Dengue: साफ पानी में पनपता है डेंगू का मच्छर, जान लें लक्षण, सावधानी, इलाज और खानपान

बारिश का मौसम आ चुका है और इसके साथ बीमारियों का भी आगमन हो चुका है। इस मौसम में खासतौर पर मच्छर जनित रोगों का खतरा ज्यादा होता है, खासतौर पर डेंगू का। आज हम आपको बताएंगे कि डेंगू के लक्षण क्या हैं और आप क्या सावधानियां बरतकर इससे बच सकते हैं।

Update: 2024-07-11 13:03 GMT

रायपुर, एनपीजी डेस्क। बारिश का मौसम आ चुका है और इसके साथ बीमारियों का भी आगमन हो चुका है। इस मौसम में खासतौर पर मच्छर जनित रोगों का खतरा ज्यादा होता है, खासतौर पर डेंगू का। आज हम आपको बताएंगे कि डेंगू के लक्षण क्या हैं और आप क्या सावधानियां बरतकर इससे बच सकते हैं। बारिश के कारण घरों और आसपास जमा पानी में डेंगू के लार्वा पनपते हैं। डेंगू होने पर अगर समय पर इलाज नहीं मिले, तो मरीज के जान जाने का खतरा भी होता है।

हर साल करोड़ों लोग होते हैं डेंगू से प्रभावित

वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन का अनुमान है कि दुनिया भर में हर साल 10-40 करोड़ लोग डेंगू से संक्रमित होते हैं। डेंगू एक वायरल इन्फेक्शन है, जो एडीस एजिप्टी (Aedes egypti) मच्छर के काटने से फैलता है। ये मच्छर काले रंग का स्पॉटेड मच्छर होता है। डेंगू का वायरस सबसे पहले हमारे प्लेटलेट्स को प्रभावित करता है, जिससे शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होने लगती है।


साफ पानी में पनपता है डेंगू का मच्छर

सबसे बड़ी बात ये है कि डेंगू का मच्छर साफ पानी में पनपता है, इसलिए कभी भी अपने घरों या आसपास पानी जमा नहीं होने देना चाहिए। कूलर का पानी खाली कर लेना चाहिए। गमलों और बर्तनों में भी पानी इकट्ठा नहीं रखना चाहिए। घरों के आसपास की नालियों को साफ रखना चाहिए। जिन कंटेनरों में पानी रखना जरूरी हो, उन्हें ढंककर रखें, ताकि मच्छर उनमें अंडे न दे सकें।

मच्छरों को मारने वाली कॉइल या वेपोराइजर का करें इस्तेमाल

यह मच्छर दिन के समय अधिक एक्टिव होता है। डेंगू के लक्षणों में तेज बुखार, सिरदर्द, मांसपेशियों और जोड़ों में दर्द, थकान और त्वचा पर लाल चकत्ते शामिल हैं। बारिश के समय नियमित साफ-सफाई करें, पानी कहीं भी रुकने न दें। इसके अलावा मच्छरों को मारने वाली कॉइल या वेपोराइजर का इस्तेमाल करें।


डेंगू के मरीज को छूने से नहीं फैलती है बीमारी

डेंगू का इन्फेक्शन सीधे तौर पर एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में नहीं फैलता है। जब कोई मच्छर डेंगू बुखार से पीड़ित किसी रोगी को काटता है, और फिर वही मच्छर जब किसी स्वस्थ व्यक्ति को काट लेता है, तो वायरस स्वस्थ व्यक्ति के खून में पहुंच जाता है। इससे स्वस्थ व्यक्ति को भी डेंगू बुखार हो जाता है। मच्छर के एक बार काटने से भी डेंगू होने की संभावना रहती है। हालांकि इन्फेक्टेड व्यक्ति को छूने से डेंगू नहीं फैलता है।

डेंगू बुखार के लक्षण

  • डेंगू वायरस से संक्रमित होने के 3 से 14 दिनों के अंदर किसी व्यक्ति में लक्षण दिखते हैं। ज्यादातर 4 या 7 दिनों के बाद लक्षण दिखना शुरू हो जाता है।
  • डेंगू वायरस के खून में फैलने के एक घंटे में ही जोड़ों में दर्द शुरू हो जाता है।
  • व्यक्ति को 104 डिग्री तक बुखार आ जाता है।
  • ब्लड प्रेशर तेजी से नीचे गिरता है, साथ ही Heartbeat भी कम हो जाती है।
  • आंखें लाल हो जाती हैं, साथ ही इनमें दर्द होता है।
  • चेहरे पर गुलाबी दाने हो सकते हैं।
  • भूख कम हो जाती है।
  • सिर दर्द होता है।
  • ठंड लगकर बुखार आता है।

  • यह सभी लक्षण डेंगू के पहले चरण में होते हैं। ये 4 दिन तक चल सकते हैं। वहीं डेंगू के दूसरे चरण में बढ़ा हुआ शरीर का तापमान कम हो जाता है और पसीना आने लगता है। इस समय शरीर का तापमान सामान्य होकर रोगी बेहतर महसूस करने लगता है, लेकिन यह एक दिन से ज्यादा नहीं रहता। डेंगू के तीसरे चरण में शरीर का तापमान पहले से और अधिक बढ़ने लगता है और पूरे शरीर पर लाल दाने दिखने लगते हैं।

डेंगू सीवियर होने पर नाक-मसूढ़ों से आने लगता है खून

सीवियर डेंगू जिसे डेंगू शॉक सिंड्रोम या डेंगू हेमरेजिक फीवर कहा जाता है, इसमें प्लेटलेट्स और वाइट ब्लड सेल्स की संख्या कम होने लगती है। साथ ही नाक, मसूढ़ों या मल से खून आने लगता है। ऐसी स्थिति में तत्काल इलाज नहीं मिलने पर पीड़ित की मौत भी हो सकती है।


डॉक्टर की सलाह से ही खाएं दवाईयां

डेंगू के लक्षण दिखने पर डॉक्टर की सलाह के बाद ही दवा खाएं, खुद से या केमिस्ट से पूछकर दवाई नहीं लें। डॉक्टर्स डेंगू के इलाज के दौरान प्लेटलेट्स की नियमित मॉनिटरिंग करते हैं। प्लेटलेट्स की संख्या कम-ज्यादा होने से शरीर में ब्लीडिंग हो सकती है। डॉक्टर्स लक्षणों के मुताबिक मरीज के ब्लड की पूरी जांच कराते हैं और उसी के मुताबिक इलाज की प्रक्रिया को आगे बढ़ाते हैं। डेंगू के जांच के लिए आजकल रैपिड टेस्ट किट भी आने लगे हैं। 

डेंगू से बचने के लिए ये सावधानियां जरूरी

  • मच्छरों से बचाव के लिए हमेशा शरीर को ढंककर रखें। फुल आस्तीन के कपड़े पहनें।
  • रात के समय मच्छरदानी में ही सोएं।
  • मच्छर से बचने के लिए नीम की पत्तियों का धुआं कर सकते हैं।
  • घर के अंदर और बाहर दोनों जगह पानी जमा न होने दें।
  • पालतू जानवरों के और गार्डन में पानी देने वाले बर्तन को साफ रखें।
  • पानी की टंकी को अच्छी तरह से ढंककर रखें।
  • रूम कूलर और पानी की टंकी में हफ्ते में एक दिन पेट्रोल या मिट्‌टी का तेल डालें।
  • फ्रिज के नीचे रखी हुई पानी की ट्रे को रोजाना खाली करें।
  • डेंगू हो जाने पर जितना हो सके आराम करें।

डेंगू होने पर खानपान

  • हल्का और सुपाच्य भोजन लें।
  • ज्यादा से ज्यादा पानी पीएं।
  • ताजा सूप, जूस और नारियल का पानी पीएं।
  • नींबू पानी पीएं, इससे पेशाब के द्वारा शरीर की गंदगी बाहर निकल जाती है।
  • ताजी सब्जियों का जूस पीएं।
  • गाजर, खीरा और अन्य पत्तेदार सब्जियों का सेवन करें।
  • दलिया में उच्च फाइबर और पोषक तत्व होते हैं, इसे खाएं।
  • डेंगू के रोगी को प्रोटीन की बहुत जरूरत होती है। इसलिए रोगी को दूध और डेयरी उत्पाद दें।
  • डेंगू होने पर विटामिन, एंटीऑक्सीडेंट और इलेक्ट्रोलाइट्स से भरपूर फल खाएं।
  • संतरा, कीवी और नींबू जैसे फल खाएं।
  • पपीते की पत्तियां खाएं। इसमें एसिटोजेनिन पाया जाता है, जो प्लेटेलेट्स की संख्या तेजी से बढ़ाने में कारगर है।
  • कद्दू, पालक, बंदगोभी और चुकंदर प्लेटेलेट्स बढ़ाने में मदद करते हैं।
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