रायपुर. छत्तीसगढ़ विधानसभा में बुधवार को बहु प्रतीक्षित पत्रकार सुरक्षा कानून पारित हो गया. भले ही वोट बैंक के हिसाब से ज्यादा बड़ी संख्या को प्रभावित करने वाला कानून नहीं है, लेकिन चुनावी रणनीति के हिसाब से काफी महत्वपूर्ण है, क्योंकि जन घोषणा पत्र में शामिल इस प्रस्ताव से लेकर अब तक देश में चर्चा में रहा. राज्यपाल के अभिभाषण में आत्मसात किए गए घोषणाओं में से यह एक है. वैसे, विधानसभा में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने जन घोषणा पत्र के संबंध में एक महत्वपूर्ण जानकारी दी है. इसमें उन्होंने बताया कि 36 घोषणाओं में से 17 अधूरी हैं. नियमितीकरण की बाट जोह रहे दैनिक वेतनभोगी, संविदा और अनियमित कर्मचारियों के लिए यह निराशा भरा है, क्योंकि जवाब में यह भी लिखा हुआ था कि नियमितीकरण के लिए समय-सीमा बता पाना संभव नहीं है.इधर, राजधानी से सुदूर राज्य के उत्तरी हिस्से से एक सुखद तस्वीर सामने आई. कलेक्टर विनय कुमार लंगेह ने ग्रामीण के घर के सामने लगे नल से पानी पीकर देखा कि पीने लायक है कि नहीं. अमूमन आईएएस अफसरों को बोतल बंद पानी पीने वाला माना जाता है, लेकिन ऐसे आम जनता के लिए जो पानी है, उसे पीते हुए देखकर लोगों में एक सुखद अनुभूति हुई. हालांकि राजधानी में एक चिंताजनक स्थिति देखने को मिली. खालिस्तानी समर्थक अमृतपाल के पक्ष में उनके समर्थकों ने राजधानी में रैली निकाली. चिंताजनक इसलिए क्योंकि इस बात की खबर पुलिस को भी नहीं थी. बिना अनुमति लिए रैली निकाली गई थी.आज सुबह विधानसभा में प्रश्नकाल से लेकर शून्यकाल तक जोरदार हंगामा देखने को मिला. भ्रष्टाचार के एक मामले में वन मंत्री ने डीएफओ के खिलाफ जांच की घोषणा की. सत्ता पक्ष के सदस्यों द्वारा उठाए गए कुछ मुद्दों पर भी उन्होंने जांच का आश्वासन दिया. इसमें बिना काम के पैसे निकालने जैसे मामले शामिल हैं. विधानसभा में वन मंत्री ने बताया कि तीन साल में हाथियों ने 207 लोगों को मार डाला. वहीं, सैकड़ों की संख्या में घर उजाड़े. कई हजार एकड़ खेतों की फसल को तबाह कर दिया. वनमंत्री ने बताया कि जन घोषणा पत्र में मानव हाथी द्वंद्व को रोकने के लिए जो घोषणा की गई थी, वह लागू नहीं किया जा सका है.
रायपुर. छत्तीसगढ़ विधानसभा में बुधवार को बहु प्रतीक्षित पत्रकार सुरक्षा कानून पारित हो गया. भले ही वोट बैंक के हिसाब से ज्यादा बड़ी संख्या को प्रभावित करने वाला कानून नहीं है, लेकिन चुनावी रणनीति के हिसाब से काफी महत्वपूर्ण है, क्योंकि जन घोषणा पत्र में शामिल इस प्रस्ताव से लेकर अब तक देश में चर्चा में रहा. राज्यपाल के अभिभाषण में आत्मसात किए गए घोषणाओं में से यह एक है. वैसे, विधानसभा में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने जन घोषणा पत्र के संबंध में एक महत्वपूर्ण जानकारी दी है. इसमें उन्होंने बताया कि 36 घोषणाओं में से 17 अधूरी हैं. नियमितीकरण की बाट जोह रहे दैनिक वेतनभोगी, संविदा और अनियमित कर्मचारियों के लिए यह निराशा भरा है, क्योंकि जवाब में यह भी लिखा हुआ था कि नियमितीकरण के लिए समय-सीमा बता पाना संभव नहीं है.इधर, राजधानी से सुदूर राज्य के उत्तरी हिस्से से एक सुखद तस्वीर सामने आई. कलेक्टर विनय कुमार लंगेह ने ग्रामीण के घर के सामने लगे नल से पानी पीकर देखा कि पीने लायक है कि नहीं. अमूमन आईएएस अफसरों को बोतल बंद पानी पीने वाला माना जाता है, लेकिन ऐसे आम जनता के लिए जो पानी है, उसे पीते हुए देखकर लोगों में एक सुखद अनुभूति हुई. हालांकि राजधानी में एक चिंताजनक स्थिति देखने को मिली. खालिस्तानी समर्थक अमृतपाल के पक्ष में उनके समर्थकों ने राजधानी में रैली निकाली. चिंताजनक इसलिए क्योंकि इस बात की खबर पुलिस को भी नहीं थी. बिना अनुमति लिए रैली निकाली गई थी.आज सुबह विधानसभा में प्रश्नकाल से लेकर शून्यकाल तक जोरदार हंगामा देखने को मिला. भ्रष्टाचार के एक मामले में वन मंत्री ने डीएफओ के खिलाफ जांच की घोषणा की. सत्ता पक्ष के सदस्यों द्वारा उठाए गए कुछ मुद्दों पर भी उन्होंने जांच का आश्वासन दिया. इसमें बिना काम के पैसे निकालने जैसे मामले शामिल हैं. विधानसभा में वन मंत्री ने बताया कि तीन साल में हाथियों ने 207 लोगों को मार डाला. वहीं, सैकड़ों की संख्या में घर उजाड़े. कई हजार एकड़ खेतों की फसल को तबाह कर दिया. वनमंत्री ने बताया कि जन घोषणा पत्र में मानव हाथी द्वंद्व को रोकने के लिए जो घोषणा की गई थी, वह लागू नहीं किया जा सका है.