हाईकोर्ट का आदेश आया सामने...शिक्षकों के अधिकांश केस हुए खारिज, केवल 1 केस में मिली आंशिक राहत
बिलासपुर। प्रमोशन मामले में हाईकोर्ट के डबल बेंच का आदेश सामने आ गया है। जैसा कि हमने अपनी खबर ने कल बताया था अधिकांश याचिकाओं को हाई कोर्ट की डबल बेंच ने खारिज कर दिया है वहीं एक मामले में आंशिक राहत दिया गया है जिसमें शासन को रूल फ्रेम करने के लिए कहा गया है और हेड मास्टर मिडिल स्कूल से लेक्चरर बने शिक्षकों को राहत देते हुए उनके हेड मास्टर के अनुभव को गणना करने के लिए निर्देशित किया गया है।
दरअसल अलग-अलग मामलों में शिक्षकों ने याचिकाएं लगाई थी जिसमें प्रमुख रूप से नियमित शिक्षकों ने शिक्षक एलबी को प्रमोशन देने पर आपत्ति दर्ज कराते हुए याचिका दायर की थी और कहा था कि शिक्षक एलबी को प्रमोशन में लाभ देने से उनका नुकसान हो रहा है जिस पर शासन की तरफ से शपथ पत्र में जो तर्क दिया था उसे स्वीकार करते हुए हाई कोर्ट ने उनकी याचिका खारिज कर दी और यह माना कि नियमित शिक्षकों के पास अभी भी प्रमोशन के पर्याप्त अवसर हैं और खाली पदों की संख्या को देखते हुए शिक्षक एलबी को प्रमोशन देना शासन के लिए जरूरी है ताकि स्कूलों में पद रिक्त न रहे । इसी प्रकार 2010 में शिक्षाकर्मी से ही प्रधान पाठक बने शिक्षकों ने भी याचिका दायर की थी उसके मामले में भी शासन ने शपथ पत्र के माध्यम से स्पष्ट किया था कि 2010 से प्रधान पाठक बने शिक्षकों को उसी समय से समस्त लाभ दिए जा रहे हैं यहां तक कि उनकी पेंशन की गणना भी उसी समय से हो रही है जबकि शिक्षक एलबी को 2018 से यह लाभ दिए जा रहे हैं और अलग कैडर बनाया गया है और सारे पदों का निर्धारण भर्ती एवं पदोन्नति नियम में इस प्रकार किए गए हैं कि किसी भी प्रकार की टकराहट न हो तो शिक्षाकर्मी से शिक्षक बने प्रधान पाठकों की यह मांग जायज नहीं है और कहीं पर भी उनका हक प्रभावित नहीं हो रहा है इसे भी कोर्ट ने स्वीकार किया है और उनकी भी याचिकाएं खारिज की गई है । 2020 में संविलियन हुए कुछ शिक्षकों ने भी प्रमोशन के लिए याचिका दायर की थी जिस पर शासन की तरफ से पक्ष रखा गया कि उनका 3 साल भी पूर्ण नहीं हुआ है ऐसे में वह प्रमोशन के लिए फिलहाल हकदार हैं ही नहीं । यह याचिका भी खारिज हो गई है। देखिए आदेश की कॉपी...