Somnath Shivling : छत्तीसगढ़ के सोमनाथ साल में बदलते हैं तीन रंग...गर्मी में लाल, मानसून में भूरा और शीतकाल में काले... आइए जानें इनकी महिमा

Somnath Shivling : शिवलिंग की खासियत यह है कि प्रत्येक मौसम में शिवलिंग का रंग बदलता है। इसलिए, यहां दर्शन करने के लिए हजारों श्रद्धालु उमड़ते हैं.

Update: 2024-07-23 06:40 GMT

Somnath Shivling :   छत्तीसगढ़ की राजधानी से मात्र 45 किलोमीटर की दूरी पर बिलासपुर मार्ग पर स्थित सिमगा गांव के समीप भी एक सोमनाथ मंदिर है। मंदिर में स्थापित शिवलिंग के बारे में कहा जाता है कि यह सैकड़ों साल पुराना है।

शिवलिंग की खासियत यह है कि प्रत्येक मौसम में शिवलिंग का रंग बदलता है। इसलिए, यहां दर्शन करने के लिए हजारों श्रद्धालु उमड़ते हैं।

मानसून, ग्रीष्म काल और शीतकाल में शिवलिंग का रंग बदल जाता है। शिवलिंग गर्मी के दिनों में लाल रंग का मानसून में भूरा और शीतकाल में काले रंग का दिखाई देता है।


बिलासपुर जाने वाले मुख्य मार्ग पर सिमगा गांव के समीप स्थित सोमनाथ मंदिर आस्था का केंद्र तो है ही, यहां के आसपास का वातावरण खूबसूरत है। खारुन नदी और शिवनाथ नदी के संगम तट पर स्थित होने से प्रतिदिन पिकनिक मनाने के लिए सैकड़ों पर्यटक आते हैं। रविवार और अवकाश के दिनों में पर्यटकाें का तांता लगा रहता है। 



शिवलिंग 6वीं-7वीं शताब्दी पुराना

सोमनाथ शिवलिंग 6वीं-7वीं शताब्दी पुराना है। रायपुर-बिलासपुर हाइवे रोड पर सिमगा के लखना गांव में स्थित मंदिर पूरे प्रदेशभर में प्रसिद्ध है। तीन फीट ऊंचे शिवलिंग के बारे में कहा जाता है कि इसका आकार पहले छोटा था। कण-कण ऊंचाई बढ़ रही है। गांव के लोग बताते हैं कि खुदाई के दौरान शिवलिंग मिला था, जिसे करीब ही टीले पर स्थापित किया गया। नदी में नौकायन करने और मछली का व्यवसाय करने वाले निषाद समाज के लोग अपने आराध्य देवता के रूप में पूजा करते हैं। नदी के बीच में भी भोलेनाथ का प्राचीन मंदिर है, बारिश के दिनों में यह मंदिर नदी में डूब जाता है। गर्मी में जब जल स्तर कम होता है, तब शिवलिंग के दर्शन होते हैं।

जल अर्पण करने पर ही प्रसन्न 

सोमनाथ शिवलिंग के बारे में ग्रामीण कहते हैं कि भोलेनाथ मात्र जल अर्पण करने पर ही प्रसन्न हो जाते हैं।श्रद्धालुओं की मन्नत पूरी होती है, इसलिए यह मंदिर मन्नत वाले बाबा भोलेनाथ के नाम से भी प्रसिद्ध है।

श्रावण साेमवार पर कांवरियों का हुजूम

प्रकृति के अद्भुत सौंदर्य के बीच स्थित मंदिर में प्रत्येक श्रावण सोमवार को जलाभिषेक करने हजारों श्रद्धालुओं का हुजूम उमड़ता है। सुबह से शाम तक जलाभिषेक के लिए लंबी कतार में लगना पड़ता है।

नदी के बीच शिवलिंग का दर्शन अनिवार्य


ऐसी मान्यता है कि सोमनाथ मंदिर का दर्शन करने के पश्चात नदी के बीच में स्थित शिवलिंग का दर्शन अवश्य करना चाहिए। अन्यथा, दर्शन अधूरा माना जाता है। इस मान्यता के चलते श्रद्धालु नौका पर सवार होकर नदी की बीच धारा तक जाकर नौका से ही मंदिर की परिक्रमा करते हैं। प्राचीन सोमनाथ मंदिर में भगवान शंकर, माता पार्वती, प्रथम पूज्य श्रीगणेश, कार्तिकेय और नंदीदेव की प्रतिमा स्थापित है। उत्खनन के दौरान शिवलिंग और भगवान शंकर की प्रतिमा मिली थी। निषाद समाज के लोगों ने मंदिर बनवाकर स्थापित किया। खारून नदी एवं शिवनाथ नदी की दूसरी ओर जमघट, कृतपुर, सहगांव आदि गांव स्थित है।

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