहद फायदेमंद होंगी और एस्ट्रोजन की कमी के कारण होने वाली समस्याओं से राहत देंगी।

फल

ऐसे फल जो फाइटोएस्ट्रोजन से भरपूर हैं, उन्हें अपनी डाइट में शामिल कीजिए । जैसे सेब, अनार, अंगूर आदि।

तिल

तिल में अच्छी मात्रा में फाइटोएस्ट्रोजेन के साथ-साथ कैल्शियम, आयरन और मैग्नीशियम जैसे अन्य पोषक तत्व होते हैं जो एस्ट्रोजन हार्मोन की कमी के चलते होने वाली समस्याओं और मीनोपॉज के बाद होने वाली परेशानियों को कम करते हैं।

सनफ्लावर सीड्स

सनफ्लावर सीड्स फाइटोएस्ट्रोजेन से भरपूर होते हैं। आप इनका सेवन बढ़ा सकती हैं। आप इन्हें डायरेक्ट भी ले सकती हैं या भून कर या अपने सलाद और व्यंजनों में शामिल कर सकती हैं।

लहसुन

लहसुन भी फाइटोएस्ट्रोजेन से भरपूर होते हैं। आप हर दिन एक से दो कली लहसुन का सेवन अपनी डाइट में जरूर करें। यह एस्ट्रोजन इंबैलेंस और मीनोपाॅज के बाद होने वाली समस्याओं खासकर हृदय रोग के जोखिम से आपको बचाएगा।

डार्क चॉकलेट

डार्क चॉकलेट में फ्लेवोनॉयड्स होते हैं जो शरीर में एस्ट्रोजन की नकल कर सकते हैं। इसलिए डार्क चॉकलेट को भी आप अपनी डाइट का हिस्सा बना सकती हैं।

विटामिन डी

अगर आप प्री मीनोपाॅज की स्थिति में है या आपका मीनोपाॅज हो गया है तो आपके शरीर में कैल्शियम की तेजी से कमी होगी जो कि ऑस्टियोपोरोसिस जैसी बीमारी के रूप में सामने आ सकती है। इसलिए आप अपनी डाइट में विटामिन डी जरूर लें। और यदि आप इसकी भरपाई खान-पान से नहीं कर पा रही हैं तो सप्लीमेंट्स भी डॉक्टर के परामर्श के आधार पर ले सकती हैं। विटामिन डी कैल्शियम अवशोषण, हड्डियों की मजबूती, हृदय स्वास्थ्य और मानसिक स्वास्थ्य के लिए भी महत्वपूर्ण है। यह एस्ट्रोजन चपापचय में भी सहायता करता है।

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