CG PCS Scam: बड़ा सवालः EOW में 59 पेज की पीएससी की जांच रिपोर्ट 12 साल से दबी क्यों है....अब तक चालान पेश क्यों नहीं?
CG PCS Scam: छत्तीसगढ़ पीएससी में हुए एक बड़ी गड़बड़ी की जांच 12 साल पहले हो चुकी है। जांच रिपोर्ट ईओडब्ल्यू के पास है, लेकिन 12 साल बाद भी इस मामले में कोर्ट में चालान पेश नहीं हो पाया है।
CG PCS Scam: रायपुर। पीएससी 2021 में बेटे-बेटियों और नाते-रिश्तेदारों को रेवड़ी की तरह नौकरियां देने वाला पीएससी 2003 की परीक्षा में भी बड़ा कांड कर चुका है। इस मामले में बिलासुपर हाई कोर्ट के तत्कालीन चीफ जस्टिस दीपक गुप्ता ने 2016 में चयन सूची निरस्त कर फिर से स्केलिंग कर रिजल्ट जारी करने का आदेश दिया था। मगर इसके खिलाफ सलेक्टेड अफसर सुप्रीम कोर्ट पहुंच गए और वहां से उन्हें स्टे मिल गया।
राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल केएम सेठ ने इस मामले में पीएससी के चेयरमैन अशोक दरबारी को सस्पेंड कर दिया था। राज्य सरकार ने पीएससी स्कैम को ईओडब्लू से जांच कराई का आदेश दिया था। उस समय आईजी आनंद तिवारी ईओडब्लू और एसीबी के चीफ थे। 15 जनवरी 2006 को पीएससी का मामला दर्ज हुआ था। इंस्पेक्टर सुरेश सेन को जांच अधिकारी बनाया गया। सेन ने करीब पांच साल के गहन प्रयासों के बाद 31 दिसंबर 2011 को 59 पेज की जांच रिपोर्ट पेश की थी। इसमें उन्होंने लिखा...चेयरमैन अशोक दरबारी, परीक्षा नियंत्रक प्रो0 बीपी कश्यप और अनुविभाग अधिकारी लोमेश मढ़रिया के खिलाफ धारा 420, 467, 468, 471, 120बी, भादवि एवं 13 1 डी 13 2 पीसी एक्ट के तहत दंडनीय अपराध है...प्रकरण में आरोपियों के खिलाफ पर्याप्त साक्ष्य पाए गए हैं।
सुरेश सेन से मई 2018 में रिटायर हो गए। इस समय वे भिलाई में रह रहे हैं। एनपीजी न्यूज ने उनसे बात की। उन्होंने कहा कि मेरे रिटायरमेंट तक इसका चालान पेश नहीं हुआ था। जांच रिपोर्ट रखी रही। अभी क्या स्थिति है, वे नहीं बता सकते। उन्होंने ये जरूर बताया कि जांच में चयनित सभी 240 लोगों को भी आरोपी बनाया गया था। ईओडब्लू के डीजी डीएम अवस्थी से जब इस जांच रिपोर्ट के बारे में कल पूछा गया तो उन्होंने कहा दो दिन छुट्टी है, दफ्तर खुलने पर जानकारी लेकर बताएंगे।
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रायपुर। छत्तीसगढ़ लोक सेवा आयोग (CG PSC) भर्ती परिक्षा के परिणाम को लेकर विवादों में हैं। आयोग पर अफसरों और नेताओं के रिश्तेदारों का चयन का आरोप लगा है। यह मामला हाईकोर्ट के विचाराधीन है। विवादों से सीजी पीएससी का रिश्ता पुराना है। पीएससी की चयन सूची पर पहले भी विवाद होते हैं। इनमें 2005 की भर्ती सबसे ज्यादा चर्चित रही। भर्ती में गड़बड़ी के आरोप को लेकर विपक्ष के बढ़ते दबाव के कारण राज्यपाल ने पीएससी के तत्कालीन अध्यक्ष अशोक दरबारी को सस्पेंड कर दिया था। आईपीएस दरबारी राज्य के चौथे डीजीपी और पीएससी के दूसरे चेयरमैन थे। दरबारी को सस्पेंड करने के साथ ही सरकार ने मामले की जांच ईओडब्ल्यू को सौंप दी। ईओडब्ल्यू ने 2006 में अपराध दर्ज कर विवेचना शुरू की। ईओडब्ल्यू के इंस्पेक्टर सुरेश सेन को जांच की जिम्मेदारी सौंपी गई। करीब 5 वर्ष की लंबी जांच के बाद सेन ने 31 दिसंबर 2011 को अपनी रिपोर्ट सौंपी। इसमें गड़बड़ी के आरोपों को सही पाया गया। इंस्पेक्टर सैन की 59 पेज की इस जांच रिपोर्ट में कई चौकाने वाले तथ्य हैं। यह रिपोर्ट एनपीजी न्यूज के पास है। इस रिपोर्ट को पढ़कर आप भी हिल जाएंगे। पूरी रिपोर्ट पढ़ने के लिए यहां क्लीक करें