शिक्षाकर्मी के आधार पर नौकरी से वंचित करना हाईकोर्ट ने माना गलत, पंचायत विभाग को दिया ये निर्देश

Update: 2022-03-27 10:14 GMT

बिलासपुर 27 मार्च 2022। भाई के शिक्षाकर्मी होने के आधार पर अनुकम्पा नियुक्ति से वंचित करने के आदेश को हाईकोर्ट ने गलत ठहराया है। इसके साथ ही पंचायत विभाग को 30 दिनों के भीतर अनुकंपा नियुक्ति के नियमो के तहत निर्णय लेने का आदेश दिया है। पंचायत विभाग के अंतर्गत तिहारू राम साहू विस्तार अधिकार के पद पर पदस्थ थे। सेवा में रहने के दौरान ही उनकी 29 अक्टूबर 2017 को ही जनपद पंचायत मगरलोड धमतरी में उनकी मृत्यु हो गयी।

उनकी मृत्यु के बाद उनके पुत्र सितेश कुमार साहू ने अनुकम्पा नियुक्ति के लिए आवेदन किया जिसे यह कहते हुए निरस्त कर दिया गया कि उनका भाई थानेंद्र कुमार साहू शिक्षाकर्मी वर्ग तीन के पद पर पदस्थ है। और परिवार में किसी शासकीय सेवक के होने की स्थिति में अनुकम्पा नियुक्ति प्रदान नही की जा सकती।

विभाग के इस आदेश को सितेश कुमार साहू ने हाईकोर्ट में चुनौती दी। जस्टिस संजय के अग्रवाल के यहां चली सुनवाई में सरकार की ओर से तर्क दिया गया कि याचिकाकर्ता के भाई का एक जुलाई 2018 को शिक्षा विभाग में संविलियन हो गया और वह अब शासकीय सेवक है। याचिकाकर्ता की ओर से कोर्ट को बताया गया कि 29 अक्टूबर 2017को पिता की मृत्यु के दौरान उसका भाई शिक्षाकर्मी था जो शासकीय सेवक की परिधि में नही आता।

सितेश कुमार साहू के अधिवक्ता अजय श्रीवास्तव ने उदाहरण प्रस्तुत करते हुए बताया कि इसी तरह के मामले में याचिकाकर्ता श्वेता सिंह को इसी आधार में नियुक्ति प्रदान की गई है। जिसमे बताया गया कि श्वेता सिंह के ससुर की बीईओ के पद पर पदस्थ रहने के दौरान मृत्यु हो गयी थी। मृत्यु दिनांक को उनके दोनो पुत्र शिक्षाकर्मी के पद पर पदस्थ थे लिहाजा उनकी बहू को अनुकम्पा नियुक्ति दी गयी। इस मामले में भी नियुक्ति दिनांक को स्व. बीईओ के दोनो पुत्रो का संविलियन हो चुका था। पर अनुकम्पा नियुक्ति नीति के अनुसार मृत्यु दिनांक को पति व जेठ के शासकीय सेवक नही होने के कारण नियुक्ति हो हाईकोर्ट ने सही ठहराया था। इसके साथ ही हाईकोर्ट ने शिक्षाकर्मी को शासकीय सेवक नही माना था।

सभी तर्को को सुनने के पश्चात हइकोर्ट ने माना कि याचिकाकर्ता के पिता की मृत्यु दिनांक को उसका भाई शिक्षाकर्मी वर्ग तीन के पद पर पदस्थ था और शिक्षाकर्मी शासकीय सेवक की श्रेणी में नही आते अतः याचिकाकर्ता को अनुकम्पा नियुक्ति प्रदान की जानी चाहिए। अदालत ने शासन को तीस दिवस के भीतर अनुकम्पा नियुक्ति के नियमो के तहत निर्णय लेने का आदेश दिया है।

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